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ग्वालियर घूमने के बाद अगर मैं परिभाषित करूँ तो कहूंगा कि ये एकमात्र ऐसा शहर है जो ऐतिहासिक रूप से भी उतना ही समृद्ध है जितना धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से है। ऐसा बहुत कम जगहों के साथ ही होता है इसलिए ग्वालियर एक परफेक्ट पैकेज है घुमक्कड़ी पसंद व्यक्ति के लिए। ग्वालियर के सूर्य मंदिर के अलावा और भी बहुत खूबसूरत सूर्य मंदिर हैं सम्पूर्ण भारत में। तो एक लिस्ट उन मंदिरों की और फिर आगे बढ़ेंगे :
रथ में जूते सात अश्व (घोड़े ) , सप्ताह के सात दिनों को रेखांकित करते हैं तो 24 पहिये , वर्ष भर के पखवाड़ों को रेखांकित करते हैं। एक पखवाड़ा 15 दिन और कुछ घण्टों का माना जाता है। आप कैलकुलेट करके देखिये , पूरा 365 दिन का हिसाब -किताब मिल जाएगा। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि 24 पहिये , 24 घंटों को परिभाषित करते हैं लेकिन घण्टा वाला Concept भारत के पुराने समय में कहीं नहीं मिलता है इसलिए कहना मुश्किल है कि ये पहिये घण्टों को रेखांकित करते हैं। अब आते हैं इन तीलियों पर जो संख्या में कुल 16 हैं और एक निर्धारित दूरी पर बनाई गयी हैं यानी Equi distance पर स्थापित की गयी हैं। दो तीलियों के बीच की दूरी 1.5 घंटे को परिभाषित करती है। अर्थात एक पूरा व्हील पूरे दिन को व्यक्त करता है 16 x 1.5 = 24 . कैलकुलेशन तो एकदम सटीक बैठती है बाकी आप स्वतंत्र हैं कुछ भी सोचने के लिए।
Sun Temple : Gwalior
Date of Journey : 03 Dec.2019
सूर्य एक ऐसे देवता रहे हैं जिनकी पूजा सिर्फ हिन्दू धर्म तक सीमित नहीं रही है। ग्रीक सभ्यता से लेकर मिश्र तक सूर्य उपासना के अवशेष देखने को मिलते हैं। भारत में भारतीय संस्कृति के महाकाव्य महाभारत में भी सूर्य देव को उचित और प्रतिष्ठित रूप से परिभाषित किया गया है। सूर्यपुत्र कर्ण की कहानी हम और आप सब जानते हैं लेकिन इसके साथ एक और बात भी है कि सूर्य , कुंती को वरदान देने के लिए जिस जगह कुंतलपुर , अपने रथ से उतरे थे वो जगह भी ग्वालियर से ज्यादा दूर नहीं हैं।
ग्वालियर घूमने के बाद अगर मैं परिभाषित करूँ तो कहूंगा कि ये एकमात्र ऐसा शहर है जो ऐतिहासिक रूप से भी उतना ही समृद्ध है जितना धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से है। ऐसा बहुत कम जगहों के साथ ही होता है इसलिए ग्वालियर एक परफेक्ट पैकेज है घुमक्कड़ी पसंद व्यक्ति के लिए। ग्वालियर के सूर्य मंदिर के अलावा और भी बहुत खूबसूरत सूर्य मंदिर हैं सम्पूर्ण भारत में। तो एक लिस्ट उन मंदिरों की और फिर आगे बढ़ेंगे :
1. कोणार्क सूर्य मंदिर , ओडिशा। वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है और भारत के स्वयं के सात आश्चर्यों में गिना जाता है।
2 . मोढेरा सूर्य मंदिर , मेहसाणा , गुजरात
3 . सूर्य मंदिर , गया , बिहार
4 . सूर्य पहाड़ मंदिर , ग्वालपाड़ा , असाम
5 . सूर्यनार मंदिर , कुम्भकोणम , तमिलनाडु
6 . सूर्यनारायण मंदिर , अरसवल्ली , श्रीकाकुलम , आंध्रप्रदेश
7 . सूर्य मंदिर , उनाव , म. प्र .
8 . मार्तण्ड सूर्य मंदिर , अनंतनाग , कश्मीर
9 . सूर्य मंदिर , रांची , झारखण्ड
10 . सूर्य मंदिर , कटारमल (अल्मोड़ा ) , उत्तराखण्ड
11 . सूर्य नारायण मंदिर , दोमलूर , बंगलोर
12 . सूर्य मंदिर , ग्वालियर , मध्य प्रदेश।
और भी होंगे लेकिन मैं नहीं जानता। आपको पता हो तो बताइयेगा , मैं एडिट कर दूंगा । कहते हैं भारत में कुल 21 सूर्य मंदिर हैं। सूर्य मंदिर की एक विशेषता है कि इनमें सूर्य के सात अश्व वाला रथ जरूर दिखाया जाता है जिसमें कुल 24 पहिये लगे होते हैं , 12 -12 दोनों तरफ। हर पहिये में 16 तीलियाँ (Spokes ) बनाई जाती हैं जिनमें आठ कुछ मोटी और आठ पतली बनाई जाती हैं। अब इतना कुछ है तो निश्चित रूप से किसी न किसी खगोलीय रूपरेखा से जुड़ा होगा ही क्यूंकि सूर्य खगोलीय गणनाओं के सबसे बड़े माध्यम माने जाते रहे हैं।
रथ में जूते सात अश्व (घोड़े ) , सप्ताह के सात दिनों को रेखांकित करते हैं तो 24 पहिये , वर्ष भर के पखवाड़ों को रेखांकित करते हैं। एक पखवाड़ा 15 दिन और कुछ घण्टों का माना जाता है। आप कैलकुलेट करके देखिये , पूरा 365 दिन का हिसाब -किताब मिल जाएगा। कुछ लोग ऐसा मानते हैं कि 24 पहिये , 24 घंटों को परिभाषित करते हैं लेकिन घण्टा वाला Concept भारत के पुराने समय में कहीं नहीं मिलता है इसलिए कहना मुश्किल है कि ये पहिये घण्टों को रेखांकित करते हैं। अब आते हैं इन तीलियों पर जो संख्या में कुल 16 हैं और एक निर्धारित दूरी पर बनाई गयी हैं यानी Equi distance पर स्थापित की गयी हैं। दो तीलियों के बीच की दूरी 1.5 घंटे को परिभाषित करती है। अर्थात एक पूरा व्हील पूरे दिन को व्यक्त करता है 16 x 1.5 = 24 . कैलकुलेशन तो एकदम सटीक बैठती है बाकी आप स्वतंत्र हैं कुछ भी सोचने के लिए।
बहुत देर हो चुकी थी सूर्य मंदिर पहुँचते पहुँचते और अँधेरा आसमान से जमीन पर उतरने की कोशिश कर रहा था। ज्यादा समय नहीं था जीभर देखने के लिए और बंद करने का समय भी हो चला था इस मंदिर को। समय ने इजाजत नहीं दी कि और देखा जाए !
मंदिर खुलने का निर्धारित समय कुछ इस तरह है :
सुबह : 6: 00 बजे से 12: 00 बजे तक
शाम : 1: 00 बजे से 6: 00 बजे तक
मंदिर की दीवारों को बहुत ही खूबसूरत बनाया गया है। विभिन्न देवी -देवताओं की मूर्तियों के अलावा भगवान विष्णु के दस अवतारों को भी दिखाया गया है। प्रसिद्ध उद्योगपति जी. डी बिरला जी द्वारा बनवाया गया ये सूर्य मंदिर विवस्वान मंदिर भी कहलाता है जो सूर्य का ही एक और नाम है।
शाम ने अपना आँचल फैला दिया है और रात को आवाज दे दी है। मेरा समय है ग्वालियर की जगहों को नमस्कार कहने का। सामने मित्र विकास नारायण श्रीवास्तव अपने छोटे भाई के साथ गाडी में मेरा और जैन साब का इंतज़ार कर रहे हैं। हम दोनों बाहर आते हैं मंदिर प्रांगण से और विकास जी के साथ उनके निवास की तरफ प्रस्थान कर जाते हैं और प्रस्थान कर जाता है आज का सूर्य भी। प्रस्थान करेंगे तभी अगली सुबह होगी और मैं प्रस्थान करूँगा तभी अगली जगह पहुँच पाऊंगा। तो मिलते हैं इसी यात्रा के अगले पड़ाव पर। तब तक जय राम जी की।
तेली मंदिर से निकलने के बाद अगला पड़ाव तानसेन का मकबरा था और वहीँ मुहम्मद गॉस का भी मकबरा है। ज्यादा कुछ नहीं है इसके बारे में लिखने को। बस फोटो देखिये और आनंद लीजिये !
Md. Gaus Maqbara |
Md. Gaus Maqbara |
तानसेन उर्फ़ रामतनु पाण्डेय का मक़बरा |
मुहम्मद गॉस का मकबरा |
गॉस के मकबरे की जालियां बहुत खूबसूरत लगीं |
अपना ध्यान रखिये , कोरोना से डरना नहीं उसे हराना है !!
4 टिप्पणियां:
ग्वालियर की इस पोस्ट को पढ़ कर अपनी यात्रा याद आ गयी। गज़ब की लेखनी है आपकी। और ग्वालियर शहर की जितनी प्रसंशा करो उतना ही कम है।
बढ़िया ब्लॉग योगी भाई । आपकी लिस्ट में से दो सूर्य मंदिर देखे है कोणार्क और ग्वालियर का .... कोणार्क का अपने आप मे अद्भुत है तो ग्वालियर का भी कम नही है ... ग्वालियर सूर्य मन्दिर के अंदर इस तरह से डिजाइन किया है कि सूर्य की रौशनी एक झरोखे से एक समय मे मूर्ति पर आती है ।
बाक़ि लेख और चित्र अच्छे लगे
जबरदस्त ... इस सूर्य मंदिर की भव्यता को बाखूबी लिखा है ... मैंने कोणार्क का सूर्य मंदिर देखा है ... नवीन अनुभव है ... बहुत रोचक ...
Lovely captures!
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