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सुबह सुबह बढ़िया मौसम है ! आठ बजे होंगे ! पहले हनुमान सर्किल चलेंगे , वहां नाश्ता करेंगे और वहीँ से फिर सम के लिए चल देंगे ! हालाँकि सम जाने के लिए सबसे बेहतर समय सनराइज के समय या फिर शाम को सनसेट के समय है लेकिन हमारी व्यवस्था इन दोनों समय में नहीं बन पा रही थी इसलिए लगभग दोपहर में ही जा पाए ! जैसलमेर से 42 किलोमीटर दूर सम गाँव डेजर्ट सफारी के लिए बहुत प्रसिद्द जगह है , हालाँकि अब खुड़ी और घनाना भी डेजर्ट सफारी के लिए बढ़िया और मजेदार पॉइंट बन रहे हैं , लेकिन इन जगहों तक परिवार के साथ जैसलमेर से पहुंचना मुझे थोड़ा असुविधाजनक लगा इसलिए हमने सम को ही चुना ! फिर कहूंगा कि अगर आपके पास समय और धन की दिक्कत नहीं तो आप खुड़ी जाएँ , ज्यादा अच्छा रहेगा ! सम में लेकिन आप परिवार के साथ आराम से जा सकते हैं और लौटते हुए दूसरी जगहों को भी देख के , घूम के आ सकते हैं ! सम, जैसलमेर के चारों तरफ फैले "थार रेगिस्तान " को देखने और घूमने का बढ़िया स्थान है ! हनुमान सर्किल से आपको शेयर्ड जीप या SUV मिल जाती हैं लेकिन थोड़ा इंतज़ार करना होगा , या फिर आप अपनी गाडी लें ! सम तक का किराया शेयर्ड गाडी में 100 रूपये तक लग जाता है प्रति सवारी और अगर आप रेंट पर लेकर जाना चाहते हैं तो कम से कम 600 -700 -800 तक लग सकता है ! बेहतर है रेंट पर ही गाडी ली जाए !
सम , जैसलमेर में ही आता है और इस नाम से एक गांव है ! गाँव से आगे लगभग तीन किलोमीटर आगे भारत -पाकिस्तान का बॉर्डर है ! सम में BSF के जवान बाहर से जाने वालो को तुरंत पहिचान लेते हैं और वहां आने का कारण पूछते हैं। पहिचान पत्र भी दिखाना होता है ! हालाँकि आप केवल गाँव तक ही जा सकते हैं , बॉर्डर तक केवल वो ही लोग जा सकते हैं जिनके वहां खेत हैं और BSF ने उन्हें पहिचान पात्र जारी किया हुआ है ! इन सब झंझटों को देखते हुए ज्यादातर लोग वहां तक जाते ही नहीं और सम गाँव से करीब 3 किलोमीटर पहले ही उतर जाते हैं ! मुझे मालुम था , ये आदमी गलत बोल रहा है ! लेकिन क्यों बोल रहा ? नहीं पता चला ! असली पॉइंट भी यही है ! यहीं आप ऊँट की सवारी कर सकते हैं , जीप सफारी का आनंद उठा सकते हैं ! पैराग्लाइडिंग और हॉट बलूनिंग भी होती देखी है मैंने यहां ! हालाँकि करके तो नहीं देखी ! हमने बस ऊँट की सवारी यानि camel Riding की !
आप जब वहां पहुँचते हैं तो बहुत सारे लोग आपको घेर कर खड़े हो जायेंगे ! सर कैमल राइड कर लो , जीप सफारी कर लो, फलांना कर लो , ढिकाना कर लो ! भाई बस हमें कैमल राइड करनी है बताओ कितना ? सर दो ऊँट चलेंगे , आठ सौ दे देना ! नहीं भाई 200 दूंगा ! नहीं सर , इतने में नहीं होगा ! आप 600 दे देना ! नहीं भाई , 300 फाइनल ! अच्छा सर , न आपका न मेरा आप 400 रूपये दे देना ! चल भाई ठीक है ! चलो ! दोपहर का समय है इसलिए ऊँट वाले लगभग खाली बैठे हैं , अन्यथा अगर शाम होती तो मुझे लगता है ये आदमी 800 से कम में नहीं मानता ! शाम को बहुत भीड़ हो जाती है यहाँ पर्यटकों की ! रात में अगर आप यहां रुकने का सोचते हैं तो भी बढ़िया है ! बहुत सारे परमानेंट टेंट लगे होते हैं ! अलग अलग तरह की सुविधा के अनुसार इनका किराया भी अलग अलग 500 रूपये प्रति व्यक्ति प्रति रात से लेकर 2000 रूपये तक होता है ! या फिर आप वापस जैसलमेर आइये अपने ठिकाने पर !
चल दिए ! जयपुर में हाथी पर नहीं बैठ पाए थे बच्चे , यहाँ उनके कुछ अरमान पूरे हुए ! मैं भी पहली बार ऊँट की सवारी कर रहा था , हालाँकि बचपन में हाथी की सवारी जरूर की है अपने गांव में ! मजा आया ! ऊँट वाला दूर तक ले गया ! अरे हाँ , एक बात बतानी है आपको ! आप जब इनसे कैमल राइड की बात करें तो पहले ही तय कर लें कितना दूर तक जाना है आपको , ये आपको थोड़ी दूर ले जाते हैं और जब आप कहते हैं कि और चलो तब ये कहते हैं सर , आगे जाने के और ज्यादा पैसे लगेंगे ! फिर इनसे लड़ते रहिये , मजा किरकिरा हो जाएगा ! हमने जहां कहाँ , वहीँ रोक दिया और फिर हम लग गए अपनी मस्ती करने में और इसका एक ऊँट वहां से भाग लिया ! एक भागा तो पीछे से दूसरा भी भाग लिया ! खैर डेढ़ -दो घंटे बाद फिर आ गए ! मजा आया ! जहां हम खड़े थे उससे कुछ दूरी पर रेगिस्तानी झाड़ियां दिखाई दे रही थीं और उससे एक दो किलोमीटर और दूर , उसने हाथ के इशारे से बताया , सर वहां "सलमान खान " की फिल्म " बजरंगी भाईजान " की शूटिंग हुई थी ! चलोगे ? कितना लगेगा ? 1000 रुपया लगेगा सर ! नहीं भाई , नहीं जाना ! सम देख लिया , बहुत है इतना ही ! हालाँकि मुझे इतना अंदाज़ा था कि ये लोग गप्प मारते हैं कि यहाँ फलां फिल्म की शूटिंग हुई थी , वहां फलां फिल्म की शूटिंग हुई थी ! न मुझे ये मालूम की इस फिल्म की शूटिंग कहा हुई थी और न वहां जाने में कोई रूचि है अपनी ! ऐसा ही एक किस्सा उत्तराखंड के "हर्षिल " का भी है ! गंगोत्री जाने वाले रस्ते पर आता है हर्षिल ! वहां एक फॉल है जहां "राम तेरी गंगा मैली " फिल्म की हीरोइन "मन्दाकिनी " यानि यास्मीन ने स्नान किया था ! तो लोग बाग़ इसी बहाने से यहाँ रुक जाते हैं कि "हम " उस जगह नहाकर आये जहाँ कभी मन्दाकिनी नहायी थी :-) ! देख लो कहीं उसकी खुशबू अभी तक वहां हो ? वो तो वैसे दाऊद के यहाँ है पाकिस्तान में :-)
सैंड ड्यून्स भी मस्त लगते हैं ! अलग अलग शेप के बन जाते हैं , और बेहतर हो अगर आप बिलकुल सुबह सुबह जाएँ , तब इन पर किसी के निशान शायद न मिलें ! अगर यही रेत के टीले मेरे गांव में होते तो यकीन मानिये , इनमें कोई इंटरेस्ट नहीं होता , लेकिन वहां के , मतलब सम के रेत के टीले बहुत ही मनमोहक लगे और बिना कपड़े गंदे होने की फ़िक्र किये , खूब मस्ती मारी ! तो अब कुछ इधर रहा नहीं लिखने को या बताने को , हाँ दिखाने को फोटो जरूर हैं , अगर आप चाहें तो ! आइये देखते जाते हैं :
मिलेंगे जल्दी ही:
आज 27 तारीख है ,27 जनवरी ! है क्या , खत्म होने को है ! मौसम एकदम बढ़िया है यहां जैसलमेर में , और हम आज जैसलमेर का गोल्डन फोर्ट यानि सोनार किला और पटवाओं की हवेली घूम के आ चुके हैं ! अब थकान भी हो रही है और रात भी होने को है तो आज तो बस खाना खाएंगे और होटल पहुँचते ही लंबलेट हो जायेंगे ! कल सम चलेंगे !
सुबह सुबह बढ़िया मौसम है ! आठ बजे होंगे ! पहले हनुमान सर्किल चलेंगे , वहां नाश्ता करेंगे और वहीँ से फिर सम के लिए चल देंगे ! हालाँकि सम जाने के लिए सबसे बेहतर समय सनराइज के समय या फिर शाम को सनसेट के समय है लेकिन हमारी व्यवस्था इन दोनों समय में नहीं बन पा रही थी इसलिए लगभग दोपहर में ही जा पाए ! जैसलमेर से 42 किलोमीटर दूर सम गाँव डेजर्ट सफारी के लिए बहुत प्रसिद्द जगह है , हालाँकि अब खुड़ी और घनाना भी डेजर्ट सफारी के लिए बढ़िया और मजेदार पॉइंट बन रहे हैं , लेकिन इन जगहों तक परिवार के साथ जैसलमेर से पहुंचना मुझे थोड़ा असुविधाजनक लगा इसलिए हमने सम को ही चुना ! फिर कहूंगा कि अगर आपके पास समय और धन की दिक्कत नहीं तो आप खुड़ी जाएँ , ज्यादा अच्छा रहेगा ! सम में लेकिन आप परिवार के साथ आराम से जा सकते हैं और लौटते हुए दूसरी जगहों को भी देख के , घूम के आ सकते हैं ! सम, जैसलमेर के चारों तरफ फैले "थार रेगिस्तान " को देखने और घूमने का बढ़िया स्थान है ! हनुमान सर्किल से आपको शेयर्ड जीप या SUV मिल जाती हैं लेकिन थोड़ा इंतज़ार करना होगा , या फिर आप अपनी गाडी लें ! सम तक का किराया शेयर्ड गाडी में 100 रूपये तक लग जाता है प्रति सवारी और अगर आप रेंट पर लेकर जाना चाहते हैं तो कम से कम 600 -700 -800 तक लग सकता है ! बेहतर है रेंट पर ही गाडी ली जाए !
PC: Holidayiq.com |
सम , जैसलमेर में ही आता है और इस नाम से एक गांव है ! गाँव से आगे लगभग तीन किलोमीटर आगे भारत -पाकिस्तान का बॉर्डर है ! सम में BSF के जवान बाहर से जाने वालो को तुरंत पहिचान लेते हैं और वहां आने का कारण पूछते हैं। पहिचान पत्र भी दिखाना होता है ! हालाँकि आप केवल गाँव तक ही जा सकते हैं , बॉर्डर तक केवल वो ही लोग जा सकते हैं जिनके वहां खेत हैं और BSF ने उन्हें पहिचान पात्र जारी किया हुआ है ! इन सब झंझटों को देखते हुए ज्यादातर लोग वहां तक जाते ही नहीं और सम गाँव से करीब 3 किलोमीटर पहले ही उतर जाते हैं ! मुझे मालुम था , ये आदमी गलत बोल रहा है ! लेकिन क्यों बोल रहा ? नहीं पता चला ! असली पॉइंट भी यही है ! यहीं आप ऊँट की सवारी कर सकते हैं , जीप सफारी का आनंद उठा सकते हैं ! पैराग्लाइडिंग और हॉट बलूनिंग भी होती देखी है मैंने यहां ! हालाँकि करके तो नहीं देखी ! हमने बस ऊँट की सवारी यानि camel Riding की !
आप जब वहां पहुँचते हैं तो बहुत सारे लोग आपको घेर कर खड़े हो जायेंगे ! सर कैमल राइड कर लो , जीप सफारी कर लो, फलांना कर लो , ढिकाना कर लो ! भाई बस हमें कैमल राइड करनी है बताओ कितना ? सर दो ऊँट चलेंगे , आठ सौ दे देना ! नहीं भाई 200 दूंगा ! नहीं सर , इतने में नहीं होगा ! आप 600 दे देना ! नहीं भाई , 300 फाइनल ! अच्छा सर , न आपका न मेरा आप 400 रूपये दे देना ! चल भाई ठीक है ! चलो ! दोपहर का समय है इसलिए ऊँट वाले लगभग खाली बैठे हैं , अन्यथा अगर शाम होती तो मुझे लगता है ये आदमी 800 से कम में नहीं मानता ! शाम को बहुत भीड़ हो जाती है यहाँ पर्यटकों की ! रात में अगर आप यहां रुकने का सोचते हैं तो भी बढ़िया है ! बहुत सारे परमानेंट टेंट लगे होते हैं ! अलग अलग तरह की सुविधा के अनुसार इनका किराया भी अलग अलग 500 रूपये प्रति व्यक्ति प्रति रात से लेकर 2000 रूपये तक होता है ! या फिर आप वापस जैसलमेर आइये अपने ठिकाने पर !
चल दिए ! जयपुर में हाथी पर नहीं बैठ पाए थे बच्चे , यहाँ उनके कुछ अरमान पूरे हुए ! मैं भी पहली बार ऊँट की सवारी कर रहा था , हालाँकि बचपन में हाथी की सवारी जरूर की है अपने गांव में ! मजा आया ! ऊँट वाला दूर तक ले गया ! अरे हाँ , एक बात बतानी है आपको ! आप जब इनसे कैमल राइड की बात करें तो पहले ही तय कर लें कितना दूर तक जाना है आपको , ये आपको थोड़ी दूर ले जाते हैं और जब आप कहते हैं कि और चलो तब ये कहते हैं सर , आगे जाने के और ज्यादा पैसे लगेंगे ! फिर इनसे लड़ते रहिये , मजा किरकिरा हो जाएगा ! हमने जहां कहाँ , वहीँ रोक दिया और फिर हम लग गए अपनी मस्ती करने में और इसका एक ऊँट वहां से भाग लिया ! एक भागा तो पीछे से दूसरा भी भाग लिया ! खैर डेढ़ -दो घंटे बाद फिर आ गए ! मजा आया ! जहां हम खड़े थे उससे कुछ दूरी पर रेगिस्तानी झाड़ियां दिखाई दे रही थीं और उससे एक दो किलोमीटर और दूर , उसने हाथ के इशारे से बताया , सर वहां "सलमान खान " की फिल्म " बजरंगी भाईजान " की शूटिंग हुई थी ! चलोगे ? कितना लगेगा ? 1000 रुपया लगेगा सर ! नहीं भाई , नहीं जाना ! सम देख लिया , बहुत है इतना ही ! हालाँकि मुझे इतना अंदाज़ा था कि ये लोग गप्प मारते हैं कि यहाँ फलां फिल्म की शूटिंग हुई थी , वहां फलां फिल्म की शूटिंग हुई थी ! न मुझे ये मालूम की इस फिल्म की शूटिंग कहा हुई थी और न वहां जाने में कोई रूचि है अपनी ! ऐसा ही एक किस्सा उत्तराखंड के "हर्षिल " का भी है ! गंगोत्री जाने वाले रस्ते पर आता है हर्षिल ! वहां एक फॉल है जहां "राम तेरी गंगा मैली " फिल्म की हीरोइन "मन्दाकिनी " यानि यास्मीन ने स्नान किया था ! तो लोग बाग़ इसी बहाने से यहाँ रुक जाते हैं कि "हम " उस जगह नहाकर आये जहाँ कभी मन्दाकिनी नहायी थी :-) ! देख लो कहीं उसकी खुशबू अभी तक वहां हो ? वो तो वैसे दाऊद के यहाँ है पाकिस्तान में :-)
सैंड ड्यून्स भी मस्त लगते हैं ! अलग अलग शेप के बन जाते हैं , और बेहतर हो अगर आप बिलकुल सुबह सुबह जाएँ , तब इन पर किसी के निशान शायद न मिलें ! अगर यही रेत के टीले मेरे गांव में होते तो यकीन मानिये , इनमें कोई इंटरेस्ट नहीं होता , लेकिन वहां के , मतलब सम के रेत के टीले बहुत ही मनमोहक लगे और बिना कपड़े गंदे होने की फ़िक्र किये , खूब मस्ती मारी ! तो अब कुछ इधर रहा नहीं लिखने को या बताने को , हाँ दिखाने को फोटो जरूर हैं , अगर आप चाहें तो ! आइये देखते जाते हैं :
तुम जैसे जब तक हैं सरहद पर , कोई दुश्मन इस मिट्टी को छू भी नहीं सकता |
टैंट सिटी |
थक गया ?? |
Ready to move !! |
Drama Company |
कपडे क्या तेरी माँ धोएगी ? वैसे बाप भी धो देता है :) |
जीभ निकल आई :) |