मिर्ज़ापुर (यूपी ) के वाटरफॉल्स :
कोरोना की भयानक दूसरी लहर के बाद ये पहला ब्लॉग लिख रहा हूँ। न जाने कितनों ने अपनी जान गंवाई , कितने अनाथ हो गए और कितने ही माँ-बाप असहाय हो गए !! उन सभी पुण्यात्माओं को अपने शब्दों के माध्यम से नमन और भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ !!मिर्ज़ापुर ! नाम तो सुना ही होगा ऐसे या वैसे ! वैसे सुना है तो परिभाषा को बदलना होगा आपको और ऐसे सुना है तो सही सुना है। वैसे मतलब फिल्म के नाम की वजह से और ऐसे मतलब -विंध्यवासिनी मंदिर , अष्टभुजा मंदिर और कालीखोह मंदिर की वजह से तो मिर्ज़ापुर प्रसिद्ध है ही लेकिन रुकिए -------मिर्ज़ापुर सिर्फ इतना नहीं है ! मिर्ज़ापुर की असली खूबसूरती , असली खजाना तो मिर्ज़ापुर शहर के बाहर निकल के है ! अहा - अद्भुत , अनजाना सा , अकल्पनीय और अविश्वसनीय सा लेकिन किसी से मिर्ज़ापुर के विषय में बात कर के तो देखिये , वो एकदम से कहेगा -अच्छा वो ! फिल्म वाला मिर्ज़ापुर !!
आज मंदिरों की बात नहीं लिख रहा , आज मिर्ज़ापुर की प्राकृतिक धरोहरों को आपके सामने लाने की कोशिश कर रहा हूँ और ये कोशिश सफल तभी होगी जब आप कम से कम एक बार तो मिर्ज़ापुर होकर आएंगे। और अभी तक आप मिर्ज़ापुर नहीं गए हैं तो एक बार जाकर देखिये , मिर्ज़ापुर की सुंदरता आपका मन मोह लेगी ! न न... मैं शहर की बात नहीं कर रहा , मैं शहर के बाहर जंगलों में स्थित यहाँ के खूबसूरत प्राकृतिक झरनों की बात कर रहा हूँ जो एक -दो नहीं , पांच -दस नहीं , 22 हैं ! जी हाँ बाईस वाटरफॉल्स मौजूद हैं मिर्ज़ापुर के आसपास के जंगलों में। लेकिन ये वाटरफॉल्स केवल मानसून के मौसम में ही सक्रिय रहते हैं और सही तरह से जिन्दा भी रहते हैं , जैसे -जैसे मॉनसून ख़त्म होता है ये सांस लेना बंद कर देते हैं और फरवरी -मार्च आते आते लगभग सभी वाटरफॉल्स मृतप्राय हो जाते हैं। तो अगर आपको इन वाटरफॉल्स को देखना है , पूरे यौवन पर देखना है तो निश्चित रूप से आपको मॉनसून में ही इधर का रुख करना होगा।
Outside Railway Station : Varanasi Cantt |
दो साल से इधर नजर थी लेकिन कोविड की वजह से मुश्किल हो रहा था जाना , अंततः जुलाई 2021 में अवसर मिल गया और तुरंत बनारस के अपने अनन्य मित्र संदीप भाई द्विवेदी जी को सूचना दे दी , वो स्वयं मेरे साथ इन वाटरफॉल्स को देखने की इच्छा जता चुके थे।
Banaras Hindu University Gate : Varanasi |
बनारस पहुँचते ही एक गड़बड़ हो गई ! मुझे वाराणसी कैंट स्टेशन उतरना था लेकिन सुबह -सुबह 6 बजे अधखुली आँखों से वाराणसी कैंट से पहले के स्टेशन "बनारस " उतर गया। परेशानी ख़ास नहीं थी क्यूंकि मुश्किल से दोनों स्टेशन के बीच की दूरी 7 -8 किलोमीटर ही होगी किन्तु , वाराणसी कैंट स्टेशन पर मेरा स्टूडेंट आशीर्वाद पाल सुबह से इंतज़ार कर रहा था और मैं गलती से एक स्टेशन पहले उतर गया :) फिर आशीर्वाद को फोन कर के सब कहानी बताई और वो बनारस स्टेशन आ गए कुछ देर में ही। उधर संदीप भाई को तैयार होकर निकलने को कह दिया और मैं होटल से नहा धोकर जा पहुंचा BHU गेट , अपने एक और पाठक अमृतांशु श्रीवास्तव से मिलने। BHU के अंदर मैं पहले जा चुका हूँ इसलिए अंदर जाने का कोई मतलब नहीं था , तब तक "आलू बॉन्डा " उदरस्थ कर लेते हैं , वैसे भी सुबह से चाय -चाय करते करते आंतें जल गई होंगी।
Ganga Ghat : Kashi |
Rudra Convention Centre : Varanasi |
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको वो 22 वाटरफॉल्स बताता हूँ जो मिर्ज़ापुर और उसके आसपास मौजूद हैं। इन वाटरफॉल्स के बारे में जब "होमवर्क " कर रहा था तब केवल मुझे 15 वाटरफॉल्स के बारे में पता था लेकिन कुछ संदीप भाई का ज्ञान और कुछ स्थानीय लोगों का ज्ञान जब अपने कालीन भैया , चंद्रेश कुमार जी के ज्ञान के साथ मिश्रित कर के जो प्रोडक्ट प्राप्त हुआ वो 22 वाटरफॉल्स का था। तो अब एक लिस्ट तैयार हुई है इन 22 वाटरफॉल्स की :
Top 15 Waterfalls in Uttar Pradesh : https://www.youtube.com/watch?v=N7onkbm5z3A
1 . लखनिया दरी
2. सिद्धनाथ दरी
3 . राजदरी
4 . देवदरी
5 . विंढम फॉल
6 . टांडा फल
7 . जोगिया दरी
8 . सिसली फॉल
9 . चूना दरी
10 . खड़ंजा फॉल
11 . बकरियां फॉल
12 . कुशियारा फॉल
13 . खजूरी डैम वॉटरफॉल
14 . जोगदहवा वॉटरफॉल
15 . लतीफशाह डैम
16 . मुक्खा फॉल
17 . अलोपी दरी
18. नौका दरी
19 . बद्री (बदरिया ) दरी
20 . पंचशील की दरी (ठाड़े पत्थर )
21. नौगढ़ वाटर फॉल
22 . नकटी दरी
अब इतने सारे वाटरफॉल्स को न तो एक -चार दिन की ट्रिप में देखा जा सकता है और न ये संभव है। आपको कम से कम एक सप्ताह चाहिए होगा इन सब जगहों तक पहुँचने के लिए। मैं जो वाटरफॉल्स घूम पाया , पहले उनका जिक्र करेंगे फिर बाकी बचे हुए सभी वाटरफॉल्स तक पहुँचने का रास्ता और बाकी detail लिखूंगा।
सिद्धनाथ दरी (Sidhanath Dari ) : चुनार रोड पर बनारस से करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सिद्धनाथ दरी बहुत जबरदस्त वॉटरफॉल है जहाँ बनारस और आसपास के लोग परिवार सहित पिकनिक मनाने जाते हैं। शनिवार -रविवार को खूब भीड़ रहती है और रोड से बमुश्किल 100 मीटर अंदर ये वॉटरफॉल बहुत ही शानदार दिखता है लेकिन साफ़ -सफाई बिलकुल नहीं है। आसपास यहाँ सैकड़ों छोटी -छोटी दुकानें "उग" आती हैं मानसून के मौसम में !
पंचशील की दरी (ठाड़े पत्थर ) Panchsheel ki Dari (Thade Patthar ) : इसी रोड पर राजगढ़ से कुछ और आगे चलकर है पंचशील की दरी वॉटरफॉल लेकिन ये खूबसूरत होने के बावजूद इतना famous नहीं है ! इसका एक कारण ये हो सकता है कि रोड से करीब तीन किलोमीटर हटकर है जहाँ आप सिर्फ पैदल जा सकते हैं या अपना two wheeler ले जा सकते हैं। कार भी हमे करीब दो किलोमीटर पहले ही खड़ी करनी पड़ी थी। जंगलों के बीच से होकर गुजरता रास्ता एक बिलकुल सुनसान इलाके में लेकर जाता है इसलिए मैं अकेले जाने की सलाह नहीं दूंगा ! दो -तीन लोग हों तो बिलकुल जाइये और इस लगभग छुपे स्थान का आनंद लीजिये !
पहले दिन हम ये दो ही वाटरफॉल्स देख पाए और वापस लौट चले बनारस की तरफा। अभी थोड़ा समय था , मौका भी था तो भगवान शिव के 'काशी -विश्वनाथ " दर्शन को क्यों न जाते ?
अगले दिन बारिश ने अपना रौद्र रूप दिखा दिया। सुबह 9 बजे शुरू हुई बारिश ने रुकने का नाम नहीं लिया और डेढ़ घण्टे तक अनवरत जारी रही। ये डेढ़ घण्टा मैं , BHU गेट के सामने एक तिरपाल के नीचे खड़ा , बारिश रुकने इंतज़ार में पूड़ी -जलेबी की खुशबु लेता रहा क्यूंकि पेटपूजा तो पहले ही कर चुका था।
लगभग आधा दिन जा चुका था। संदीप भाई और उनके मित्र के साथ आज हमारी गाडी नौगढ़ की तरफ दौड़ रही थी। क्या खूबसूरत रास्ता है अप्रतिम !! हमने कई बार गाडी रोक -रोक के प्राकृतिक नजारों का न सिर्फ आनंद लिया बल्कि खूब फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी की। इसकी सुंदरता का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहाँ पहली बार आने वाले लोगों की गाड़ियों की छत खुली हुई थी और गाड़ियों स्पीड बमुश्किल 10 किलोमीटर प्रति घण्टा रही होगी। नव विवाहित जोड़े , खुली गाडी में धीरे -धीरे चलते हुए प्रकृति का आनंद उठा रहे थे। कुछ देर के लिए सही , कुछ ही महीनों के लिए सही ये क्षेत्र शिमला -कुफरी -चैल जैसा हरा भरा दिखता है ! राजदरी-देवदरी वॉटरफॉल पहुँच गए लेकिन गाड़ियों की लम्बी लाइन लगी है अंदर जाने के लिए।
राजदरी-देवदरी वॉटरफॉल (Rajdari Devdari Watefall ) : बनारस से करीब 70 किलोमीटर दूर ये दोनों वाटरफॉल्स शायद एकमात्र ऐसे वाटर फाल्स हैं जिनकी एंट्री टिकट लगती है 50 रूपये। अत्यंत ही खूबसूरत ये दोनों वाटरफॉल्स लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर हैं लेकिन दोनों का एंट्री गेट एक ही है और टिकट भी दोनों की एक ही है। लेकिन मौसम में भयंकर भीड़ होती है , हाँ सार्वजनिक परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए चंदौली / वाराणसी से अपना वाहन लेकर जाना बेहतर रहेगा। रास्ता बहुत ही खूबसूरत है और अगर समय हो तो राजदरी -देवदरी से थोड़ा आगे नौगढ़ की तरफ होकर आइयेगा जहाँ आपको "Watch Tower " देखने को मिलेगा जिस पर चढ़कर आप यहाँ की अद्भुत प्राकृतिक छटा का आनंद उठा सकते हैं। लौटने में संदीप भाई का बताया हुआ "छान पत्थर " वॉटरफॉल खोजने में हमें दो घंटे लग गए मगर छानपत्थर कहीं नहीं मिला लेकिन इस दरम्यान मिर्ज़ापुर के गाँवों और "Real India " को देखने का एक अवसर जरूर मिला।
PC: Chandresh Kumar |
PC: Chandresh Kumar |
PC: Chandresh Kumar |
लौटते हुए संदीप भाई ने , यहाँ की प्रसिद्ध और एकदम खूबसूरत "छातो वैली" (Chhatto Valley) का भी एक चक्कर लगवा दिया। क्या गजब की जगह है छातो वैली ! जो मॉनसून के मौसम में सुंदरता और हरियाली के मामले में किसी भी हिल स्टेशन से होड़ करती हुई दिखती है। छोटी -छोटी water streams इसकी सुंदरता में और बढ़ोत्तरी कर देती हैं। हमारे पास समय की कमी थी और आज का सूरज डूबने की तरफ बढ़ रहा था इसलिए हम नौका दरी तक नहीं जा पाए। आपके पास समय हो तो आप वहां जरूर जाइयेगा।
दूसरा दिन खत्म हो चुका था और मैं रॉबर्ट्सगंज की बस पकड़ के निकल चुका था। संदीप भाई का उपहारस्वरूप दिया हुआ "बनारसी गमछा" और रसमलाई का डिब्बा अभी भी बैग की शोभा बढ़ा रहे थे जिनमें से मैंने रसमलाई रॉबर्ट्सगंज पहुँचते ही निपटा दी :) बीच में मेरा एक दिन का सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज स्थित चंद्रकांता महल / विजयगढ़ फोर्ट और सलखन फॉसिल्स पार्क का भी प्लान था जिसका ब्लॉग बाद में लिखूंगा। तो सोनभद्र से निपटकर मैं चल दिया मिर्ज़ापुर ! रात हो चुकी थी और करीब 11 बजे का टाइम था। भूख के मारे बुरा हाल था मेरा , बंद होते खाने के होटलों में से एक "पप्पू ढाबे " के आधे गिरे शटर को दोबारा ऊपर कराया -बोला ! एक ही सब्जी बची है ? मैंने कहा -दही है ? हाँ है ! बस फिर सब्जी हो न हो कोई बात नहीं -बस चार रोटी खिला दे ! पेट की गुड़गुड़ शांत हुई तो भारी बारिश से लबालब हुए मिर्ज़ापुर की गंध फेंक रही सडकों पर होटल लेने के लिए ऑटो में चक्कर काटता रहा। जेल के सामने एक धर्मशाला मिली - दसवीं शताब्दी की बनी हुई प्रतीत होती थी ! लकड़ी की शहतीरों से बने कमरे और हवा का कोई प्रबंध नहीं ! पंखा अपनी अंतिम सांसें गिन रहा था। ..... नहीं भाई ! मैं नहीं रह पाऊंगा यहाँ ! इससे बेहतर तो मैं रेलवे स्टेशन पर जाकर रात गुजार लूंगा !! बोलै -थोड़े ज्यादा पैसे खर्च करोगे ? कितने ? 300 रुपया !! तो ये कमरा कितने का था जो अभी दिखाया !! 100 रूपये का !! मैं मन में बहुत हँसा ! 100 रूपये का। .... कहाँ चला आया मैं !! 300 रूपये का ऊपर की मंजिल पर कमरा मिल गया , हॉल टाइप ! तीन बेड पड़े थे जिन पर गंदे से गद्दे पड़े थे। आज की रात नींद नहीं आएगी। ... सामने जेल का गेट दिखाई दे रहा था। चादर मंगवाई। . सड़ी हुई सी थी इसलिए वापस कर दी , अपनी ही बिछा लूंगा। मच्छरों ने हमला बोल दिया लेकिन शरीर की थकान , मच्छरों के हमले से ज्यादा तारी थी। सो गया !!
आज का दिन इधर अपना आखरी दिन था। सुबह -सुबह विन्ध्वासिनी देवी मंदिर के दर्शन निकल पड़ा। वहां से टांडा फॉल जाने का सोचा लेकिन ऑटो वाला 500 रूपये मांग रहा था इसलिए विंढम की तरफ बढ़ चला।
विंढम वॉटरफॉल (Wyndham Waterfall) : उत्तर प्रदेश का शायद सबसे Famous Waterfall होगा विण्ढ़म वॉटरफॉल। मिर्ज़ापुर से लगभग 13 किलोमीटर दूर बछराकलां के पास विण्ढ़म फॉल का नाम यहाँ कभी 13 वर्षों तक जिलाधिकारी रहे अंग्रेज़ अधिकारी पी विण्ढ़म के नाम पर है जिनका जिक्र जिम कॉर्बेट ने भी अपनी किताब में किया है। बहुत ही सुन्दर और शानदार वॉटरफॉल है ये और आसपास के लोगों के लिए "प्रिय पिकनिक स्पॉट" भी है। फॉल के बाहर खाने -पीने की दुकानें हैं और रोड से वॉटरफॉल तक का करीब एक किलोमीटर का रास्ता देखने लायक है।
खड़ंजा वॉटरफॉल (Khadanja Waterfall) : विंढम फॉल से बाहर रोड पर आकर आप जब मिर्ज़ापुर की तरफ करीब तीन किलोमीटर लौटेंगे तब आपको खड़ंजा वॉटरफॉल का बोर्ड दिखाई देगा। Main Road से भी तीन किलोमीटर और अंदर होगा ये वॉटरफॉल लेकिन कोई Public Transport उपलब्ध नहीं है। या तो अपना कोई वाहन हायर करके ले जाइये या फिर मेरी तरह किसी से लिफ्ट लीजिये। वॉटरफॉल ज्यादा सुन्दर नहीं है इसलिए अगर समय की कमी हो तो आप skip कर सकते हैं यहाँ जाना लेकिन हाँ ! रास्ता बहुत खूबसूरत है।
लखनिया दरी (Lakhaniya Dari) : लखनिया दरी , मैं 2014 में एक बार जा चुका हूँ इसलिए न तो इस बार इतना वक्त निकाल पाया और न ही इस जगह को प्राथमिकता में रखा। बनारस से रॉबर्ट्सगंज वाले रास्ते पर , अहरौरा से थोड़ा सा आगे है ये वाटर फॉल। रोड से थोड़ा यानी करीब एक किलोमीटर हटकर होगा जहाँ खूब भीड़भाड़ रहती है। थोड़ा फिसलने से बचने का प्रयास करें और बच्चों का विशेष ध्यान रखें। बनारस से करीब 55 किलोमीटर और चुनार से 35 किलोमीटर दूर पड़ता है ये वॉटरफॉल। कोशिश करियेगा कि भारी बारिश के बीच यहाँ न जाएँ क्योंकि कई बार यहाँ हादसे होते रहे हैं। चूना दरी और बद्री दरी वॉटरफॉल भी इसके आसपास ही हैं जबकि करीब 15 किलोमीटर दूर लतीफशाह डैम है। समय इजाजत दे तो आप एक और वॉटरफॉल जा सकते हैं जिसका मैंने लिस्ट में नाम नहीं दिया है और वो है -डूंगिया वॉटरफॉल ( Dungia Waterfall )
टाण्डा वॉटरफॉल (Tanda Waterfall) : बनारस से तो ये वॉटरफॉल दूर है करीब 80 किलोमीटर लेकिन मिर्ज़ापुर से बस 14 किलोमीटर ही है और बहुत ही शानदार दृश्य बनता है बारिश के मौसम में। आसपास के लोग पिकनिक मनाने के लिए पहुँचते हैं लेकिन Public Transport नहीं मिलता आसानी से। यहाँ जाएँ तो बोकरिया फॉल मत छोड़ना।
अलोपी दरी (Alopi Dari) : अलोपी दरी बहुत ही खूबसूरत वॉटरफॉल है जहाँ नाममात्र की जनता पहुँचती है। मिर्ज़ापुर के मड़िहान क्षेत्र के जंगलों में स्थित ये वॉटरफॉल अभी तक भीड़भाड़ से बचा हुआ है। रोड से करीब 3 किलोमीटर अंदर है ये वॉटरफॉल और यहीं अलोपी माता का एक मंदिर भी है। जब जाएँ तो अगरबत्ती का पैकेट भी ले जाएँ यहाँ जलाने के लिए। Public transport नहीं है इसलिए अपने वाहन से जाएँ तो बेहतर ! यहीं पास में ही जोगिया दरी वॉटरफॉल भी है और थोड़ा और आगे जाकर Jamithwa Dari भी है।
मुक्खा वॉटरफॉल (Mukkha Fall) : रॉबर्ट्सगंज और घोरावल रोड पर एक जगह आती है सुकृत , यहाँ से करीब 3 किलोमीटर हटकर एक बहुत शानदार वॉटरफॉल है -मुक्खा वॉटरफॉल। पब्लिक ट्रांसपोर्ट न के बराबर है इसलिए या तो आप गाडी हायर करके जाएँ या फिर घोरावल से ऑटो किराए पर ले जा सकते हैं।
बाकी जो वाटरफॉल्स हैं वो कम प्रसिद्ध हैं और बहुत सुन्दर भी नहीं हैं इसलिए लिखने का कोई प्रयोजन नहीं बनता। आप चाहें तो गूगल मैप में जाकर उनकी लोकेशन पता कर सकते हैं और विस्तृत जानकारी ले सकते हैं।
बहुत धन्यवाद !! अगले मानसून में संभवतः मैं भी आपको इन जगहों पर भटकता हुआ मिल जाऊं फिर से ........