जैसा कि पहले भी बात हो चुकी है कि दिल्ली में अगर आपने घूमने का प्रोग्राम बनाया है तो आप अपने दिल को इस बात के लिए तैयार रखिये कि आप दिल्ली में ज्यादातर दो तरह की जगहों के दर्शन करेंगे ! एक मुगलिया और एक गांधी ! दिल्ली में जैसे इनके सिवाय कुछ है ही नहीं ? है बहुत कुछ , लेकिन भारत वर्ष के प्रथम प्रधानमंत्री और तथाकथित प्रथम परिवार ने इसके अलावा किसी और जगह को प्रमोट ही नहीं किया और न ही करने दिया ! और जब तक आप उस जगह के बारे में जानेंगे नहीं , पढ़ेंगे नहीं तो आप जाएंगे भी नहीं ! और ये सिलसिला अब तक जारी है लेकिन भला हो भारत की जनता जनार्दन का कि इस बार निज़ाम बदला है , तो उम्मीद करी जा सकती है कि भारत में और दिल्ली में नए नए स्थान जनता के सामने आएंगे ! आइये आज एक और गांधी स्थल यानी गांधी दर्शन चलते हैं !
रिंग रोड पर यमुना किनारे बने महात्मा गांधी की समाधि राजघाट के पास ही एक भी दिन प्रधानमंत्री के रूप में लोकसभा का मुँह न देख पाने वाले चौधरी चरण सिंह का समाधी स्थल "किसान घाट " भी है लेकिन वहां तक शायद ही कोई जाता हो ! जाएगा भी क्यों ? समाधि के आसपास ऊँची ऊँची घास उगी हुई है , लगता ही नहीं कि ये किसी पूर्व प्रधानमंत्री की समाधि है ! और यही हाल पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के पिता और जाने माने दलित कांग्रेसी नेता बाबू जगजीवन राम की भी है ! वो भी बेचारे अकेले पड़े हैं। नितांत अकेले , इतने बड़े जंगल में , अकेले , डर लगता होगा उनकी आत्मा को !
बाबू जगजीवन राम की बात चली है तो मुझे कुछ याद आ रहा है ! वो शायद स्वास्थ्यमंत्री भी रहे हैं , और जब वो स्वास्थ्यमंत्री थे तब उन्होंने अपने कार्यकाल में गांवों में एक स्वस्थ्य योजना चलाई थी ! जिसमें गांंव के ही किसी आदमी को CHV ( community Health worker of village ) बनाया जाता था ! मेरे पापा भी CHV हो गए और तनख्वाह जानते हैं कितनी मिलती थी ? 50 रुपये महीना , और वो भी छह छह महीने या साल के बाद ! लेकिन दवाईयाँ जरूर मिलती थीं , उन्ही में एक लाल दवाई भी होती थी , वो शायद चोट मोच के लिए होती थी ! बहुत चलती थी वो दवाई ! पापा की तनख्वाह कोई मायने नहीं रखती थी लेकिन वो इस काम के साथ साथ इंजेक्शन भी लगाना सीख गए थे और उससे कुछ कमा लेते थे ! लोगों का भरोसा भी था उन पर इसलिए तनख्वाह से ज्यादा इंजेक्शन वगैरह से कमा लिया करते थे ! इन्हीं दवाइयों के साथ परिवार नियोजन यन्त्र यानी निरोध भी आया करता था , मुझे याद नहीं पड़ता की कोई उन्हें लेने भी आता था , लेकिन उनकी सप्लाई सबसे ज्यादा थी ! कोई लेने आये या न आये लेकिन वो हमारे काम बहुत आते थे , हम उन्हें गुब्बारे की तरह फुलाते रहते और मजे करते रहते ! गुब्बारे लेने की औकात तो थी नहीं हमारी इसलिए ये ही हमारे गुब्बारे हो जाया करते थे और सच कहूँ तो ये बड़े मजबूत और लम्बे होते थे !
एक और बात याद आती है , साझा करना चाहूंगा ! गांव में उस वक्त एक वृद्ध हरिजन महिला थीं ! उनका काम नालियों की सफाई करना होता था ! सरकार की तरफ से नहीं , गांव वालों की तरफ से ! शायद रेणुका नाम था उनका लेकिन मैंने कभी किसी को उन्हें इस नाम से पुकारते नहीं देखा , सब उन्हें रेनुकी ही कहते और कभी कभी तो मेरी जैसी उम्र के बच्चे रेणुकी भी नही कहते बल्कि मेंढकी कह कह के चिढ़ाते ! लेकिन मैंने उन्हें कभी चिढ़ते हुए भी नहीं देखा ! चिढ़ती भी कैसे ? गुस्सा करती भी कैसे ? गुस्सा करती तो सफाई के बाद उन्हें हर घर से जो 1 -1 , 2 -2 रोटी मिल जाती थी , वो भी बंद हो जाती ! किसी के घर में बच्चा पैदा होता तो उनके बारे न्यारे हो जाते , उन्हें उम्मीद बन जाती कि जच्चा बच्चा के गंदे कपडे धोने के बदले उन्हें कुछ सेर गेंहू और नयी नहीं तो कम से कम एक पुरानी धोती ही मिल जायेगी !
कहाँ बात चली गयी ! हहहाआआ ! लिखते लिखते कहाँ स्मृतियों में पहुँच गया ! खैर वापस लौटता हूँ ! तो साब वो महिला जब भी पापा के पास आती तो थोड़ी दूर पहले से ही ऐसे काँपने लगती जैसे उन्हें कितना तेज बुखार हो रहा है ! हम अगर उस दिन घर में होते और अगर उन्हें देख लेते तो तुरंत पापा से कहते -पापा मेंढकी आई रई है ! दवाई लैवे आइ रई होइगी ! और वो आती - बोहरे राति तेई बुखार आइ रौ है कछु दवाई होइ तो दै देउ ! वो दो तीन बार मिन्नतें करती और पापा उसे बिना छुए , बिना थर्मामीटर लगाए दो चार गोलियां पकड़ा देते ! छूना मना था और थर्मामीटर औरों को भी लगना होता था ! खैर ! बहुत पहले की बात है ! अब समाज ने इन बुराइयों को स्वतः ही ख़त्म कर लिया है ! अच्छी बात है !
चौधरी चरण सिंह का समाधी स्थल "किसान घाट " |
चौधरी चरण सिंह का समाधी स्थल "किसान घाट " |
चौधरी चरण सिंह का समाधी स्थल "किसान घाट " |
बाबू जगजीवन राम का समाधि स्थल " समता स्थल "
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दिल्ली के पुलिस हेडक्वार्टर की दीवार पर बापू का चित्र ! ये फोटू बहुत दूर से लेना पड़ा
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बाबू जगजीवन राम का समाधि स्थल " समता स्थल " |
गाँधी दर्शन |
गाँधी दर्शन |
गाँधी दर्शन |
सूत कातती महिला
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गांधी दर्शन में सुन्दर और सार्थक बात कहने वाले कार्टून लगे हैं |
गांधी दर्शन में सुन्दर और सार्थक बात कहने वाले कार्टून लगे हैं |
क्लिक करके बड़ा कीजिये ! पढ़ पाएंगे
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गांधी दर्शन में सुन्दर और सार्थक बात कहने वाले कार्टून लगे हैं |
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महात्मा गाँधी के विषय में गुरुदेव के विचार
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ये वो गाडी है जिसमें महात्मा गाँधी का पार्थिव शरीर राजघाट लाया गया था |
यरवदा जेल में गांधी जी का बिछोना |
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा लगाया गया शिलापट ! |