दिल्ली जितनी ऐतिहासिक है उतनी ही जिंदादिल भी है। हालाँकि कुछ लोग हैं जो इसके चेहरे की चमक को कम करने की कोशिश में लगे रहते हैं लेकिन फिर भी , आज भी दिल्ली की खूबसूरती आकर्षित करती है। मुझे छुट्टी में जब कहीं नहीं जाना होता तो मैं दिल्ली में ही घूम के अपनी "प्यास" बुझा लेता हूँ। कभी -कभी परिवार के साथ तो कभी अकेले -अकेले ही और हाँ , दिल्ली जाता हूँ तो छोले -कुलचे खाना नहीं भूलता। मस्त स्वादिष्ट बनाते हैं कई जगह और साथ में रायता और मिल जाए तो आनंद तीन गुना हो जाता है छोले -कुलचे का। अब छोले -कुलचे खा लिए हैं तो मुद्दे की बात पर आ जाते हैं।
फरवरी
-2019 का मौसम मस्त था और राष्ट्रपति भवन का मुग़ल गार्डन जनता के दर्शन के
लिए खुला हुआ था। विचार बना कि पहले मुग़ल गार्डन घूमेंगे , फिर दिल्ली
में हाल में खुला "सेवन वंडर्स पार्क " देखेंगे और आखिर में इंडिया गेट घूम
के वापस अपने दड़बे में आ जाएंगे। भयंकर भीड़ थी उस दिन मुग़ल गार्डन में
जाने वालों की लेकिन फिर भी हम एक -डेढ़ घंटे की कशमकश के बाद अंदर पहुँच ही
गए।
अब अपने आज के मुख्य आकर्षण यानि " सेवन वंडर्स " चलते हैं जो अभी कुछ दिन पहले ही बना है और बड़ी बात ये है कि सारा तामझाम , कबाड़ से बनाया गया है। इसमें कुछ पुराने जमाने के , कुछ मध्ययुगीन और कुछ नए शामिल किये गए "Wonders " की प्रतिकृति बनाई गयी हैं . निजामुद्दीन मेट्रो स्टेशन और काले खां बस स्टैंड के बिल्कुल पास ये पार्क दिल्ली और आसपास के बच्चों और सभी उम्र के लोगों के लिए बेहतरीन वीकएंड डेस्टिनेशन " है। इस पार्क में आपको ताजमहल , गीज़ा के पिरामिड , पेरिस , फ्रांस की एफ़िल टावर , पीसा की झुकी मीनार , रिडीमर के क्राइस्ट , रोम का कोलोसियम और स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी की प्रतिकृतियां (Replica ) बनाये गए हैं। . South Delhi Municipal Corporation (SDMC) ने इसे बनाने के लिए कबाड़ ( Industrial Scrap ) का उपयोग किया है और क्या बेहतरीन उपयोग किया है ! जबरदस्त !! इसीलिए इसे नाम दिया गया है Waste to Wonder. इसमें लोहे के ड्रम , पाइप्स , बेंचेस और अन्य दूसरे ऑटोमोबाइल पार्ट्स का उपयोग किया गया है। इन सभी सात "वंडर्स " को बनाने में कुल लगभग 7 . 5 करोड़ का खर्च आया और करीब 110 टन लोहा लगा है। अच्छी बात ये भी है कि हर monument के पास एक बोर्ड लगाया गया है जिसमें हिंदी और अंग्रेजी में उस मोन्यूमेंट से सम्बंधित जानकारी लिखी गयी है। क्या -क्या Material लगाया गया है , कितना लगाया गया है , वास्तवकि रचना कैसी है !
ऐसा ही एक पार्क राजस्थान के कोटा में भी है और ऐसा कहते हैं , दिल्ली में बनाने का विचार भी कोटा से ही लिया गया है। आपको अगर कभी जाना हो तो मेरी एक सलाह मानकर जाइएगा। ऐसे तो ये सुबह 11 बजे से लेकर रात 11 बजे तक खुला रहता है लेकिन अगर आप कैसे भी शाम का समय यहां जाने के लिए निकाल पाते हैं तो वो सबसे बेहतरीन समय होगा। क्यूंकि शाम का वक्त ऐसा है जब दोनों पहर मिल रहे होते हैं तब आप इसकी खूबसूरती को दोनों वक्त देख लेंगे। दिन में भी और रात में भी। रात में जब इन संरचनाओं में लाइट जलती है तो ये बहुत खूबसूरत लगती हैं और कोई -कोई तो असली वाले से भी ज्यादा खूबसूरत दिखती है। जैसे उदहारण के तौर पर , एफिल टावर लाइट जलने पर बहुत ही सुन्दर दिखती है जबकि अगर आप इसे दिन में देखेंगे तो शायद उतना मजा नहीं आएगा आपको।
थोड़ा सा इन सेवन वंडर्स के बारे में भी जान लेते हैं :
1. The Pyramid of Giza: लगभग 18 फुट ऊँचा गीज़ा का पिरामिड सोचता होगा , हिंदुस्तान में तो मेरी किस्मत खुल गयी। क्यूंकि मिस्र में जहाँ ये अपने असली रूप में स्थित है वहां पूरा रेगिस्तान है जबकि दिल्ली के गीज़ा पिरामिड के चारों तरफ हरियाली ही हरियाली छाई है !
2. Eiffel Tower: असली वाली एफिल टावर तो फ्रांस की राजधानी पेरिस में है और मैंने आज तक नहीं देखी लेकिन ये दिल्ली वाली , नकली वाली देखी है जो करीब 60 फुट ऊँची है। शायद सबसे ऊँची और सबसे सुन्दर संरचना है इस पार्क की।
3. The Roman Colosseum: अगर कहीं नंबर देने हों इन कलाकृतियों को तो मैं रोम के कोलोसियम को दस में दस नंबर दूंगा लेकिन शर्त यही है कि इसे जगमगाती रोशनी में देखा जाए।
4. Christ the Redeemer: ब्राज़ील के ईसा मसीह को 25 फुट का बनाया गया है लेकिन इस स्टेचू को बनाने वाला कारीगर whats app की चैट में व्यस्त रहा होगा पक्का वो फिनिशिंग नजर नहीं आती जो वास्तव में होनी चाहिए थी।
5. Leaning Tower of Pisa: पीसा की झुकी मीनार को बेहतरीन बनाया गया है। लगभग 57 फुट ऊँची ये मीनार अपनी असली ऊंचाई से आठ गुना छोटी है। लेकिन ये देखने में , और विशेषकर रौशनी में देखने में बहुत खूबसूरत लगती है।
6. Statue of Liberty: स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी , वो ही जिसमें एक महिला आँखों पर पट्टी बाँध के तराजू लिए खड़ी रहती है। असली मूर्ति तो अमेरिका के न्यूयोर्क में है ये वाली लेकिन नक़ल यहाँ दिल्ली में भी है। मुझे लगता है इसको बनाने वाले की कोई गर्लफ्रेंड रही होगी जो इसको छोड़ के चली गयी होगी। इसीलिए बंदे ने कसम ली होगी कि मैं इस महिला की मूर्ति को अच्छा बनाऊंगा ही नहीं। पार्क की सबसे खराब संरचना की बात हो तो ये सबसे ऊपर आएगी।
7. Taj Mahal: एक करोड़ से ज्यादा की कीमत में बना नकली ताजमहल भी कम सुन्दर नहीं है। आसपास मुग़ल गार्डन की तरह पेड़ -पौधे लगाए गए हैं जो इसकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं।
The Pyramid of Giza |
The Roman Colosseum
The Roman Colosseum |
Leaning Tower of Pisa |
Eiffel Tower |
Leaning Tower of Pisa |
TajMahal |
Christ the Redeemer |
Christ the Redeemer |
कैसे
जाएँ :
नजदीक रेलवे स्टेशन हज़रत निजामुद्दीन है और नजदीकी मेट्रो स्टेशन भी निजामुद्दीन ही है। बस स्टैंड काले खां का नजदीक पड़ता है अगर आप बस से आ रहे हैं।
नजदीक रेलवे स्टेशन हज़रत निजामुद्दीन है और नजदीकी मेट्रो स्टेशन भी निजामुद्दीन ही है। बस स्टैंड काले खां का नजदीक पड़ता है अगर आप बस से आ रहे हैं।
टिकट
: यहाँ अंदर जाने का टिकट 50 रूपये प्रति व्यक्ति है जबकि 12 साल तक के बच्चों और 65 से ऊपर के बुजुर्गों के लिए आधा यानी 25 रूपये का टिकट लगता है। समय की कोई सीमा नहीं है।
समय : सुबह 11 बजे से रात 11 बजे तक खुला रहता है।