ट्रैकिंग और कैंपिंग में प्रयोग होने वाले स्टोव
जीवन की पहली ट्रैकिंग जून -2015 में बद्रीनाथ से माणा और फिर माणा से वसुधारा फॉल तक की थी। वसुधारा फॉल पर एक बाबा ने चाय पिलाई और जो चाय थी उसमें शंखपुष्पी के साथ -साथ कुछ और भी पड़ा था जिससे उसका रंग पिंक हो गया था। बस मैंने बाबा से उत्सुकतावश यही पूछ लिया -बाबा ? चाय का रंग पिंक सा लग रहा है कुछ !! और बाबा भड़क गए ! बोले अँगरेज़ की औलाद हो ? कितना पढ़े हो ? गुलाबी नहीं बोल सकते !! अब बाबा को पढ़ाई का बता के इंजीनियरों को और गाली दिलवाता इससे बढ़िया ये कहके पीछा छुड़ाया कि बाबा आठवीं फेल हूँ और पढ़े लिखे लोगों से सीखा है कि गुलाबी को पिंक बोलते हैं। बाबा कुछ ठण्डा हुआ और इस मस्के का फायदा ये हुआ कि बाबा एक और गिलास भरके गर्मागर्म चाय बना लाये !! डिग्री कौन सी गले में लटका के घूमनी है !! वसुधारा फॉल गए और सात -साढ़े सात बजे तक वापस बद्रीनाथ लौट आये ! ये थी पहली ट्रैकिंग करीब 16 किलोमीटर की ! चाय -पराठा सब माणा में हो गया था।
फिर जून आया लेकिन साल बदल गया और अब 2016 की जून की गर्मी में फिर बद्रीनाथ पहुंचे और इस बार लम्बा चौड़ा अनुभवी लोगों का ग्रुप था ट्रेकिंग के लिए। सतोपंथ -स्वर्गारोहिणी का 6 दिन का ट्रेक जिसमें राशन -स्टोव -टेंट -स्लीपिंग बैग ले जाना था और पहली बार रात में भी पहाड़ों में ही रुकना था। बहुत कुछ सिखाया इस ट्रेक ने , टेंट लगाना , गुफा में रहना , केरोसिन आयल के स्टोव का Use , रास्ता पहचानना। बहुत कुछ ! और जबरदस्त अनुभव लेकर लौटा मैं।
जून -2017 ! अमित तिवारी जी का कॉल और मैं तैयार फिर से। इस बार नंदीकुंड के लिए तैयारी करनी थी। रास्ते में 5300 मीटर ऊंचा विनायक दर्रा पार करना था इसलिए तिवारी जी का पैमाना सख्त था , वो ही लोग जाएंगे जिन्होंने पहले 4000 + मीटर का ट्रेक किया हुआ होगा ! बस मैं और अमित तिवारी जी , आखिर में हैदराबाद के श्रीकांत मिल गए। यहाँ दर्रे को पार करना सीखा , बर्फ में चलना सीखा और उतरते हुए घुटना टूटने का डर देखा। यहाँ भी राशन , स्टोव , टेंट , स्लीपिंग बैग का उपयोग किया।
अब फिर जून -2018 ! आदि कैलाश और ॐ पर्वत की यात्रा ! रास्ते में पड़ने वाले गाँवों में रुकने और खाने की समुचित व्यवस्था मिलती रही इसलिए कुछ भी ले जाने की जरुरत नहीं थी। हाँ , ड्राई फ्रूट्स , नमकीन , बिस्कुट , गर्म कपड़े।, दवाइयाँ वो सब हर बार की तरह लेकर ही गए।
अब है मई और जून -2019 आने वाला है। इस जून में नेपाल के अन्नपूर्णा बेस कैंप (ABC ) , मचापुचारे बेस कैंप ( MBC) , तिलिचो लेक बेस कैंप ( TBC ) और मुक्तिनाथ मंदिर की यात्रा / ट्रैकिंग करने का विचार है। इस ट्रैकिंग में भी हम टेंट , स्लीपिंग बैग , पैक्ड फ़ूड ले जाना चाहते हैं और चाय / कॉफ़ी / सूप / मैग्गी बनाने के लिए स्टोव और फ्यूल भी ले जाएंगे। हमें केरोसिन आयल वाला स्टोव नहीं लेकर जाना है इसलिए मैं कुछ और Options सर्च कर रहा था और जो कुछ मेरी आँखों के सामने से गुजरा , मुझे लगा आप सब लोग जो पिकनिक / कैंपिंग , ट्रैकिंग करते हैं , उनके लिए स्टोव और फ्यूल का चुनाव करना एक बड़ी प्रॉब्लम होती है तो कुछ ऐसा एक जगह Compile किया जाए जिससे सबको फायदा मिल सके ! आइये देखते हैं कैसे -कैसे स्टोव उपलब्ध हैं और हाँ ऐसा स्टोव भी उपलब्ध है जिससे आप अपने Electronic Gadgets को भी चार्ज कर सकते हैं :
Kerosene Oil Stove (केरोसिन स्टोव ) : पहले जब एलपीजी नहीं हुआ करती थी तब घर की महिलाएं कोयले वाली अंगीठी या केरोसिन आयल / मिटटी का तेल , वाले स्टोव पर ही खाना बनाया करती थीं। गाँवों में तो लकड़ी और उपले वाले चूल्हे जलते थे और मुझे याद है कि हम सब भाई बहन चूल्हे के पास ही बैठ जाते थे खाना खाने को। खैर अब चूल्हा भी लगभग खत्म और ये स्टोव भी। हालाँकि हमने इस स्टोव को दो बार Use किया है तो इसके फायदे नुक्सान की बात कर लेते हैं :
Merits :
* केरोसिन आयल सस्ता पड़ता है।
* आसानी से मिल जाता है।
* ऊंचाइयों पर जमता नहीं है।
Demerits :
* स्टोव बल्की होता है और ले जाने में मुश्किल होती है
* केरोसिन आयल अब हर जगह मिलता भी नहीं है
* खाने में केरोसिन आयल की महक आती है
Wood Stove ( Fuel -Wood ) : वुड स्टोव (फ्यूल -वुड ) :
वुड स्टोव को अगर Controlled Way में यूज किया जाए तो ये कैंप फायर की तरह दिखता है। इसमें पत्ते , छोटी-छोटी लकड़ियां जला सकते हैं और ये फ्यूल आप ट्रैकिंग करते हुए इकठ्ठा करके ले जा सकते हैं। आपको पहले से कोई फ्यूल लेकर नहीं जाना होता है और जितने दिन चाहें आप रुक सकते हैं। इस स्टोव की बनावट आसान है जिसमें दो चैम्बर बने होते हैं। ऊपर आप लकड़ी जलाते हैं और नीचे के चैम्बर में फायर स्टार्टर रखते हैं। फायर स्टार्टर में आप सूखी पत्तियां , सूखी घास , कागज़ आदि यूज कर सकते हैं। आग जलाइए , ऊपर लकड़ियां रखते जाइये और खाना बनाइये , प्यार से परोसिये ! नए स्टाइल के वुड स्टोव और भी बेहतर हैं जिनमें खाना बनाने के साथ -साथ हीट और लाइट भी प्रदान करते हैं और Biolite का वुड स्टोव तो इससे भी आगे है जो हीट से इलेक्ट्रिक करंट Generate करता है और आपके Electronic Gadgets को चार्ज भी करता है। वुड स्टोव का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इसका फ्यूल आसानी से और मुफ्त में मिल जाता है। लेकिन दिक्कत ये है कि भारत में हिमालय रेंज में ट्री लाइन लगभग 2500 मीटर की ऊंचाई पर पहुँचते -पहुँचते खत्म होने लगती है , इसलिए लकड़ी नहीं मिल पाती या फिर आपको नीचे से ही पर्याप्त मात्रा में लकड़ी इकट्ठी करके ले जानी पड़ेगी।
Merits :
* Use करना आसान है
* पैक्ड फ्यूल की जरुरत नहीं पड़ती
* जलते समय आवाज नहीं करता
* फ्यूल की कोई लीकेज / बर्बादी नहीं होती
* और Camp Fire का मजा मिलता है
Demerits :
* ट्री लाइन के ऊपर काम नहीं करेगा
* मानसून में लकड़ी गीली हो जाने पर काम नहीं करेगा
* एफिशिएंसी फ्यूल पर निर्भर करती है
* पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है
Biolite wood burning stove with its integrated USB charger. By BioLite [CC BY-SA 3.0 us], via Wikimedia Commons
Canister Stove : Fuel - Butane & Propane Gas : कैनिस्टर स्टोव Propane और Butane गैस के मिक्सचर पर काम करता है। इस में एक स्टोव होता है और Butane & Propane गैस का सिलिंडर होता है। स्टोव को सिलिंडर में फिट करने के तौर तरीके के आधार पर Canister Stove को दो कैटेगरी में बाँट सकते हैं : 1 . Upright Stove (अपराइट स्टोव ) - इसमें गैस सिलिंडर में इस स्टोव को चूड़ियों से कस दिया जाता है जबकि दूसरी तरह के 2. Low Profile Stove - में एक Hose Pipe, Use किया जाता है। कनस्तर स्टोव साइज में छोटे , हल्के और Easy to Use के साथ -साथ एकदम सुरक्षित होते हैं। बस नॉब खोलो , माचिस दिखाओ और खाना बनाओ। जैसे घर में करते हैं। कुछ स्टोव Piezo Igniter (पीजो इग्निटर ) के साथ भी आते हैं। सबसे अच्छी बात ये है कि नॉब से आप फ्यूल की इंटेंसिटी को कण्ट्रोल कर सकते हैं। और क्यूंकि सिलिंडर एकदम सील्ड होता है इसलिए फ्यूल रिसने का भी कोई चांस नहीं। बेस्ट है ये मेरे हिसाब से।
Upright Stove
Low Profile Stove
कनस्तर स्टोव फ्यूल में प्रोपेन और Butane या Iso Butane का मिश्रण उपयोग में लाया जाता है और इसे यूज़ करने के पीछे दो कारण हैं : पहला - रूम टेम्परेचर पर Butane , प्रोपेन से ज्यादा स्टेबल होता है और इसे आसानी से और सुरक्षित तरीके से लाइटवेट सिलिंडर में पैक किया जा सकता है , दूसरा - प्रोपेन करीब -41 डिग्री पर Vaporize होता है जबकि Butane जल्दी Vaporize हो जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि आप एक्सट्रीम कोल्ड में भी इसे यूज कर सकते हैं। ज्यादातर सिलिंडर में 10 से 30 % तक प्रोपेन गैस मिलाई जाती है Butane के साथ।
An upright canister stove, showing the proprietary fuel canister and stove. By Mikael Korpela (Own work) [CC BY-SA 3.0 or GFDL], via Wikimedia Commons
Merits :
* तुरंत ही इसका उपयोग कर सकते हैं
* छोटा और हल्का होता है
* आवाज नहीं करता
* बर्तन पर कालिख नहीं छोड़ता
* नॉब से आग की तीव्रता को कण्ट्रोल कर सकते हैं
Demerits :
* ज्यादा ऊंचाई पर हवा की स्पीड भी तेज होती है , अमूमन 60 कम /हायर जिससे इस स्टोव को कवर करना होता है और बहुत सारा फ्यूल Unused चला जाता है। हालाँकि कुछ स्टोव कवर और अपने ही पॉट के साथ आते हैं।
* रिफिल हो जाता है लेकिन रिफिलिंग सेंटर बहुत कम मिलते हैं , इसलिए एक बार यूज करने के बाद फेंकना ही होता है जिससे पर्यावरण को नुक्सान होता है
* महंगा पड़ता है
* सिलिंडर के अंदर बचे हुए फ्यूल की मात्रा का पता नहीं चल पाता
Solid Fuel Stove : Fuel - ESBIT Hexamine
सॉलिड फ्यूल स्टोव , द्वितीय विश्व युद्ध में विकसित किये गए थे जिससे सैनिकों को गर्म खाना और चाय /कॉफ़ी मिल सके। इसमें ESBIT यानि Hexamine फ्यूल Use किया जाता है जो धुआंरहित , हाई एनर्जी फ्यूल माना जाता है। Hexamine की 15 ग्राम की टिकिया आती है जो करीब 12 मिनट तक जलती है और आधा लीटर पानी गरम कर देती है। इसका जो स्टोव होता है वो बहुत ही साधारण और हल्का होता है। इसमें बस आपको स्टोव खोलना है , ESBIT की टेबलेट रखनी है , माचिस से टेबलेट को आग जलानी है और हो गया काम ! आसान है न ? लेकिन इसके साथ एक दिक्कत है कि Hexamine जलते समय दुर्गन्ध छोड़ता है और बर्तन को काला भी करता है और भारत में ESBIT की टेबलेट्स आसानी से मिलती भी नहीं है इसलिए इनकी जगह अल्कोहल या कपूर की टेबलेट्स का उपयोग करते हैं। कपूर या पैराफिन की Tablets आसानी से मिल जाती हैं। हमारे यहां Caters भी खाना गरम बनाये रखने के लिए इनका यूज करते हैं। ये स्टोव हल्के होते हैं और कुछ नए डिज़ाइन के स्टोव में आग की तीव्रता को रेगुलेट भी किया जा सकता है।
Merits :
* एकदम हल्का और छोटा स्टोव होता है
* इसका फ्यूल यानी कपूर की टेबलेट्स ज्यादा महँगी नहीं होतीं
* पूरा सिस्टम सस्ता पड़ता है
* फ्यूल को रखने के लिए कुछ अलग इंतेज़ाम नहीं करने होते
Demerits :
* आग की तीव्रता ज्यादा नहीं होती मतलब स्लो कुकिंग होती है
* आग की तीव्रता को घटाया / बढ़ाया नहीं जा सकता
* बर्तन पर कालिख छोड़ती है
* ESBIT फ्यूल भारत में नहीं मिल पाटा जिसके वजाय कप्पोर का उपयोग करना पड़ता है
* कभी -कभी पूरा फ्यूल नहीं जल पाता !
पढ़िए और अगर आप कुछ कहना चाहें तो आपका बहुत स्वागत !!