सोमवार, 27 मार्च 2017

Hawa Mahal : The Pink City Jaipur



अगर आप घूमने जाने की योजना बनाने में भरोसा रखते हैं तो आप पूरे साल में पड़ने वाली छुट्टियों का हिसाब किताब पिछले साल के नवम्बर से ही लगाना शुरू कर देते हैं ! यही अपना हाल है , 2017 में पड़ने वाली छुट्टियां और उनका हिसाब किताब जैसे ही नवम्बर 2016 में नया कैलेंडर आया , लगाना शुरू कर दिया ! पहली सेटिंग जनवरी में ही बन रही थी ! 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की छुट्टी है और दिन है वृहस्पतिवार ! शुक्र -शनि की छुट्टी ले लो तो चार दिन बन जाएंगे ! हालाँकि मेरी शनिवार की छुट्टी रहती है लेकिन पहले -तीसरे की और ये वाला चौथा शनिवार था तो दो छुट्टी लेनी पड़ेंगी और दिन मिल रहे हैं चार ! विचार था जैसलमेर जाने का लेकिन बच्चों का मन था जयपुर घूमने का भी , मैंने तो तीन चार बार घूमा हुआ है जयपुर ! कुछ दिन , मतलब 15 -20 दिन रहा हूँ वहां अपने कॉलेज के दिनों में ! असल में बुआ जी थीं मेरी वहां और फूफा जी हाईकोर्ट में थे ! बुआ जी थीं , मतलब अब नही हैं और ये भी एक दुखद पल था कि जब वो अपनी अंतिम सांसें गिन रही थीं , मैं उनके पास ही था हॉस्पिटल में ! दुखद था वो पल , वो समय ! खैर अब फूफा जी वहां नही रहते और बुआ जी को इस दुनिया से गए हुए भी 17 -18 साल हो गए ! स्मृतियाँ भी धुंधली होने लगी हैं ! लेकिन जब वापस एक बार जयपुर की सड़कों पर पहुंचा तो वो दिन जरूर याद आने लगे जब ज्योति नगर से साइकिल लेकर जाने कहाँ कहाँ घूमता फिरता रहता और जब तक वापस घर नही पहुँचता , बुआ की जान गले में अटकी रहती ! जब ज्योति नगर की तरफ साइकिल मुडती तो बर्फ का गोला बेचने वाला तब तक आ चुका होता और मैं घर में तभी घुसता जब वो गोला और उसके "पदचिन्ह " मुंह से बिल्कुल साफ़ हो जाते ! असल में गांव से पिताजी का बुआ को स्पष्ट निर्देश था कि ये "लड़का " दोपहर में बर्फ खा लेता है और फिर बीमार पड़ जाता है ! ये अलग बात है कि फूफा जी हर शाम को "वाडीलाल " की आइसक्रीम जरूर खिलाते थे ! यूँ भी मैं उस वक्त "बीमारू बच्चा " की श्रेणी में ही था ! आइसक्रीम ( बर्फ बोलते थे ) बंद , रायता बंद , चावल बंद ! चलिए आज फिर से उन सड़कों पर चलते हैं जिसे दुनियां "गुलाबी शहर " कहती है !



तो पहले जयपुर चलेंगे , वहीँ से जैसलमेर जाएंगे ! गाज़ियाबाद से जयपुर की एकाध ही ट्रेन है जिनमें से मुझे योगा एक्सप्रेस सही लगी ! रात को 9 बजे ग़ाज़ियाबाद आती है हरिद्वार से और चार -साढ़े चार बजे जयपुर पहुंचा देती है ! हालाँकि दिल्ली से बस -ट्रेन बहुत हैं लेकिन कौन दिल्ली जाए ? यहीं से ठीक है ! ये 25 जनवरी 2017 है बाबू , भयंकर सर्दी का दिन है उत्तर भारत में,  तो ट्रेन भी लेट होनी ही है , कोहरे की वजह से ! 50 मिनट लेट आई , कोई नही ! इतना तो चलता है ! दिल्ली पहुँचते पहुँचते बढ़िया वाली बारिश होने लगी और ये कमबख्त बारिश अगले दिन तक चलती रही ! पता नहीं ट्रेन के ड्राइवर ने ट्रेन कितनी तेज़ चलाई कि लगभग सही समय पर जयपुर पहुँच गए ! चाय वाय पीकर और फ्रेश होकर स्टेशन पर क्लॉक रूम में सामान रखकर निकल लिए हमारे व्हाट्स एप्प मित्र देवेंद्र कोठारी जी से मिलने ! मन था कि जयपुर मेट्रो में चलेंगे ! रेलवे स्टेशन के पास में ही है मेट्रो स्टेशन ! अभी केवल एक ही रूट है मेट्रो का यहां जो बड़ी चौपड़ (जयपुर का हृदय स्थल ) से मानसरोवर तक है ! लेकिन जब हम मैट्रो स्टेशन पहुंचे तब तक उसका मुख्य गेट भी नही खुला था ! आज हम शायद पहले यात्री थे ! जयपुर मेट्रो अभी अपने बाल्यकाल में है इसलिए आपको स्टेशन और प्लेटफार्म पर कबूतरों की बीट के "दर्शन " जहाँ तहाँ मिलते रहेंगे ! पहुँच गए कोठारी जी के यहां , वहीँ एक और मित्र रजत शर्मा भी आ गए थे , खूब बातें और खूब खातिरदारी हुई ! धन्यवाद कोठारी जी ! बच्चों ने जमकर धमाचौकड़ी मचाई !

चलते हैं जयपुर देखने , लेकिन बारिश चालू है अभी भी ! हवा महल चलेंगे पहले ! बारिश जोरों से होने लगी है और पूरा मजा किरकिरा कर रही है , बाकी जोश हवामहल की टिकेट ने खराब कर दिया ! 100 रूपये का टिकेट है यार , हद्द है ! सारा खर्चा पानी हमसे ही निकालोगे क्या ? चलो जी अब आये हैं तो देख कर ही जायेंगे !!


कोठारी जी के साथ









ऐसे किवाड़ पहले हमारे गांव में होते थे ( These colorful Doors were used in Villages ) 



मौसम कुछ साफ़ हुआ है( Now Sky is clear enough)






अँखियों के झरोखों से तुझे देखा जो सांवरे..........


















आगे जारी रहेगा:

मंगलवार, 21 मार्च 2017

Places to visit around Kashmiri gate : Delhi

सोच के चलिए कि आप पुरानी दिल्ली में हैं और आपके पास चार -पांच घंटे हैं ! आपकी ट्रेन के समय में चार -पांच घंटे बाकी हैं , तो क्या करेंगे आप ? दो चीजें हैं , या तो आप स्टेशन पर बैठकर चाय पीते हुए , अखबार मैगजीन पढ़ते हुए टाइम पास करेंगे या फिर मोबाइल में गेम खेलेंगे ! मुफ्त का Wi -Fi मिल गया तो अपने फोन के सारे एप्प्स अपडेट करेंगे और नेट चलाएंगे ! लेकिन इन सबके अलावा अगर आप चाहते हैं कि इस "स्पेयर टाइम " में कुछ देख लिया जाए , दिल्ली का इतिहास खंगाल लिया जाए तो कश्मीरी गेट बस स्टैंड और मेट्रो स्टेशन के आसपास बहुत कुछ है देखने लायक जो आपको 1857 से लेकर 1947 तक की यादें ताजा कर देगा ! तो चलना चाहेंगे आप ? मेरे जैसे "आवारा" आदमी के साथ चलते हुए आपको एक बारी गुस्सा तो आएगा कि कहाँ ले आया लेकिन जब आप वहां पहुंचेंगे तो आपको विश्वास दिलाता हूँ कि आपको निराश नहीं होना पड़ेगा ! तो निकलते हैं कश्मीरी गेट मैट्रो स्टेशन से बाहर और देखते हैं कि कहाँ कहाँ जा सकते हैं ! मैं यहाँ बेस मेट्रो स्टेशन लेकर चल रहा हूँ और उसी के आधार पर वृतांत लिख रहा हूँ :



Kashmiri gate (कश्मीरी गेट) :
सबसे पास में कश्मीरी गेट है ! जैसे ही आप मैट्रो स्टेशन से बाहर आते हैं , गेट नंबर 1 से तो बाहर रिट्ज सिनेमा हॉल है उसके सामने ही कश्मीरी गेट है ! बड़ा कंफ्यूजन हो रहा है , वहां एक लिखित पत्थर पर लिखा है कि इसे शाहजहां ने बनवाया जबकि इन्टरनेट पर उपलब्ध आंकड़े कहते हैं कि इसे सन 1835 ईसवी में मिलिट्री इंजीनियर रॉबर्ट स्मिथ ने बनवाया ! दिल्ली को दीवारों से घेरने के लिए उसने चार गेट बनवाये जिसमें कश्मीरी गेट उत्तर दिशा में बनवाया गया और क्योंकि यहीं से कश्मीर के लिए रोड निकलती थी इसलिए इसका नाम "कश्मीरी गेट " हुआ ! वहां निर्माण कार्य चल रहा था इसलिए मुझे अंदर नही जाने दिया और बाहर से ही फोटो खींच लिए ! कश्मीरी गेट को सन 1857 के आंदोलन में आंदोलनकारियों को शहर में रोकने के लिए उपयोग में लाया गया और धीरे धीरे इस जगह को अंग्रेजों ने खाली कर के सिविल लाइन्स में अपने ठिकाने बना लिए ! चलेंगे सिविल लाइन भी !


James Church (जेम्स चर्च) :
कश्मीरी गेट से आगे चलते जाइये , ये लुथिअन रोड है ! मेट्रो से जब आप बाहर आते हैं तो कश्मीरी गेट जाने के लिए रोड क्रॉस करने होती है और अब जेम्स चर्च जाने के लिए फिर से रोड क्रॉस करनी पड़ेगी ! कश्मीरी गेट सीधे हाथ पर है जबकि चर्च बाएं हाथ पर है ! मैं शनिवार दिनांक 18 मार्च 2017 को गया था ! दोपहर का समय होगा 3 बजे के आसपास का , पूरे चर्च में और उसके आसपास सफाई चल रही थी , अंदर जाने के लिए मना करने लगा चौकीदार ! रिक्वेस्ट मारी तो सिर्फ इस शर्त पर अंदर जाने दिया कि चर्च में अंदर नही जाऊँगा , कोई बात नही मुझे कौन सा पूजा करनी है ! इनका कल चर्च लगेगा , संडे है न कल !

सेंट जेम्स चर्च को "स्किनर चर्च " भी कहते हैं जिसे सन 1836 ईसवी में कर्नल जेम्स स्किनर ने बनवाया था ! इस चर्च में भारत के तब के वाइसराय तब तक आते रहे जब तक कि सन 1931 में रकाबगंज में दूसरा चर्च नही बन गया ! चर्च के पीछे ही तब के दिल्ली के कमिश्नर विलियम फ़्रेज़र का मकबरा भी है ! इस चर्च के टॉप पर लगे क्रॉस और कॉपर बॉल वेनिस के चर्च जैसे हैं , हालाँकि इन्हें 1857 के ग़दर में तोड़ दिया गया था लेकिन फिर से उसी रूप में व्यवस्थित कर दिया गया ! अच्छी जगह है , कुछ देर देखने लायक !


Nicholson Cemetery (निकोल्सन समेट्री) :
मैं परेशान हुआ इस जगह को ढूंढने में , इसलिए नही चाहता कि आप भी मेरी तरह परेशान हों ! दो तीन तरीके से आप यहाँ बिना किसी झंझट के , बिना किसी से कुछ पूछे पहुँच सकते हैं ! पहले बात तो ये कि अगर आप मेट्रो स्टेशन से बाहर निकलते हैं तो गेट नंबर -1 से मत निकलिए बल्कि गेट नंबर -4 से बाहर निकलिए ! जैसे ही आप बाहर निकलेंगे , चार कदम चलकर सीधे हाथ पर ही निकोल्सन सीमेट्री है ! सिमेट्री मतलब कब्रिस्तान ! आप कहोगे मैं पागल हूँ क्या ? कब्रिस्तान क्यों गया ? अघोरी या तांत्रिक नही हुआ :-) ! दूसरा तरीका है पैदल पैदल पैरों को कष्ट देते हुए "ओबेरॉय अपार्टमेंट " पहुंचिए , उसके पीछे ही ये कब्रिस्तान है ! और हाँ , किसी को पूछने की जरूरत आ भी जाए तो सिमेट्री मत पूछिए , ईसाई कब्रिस्तान पूछिए ! ISBT बस स्टैंड के सामने से चलते जाइये , बाएं हाथ की तरफ बस रूट 883 का स्टैंड है यहाँ ! बता दिया , मन करे तो जा सकते हैं , कोई दिक्कत नही आएगी ! अब जरा इसके इतिहास की भी बात कर लेते हैं और उनके इतिहास , उनकी सत्ता , उनकी हनक की भी बात कर लेते हैं जो यहाँ चिरनिद्रा में सोये पड़े हैं !


मैं जैसे तैसे निकोल्सन सिमेट्री के गेट पर पहुँच गया ! गेट धीरे से खोला तो सामने सरकारी नल पर एक महिला और एक लड़की कपडे धो रहे थे ! मैं बायीं तरफ एक छतरी के नीचे बनी सीमेंट की कुर्सियों पर बैठ गया ! कुर्सियां ही कहेंगे न उन्हें ? जो पार्क में भी लगी रहती हैं , रेलवे स्टेशन पर भी होती हैं ! मुझे और नाम नही पता , आपको पता हो तो बता देना , अभी के लिए कुर्सी ही कह देता हूँ ! तो जी मैं उधर बैठ गया और अपने कैमरे की मेमोरी खाली करने लगा ! जैसलमेर और मुरैना के फोटो अभी तक पड़े थे ! पानी के दो घूँट मारकर खड़ा हुआ तो गाडी में से एक आदमी निकल कर आया , कुछ नही कहा , न उसने न मैंने ! सोया पड़ा होगा ! कैमरा लेकर फोटो खींचने लगा तो उनमे से एक औरत बोली -यहाँ फोटो नही खींच सकते ! मना है , बोर्ड देख लो ! बोर्ड पर फोटो लेने के मनाही लिखी थी ! मैंने कहा तो फिर नेट पर फोटो कैसे आ जाते हैं ? बोली -वो अँगरेज़ खींच लेते हैं , उन्हें फोटो लेने की इजाजत होती है ! वाह ! देश मेरा , जमीन मेरी और अँगरेज़ फोटो खींच सकता है मैं नही ! ऐसा मन में कहा और चल दिया ! आगे मत जाओ - मना है ! हाँ , नही जा रहा बस इधर उधर होकर आता हूँ ! चल दिया मैं आगे की तरफ ! अब तू रोक के दिखा ! आज ही निकोल्सन की आत्मा का परिचय तेरी आत्मा से करा दूंगा ! हालाँकि ऐसी नौबत नही आई और वो अपने काम में लग गई मैं अपने काम में ! अपना काम मतलब फोटो खींचने में ! आगे एक माली और एक आदमी और मिला ! इतने बड़े कब्रिस्तान में बस दो ही लोग ! उनमें से भी एक अपने पूर्वजों की आत्मा से मिलने आया था !


जनरल जॉन निकोल्सन 35 साल की उम्र में 1857 में मार दिया गया था ! उसी की याद में ये कब्रिस्तान बनवाया गया था जहां ऊपर की तरफ ब्रिटिश लोगों की कब्र हैं और नीचे हिंदुस्तानी ईसाईयों की ! ऊपर जो कब्र हैं उन पर बहुत कुछ लिखा हुआ है जैसे कोई प्रेम सन्देश , जन्म तिथि , मरण तिथि ! कुछ छोटे छोटे बच्चों की भी कब्र हैं जो इमोशनल कर देती हैं ! ऊपर एक भारतीय ईसाई की भी कब्र है जो यसुदास रामचंद्र की है जो दिल्ली कॉलेज में गणित के प्रोफेसर रहे ! इन कब्रों पर लिखे सन्देश देखकर आँखें भर आती हैं लेकिन इन कब्रों को जो अलग अलग रूप दिए गए हैं वो बहुत आकर्षित करते हैं ! भारतीय ईसाईयों की कब्र ज्यादातर एक ही रूप में हैं , एक काला मार्बल का आयताकार टुकड़ा कुछ लिखकर सीमेंट से लगा दिया गया है ! एक कुत्ते या शायद भेड़ की कब्र देखकर जरूर आश्चर्य हुआ लेकिन वो बहुत दूर थी और रास्ते में बेतरतीब झाड़ियां , इसलिए उसकी केवल फोटो ही ले पाया , ज्यादा मालूमात नहीं है मुझे उसके बारे में !

तो तैयार ? इस भुतहा जगह जाने के लिए !!

आइये फोटो देखते हैं : 

ये फोटो नेट से उठाई है ! मालुम नही किसकी है





James Church @ Kashmiri Gate , Delhi

James Church @ Kashmiri Gate , Delhi, It is believed that its Cross & Copper ball are replica of Venice Church



Nicolson Cemetery @ Civil Line , Near Kashmiri Gate



ये एक बच्चे की कब्र है जिसने उदास कर दिया

ये भारतीय ईसाईयों की कब्र हैं





ये भारतीय ईसाईयों की कब्र हैं







This Grave belons to Indian Mathematician Yesudas Ramchandra



Look at its shape & design




This  grave is of Sheep or dog ??