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हल्दीघाटी और नाथद्वारा , उदयपुर से एक दिन में आना जाना आराम से हो जाता है। इस बीच आप कुछ समय एकलिंगजी के दर्शन में भी व्यतीत कर सकते हैं। हमें क्योंकि आगे चित्तौड़गढ़ की यात्रा करनी थी इसलिए नाथद्वारा से वापस उदयपुर लौट आये ! बस स्टैंड पर उतरने के बाद सीधे "शानदार " खाना खज़ाना पर गुजराती थाली का मजा लिया और सीधे होटल। नींद कब आ गयी कुछ पता नही लेकिन पता नहीं छोटे बेटे को कैसे एकदम करीब 2 बजे उल्टी हो गयी। ओह ! 2 घंटे परेशान रहा , हालाँकि दवाइयाँ हमारे साथ थीं लेकिन जब तक वो दोबारा सो नही गया तब तक बहुत ज्यादा तनाव बना रहा। भगवान की कृपा से बहुत ज्यादा परेशान न हुआ और सुबह आठ बजे एकदम फ्रेश लग रहा था लेकिन इस चक्कर में हमारा कार्यक्रम बदल गया। पहले हमें बहुत सुबह उदयपुर से बस से चित्तौड़गढ़ जाना था लेकिन अब पैसेंजर ट्रेन से निकलेंगे।
तो आइये अब उदयपुर को बाय बाय कहते हैं और चित्तौड़गढ़ के लिए निकलते हैं। लिखना नहीं है आज की यात्रा में कुछ भी , बस फोटो देखते जाइए और यात्रा का आनंद लीजिये ! बाय बाय उदयपुर :
उदयपुर रेलवे स्टेशन से दूरियां बताता साइन बोर्ड |
जहां जगह मिली , वहीँ सो गया ! स्टेशन की छत है है बाबू |
इसमें हर कोच को अलग अलग नाम दिया जाता है ! डूंगरपुर सैलून , जोधपुर सैलून आदि। ये सब राजस्थान की रियासतों के नाम रहे हैं |
देबारी स्टेशन के ही पास ये महल जैसा कुछ दिखा तो क्लिक |
भूपाल मेवाड़ में एक राजा हुए हैं शायद उन्हीं के नाम पर होगा |
आ गया चित्तौड़गढ़ लेकिन कैमरे की बैटरी ख़त्म ! इसलिए उधार लिया है ये फोटो |
अब आगे आपसे सांवरियां जी के मंदिर में मिलेंगे !
तब तक बोलिए राम राम !
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