सोमवार, 1 मई 2017

From Jaipur to Jaisalmer

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कितने मन से जयपुर का प्लान बनाया था लेकिन बारिश ने सब धो दिया ! जल महल पर जैसे तैसे समय गुजारकर अब और इतना समय नहीं बच रहा था कि कुछ और देख लिया जाए ! पांच बज रहे थे और आज 26 जनवरी है , मतलब ठण्ड है ! अब बस ये हो सकता है कि प्लैनेटेरियम चलते हैं ! शायद नेहरू तारामंडल नाम है इसका ! मैंने लगभग 20 साल पहले देखा था , तब यहां पूरा ब्रह्माण्ड दिखाते थे और अच्छा लगता था कि Neptune और Uranus कितने दूर हैं , हम कौन से ग्रह के पास हैं , फलां फलां ! अब अपने बचपन को बच्चों के बचपन में ढूंढने की कोशिश करता हूँ ! जल महल से ऑटो लिया और चल दिए ! 150 रुपया लगा ! पहुँच गए ! लास्ट शो शुरू होने में 10 मिनट हैं अभी, तब तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (ISRO ) की महान उपलब्धियों के फोटो देख लेते हैं ! अच्छा लगता है अपने देश को आगे बढ़ते हुए देखना ! लेकिन कुछ नामुराद ऐसे भी हैं जो भगवान राम और कृष्ण की इस पावन धरती को लहू लुहान कर देना चाहते हैं ! खैर , हमारी सेना इतनी सक्षम है कि इन "हरामियों " को नेस्तनाबूद कर सकती है ! समय हो गया है अंदर जाने का ! 50 रूपये का टिकेट है और यहां बच्चों को कोई छूट नहीं मिली , कुल 200 रुपया की लग गई ! कैमरा ले तो जा सकते हैं लेकिन फोटो या विडिओ नहीं बना सकते ! मंगल ग्रह पर भारत के यान की यात्रा दिखाई , जो ऑटो से भी कम , 7 रूपये प्रति किलोमीटर के खर्चे में मंगल पर पहुंचा ! सच कहूं तो मजा नहीं आया !


बाहर निकले , कैंटीन पहुंचे तो वहां लगे होर्डिंग्स पर नजर गई ! अरे , आज यहाँ "तारक मेहता " आ रहा है मतलब शैलेश लोढ़ा ! जो शैलेश लोढ़ा को न जानते हों उनके लिए बता दूँ कि शैलेश लोढ़ा एक जाना माना कवि है और अभिनेता भी ! SAB टीवी के प्रोग्राम " तारक मेहता का उल्टा चश्मा " में तारक मेहता का किरदार निभाते हैं ! अब वो आ रहा है तो देखना बनता है ! यहां गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में " कवि सम्मलेन " है जिसमें शैलेश के अलावा पवन आगरी और कुछ अन्य अनजान से चेहरे आ रहे हैं ! पहुँच गए ! दो फायदे हुए , एक तो बारिश से बचे और दूसरा थकान में भी कुछ आराम मिला ! सात बजे शुरू होना था , औपचारिकताएं होती रहीं ! शैलेश नहीं आया , फ्लाइट लेट हो गई है लेकिन अब हम और लेट नहीं होना चाहते ! खाना खाना है और फिर स्टेशन निकलना है ! आज ही रात को जैसलमेर की ट्रेन से जैसलमेर जाना है !


रात में दो घंटे की देरी से जैसलमेर की ट्रेन आई , ऊँघते से अपनी सीट पर पहुंचकर फिर लंबलेट हो गए और आँख जोधपुर के आसपास खुली ! फिर आगे पोखरण आया , कुछ खाया कुछ लेकर आया ! पोखरण निकला तो एक आदमी आया ! बात करते हुए पता चला कि होटल बुक करने वाला है ! कार्ड दिया और रूम का किराया बताया 400 रुपया ! मुझे अंदाजा नहीं ​था कि जैसलमेर में "पीक सीजन " में इतना सस्ता रूम मिल जाएगा ! कोई नहीं , ले लेते हैं ! ज़रा ध्यान से पढियेगा आगे की बात ! जैसलमेर उतरे , तो हमें गाडी मिल गई उसी आदमी की ! नंबर बता दिया था उसने हमें पहले ही ! 10 मिनट में होटल ! मैं एंट्री करने ऑफिस में घुसा तो वहां एक मोटा -तगड़ा आदमी बैठा था ! एंट्री कर देता हूँ - कोई नहीं सर कर देना ! पहले आप फ्रेश हो लो ! मर्जी भाई ! रूम में पहुँच गए -पानी मिल गया ! फ्रेश हो लिए ! एक घंटे से ज्यादा बीत गया , चलो अब एंट्री कर आता हूँ ! ऑफिस में पहुँच गया ! एंट्री हुई ! सर आप 800 रूपये दो ! काहे बात के ? 400 में बात हुई थी मेरी ! मुझसे तो नहीं हुई -जिससे हुई उससे बोलो ! आप 800 वाले रूम में रुके हैं ! अब यहाँ न वो आदमी था जिससे बात हुई तो क्या करता ! ठीक है भाई , मैं कोई और होटल ले लूंगा ! तब आपको 200 रूपये देने पड़ेंगे ! ये किस बात के ? आपने हमारा बाथरूम यूज़ किया है ! बहुत बढ़िया !! तो ये बात थी जो वो आदमी पोखरण से ही "मुर्गा " ढूंढना शुरू कर देता है ! आखिर 600 रूपये में बात बनी ! और ये होटल था "सम्राट होटल " ! आप भी अगर कभी जैसलमेर जाएँ तो ध्यान रखियेगा ! मेरी तरह कम से कम आप न ऐसे पचड़े में पड़ें , बस यही बताना चाहता था !

जैसलमेर पहुँच गए हैं और अब नहा धोकर "सोनार किला " देखने चलेंगे लेकिन उसकी बात अगली पोस्ट में करेंगे ! आइये तब तक जयपुर और जैसलमेर के कुछ फोटो देखते चलते हैं : 









ये शायद स्टेचू सर्किल है ! ये रोज़ ही ऐसे चमकता है या आज 26 जनवरी के दिन ही ये सजावट हुई है ?

जैसलमेर पहुँच गए ! दोपहर हो चुकी है , बहुत गर्मी है

जैसलमेर पहुँच गए




ऐसे डिज़ाइन की , अद्भुत डिज़ाइन की बहुत सी चादरें देखने को मिली




ऐसे डिज़ाइन की , अद्भुत डिज़ाइन की बहुत सी चादरें देखने को मिली


जैसलमेर के घरों की दीवारों पर ऐसे लिखा होता है , और शायद राजस्थान के और भी शहरों में 

 
आगे जारी रहेगी 

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