सोमवार, 18 मई 2015

कीर्ति स्तम्भ : चित्तौड़गढ़

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मीरा मंदिर , कुम्भ श्याम मंदिर के दर्शन करने के बाद उस प्रांगण से बाहर निकल कर आया तो सामने ही जैन मंदिर भी था । उसके भी बाहर से ही फोटो ले लिए। असल में मैं बहुत ज्यादा धार्मिक नहीं हूँ , बस भगवान के सामने हाथ जोड़कर निकल लेता हूँ। जैन मंदिर के बराबर से ही एक रास्ता कीर्ति स्तम्भ की तरफ चला जाता है। लेकिन इस रास्ते पर आपको बहुत कम लोग जाते हुए दिखाई देते हैं। या तो उन्हें पता नही है कि अभी एक और स्तम्भ है या फिर वो इतने थक और पक चुके होते हैं कि अब आगे जाने का मन नही होता। रास्ते के दोनों तरफ सीताफल के पेड़ लगे हुए हैं जिन पर उस वक्त छोटे छोटे सीताफल दिखाई भी दे रहे थे। पैदल पैदल चलता गया।


विजय स्तम्भ और कीर्ति स्तम्भ नाम से एक दुसरे के पूरक लग सकते हैं लेकिन दोनों अलग अलग समय और अलग ऊंचाई के बने हुए हैं ! कीर्ति स्तम्भ , विजय स्तम्भ से पहले का बना हुआ है। कीर्ति स्तम्भ 12 वीं सदी का बना हुआ है जबकि  विजय स्तम्भ 15 वीं सदी का है। कीर्ति स्तम्भ मात्र 22 मीटर ऊँचा है जिसे जैन व्यापारी साह जीजा भगेरवाला ने रावल कुमार सिंह के शासनकाल में 12 वीं शताब्दी में जैन धर्म की शान में बनवाया था। अगर इतिहास उठाकर देखें तो पता चलता है कि चित्तोड़ किसी जमाने में जैन धर्म  का बहुत प्रसिद्द केंद्र हुआ करता था।


कीर्ति स्तम्भ का आधार 30 मीटर चौड़ा है और ऊपर जाते जाते इसकी चौड़ाई 15 मीटर रह जाती है। कीर्ति स्तम्भ , प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। इसमें अंदर जाने का मौका तो नही मिला क्योंकि इसमें जो एक दरवाजा दिखाई दे रहा था वो बंद था और उसके पास में एक चौकीदार भी बिठा रखा था। मालुम नही बंद दरवाजे पर चौकीदार क्या कर रहा था लेकिन थोड़ी देर बाद वहां से कहीं निकल गया। सोलंकी शैली में बने इस स्तम्भ की कुल सात मंजिलें हैं। और इसमें जो दीवारें बनी हुई हैं उन पर जैन तीर्थंकरों के चित्र लगे हुए हैं , ऐसा कहा जाता है ! मैंने अपनी आँखों से नही देखा। इसकी दूसरी मंजिल पर भगवान आदिनाथ की शानदार प्रतिमा भी लगी हुई है।


कीर्ति स्तम्भ के ही बिल्कुल पास में एक और जैन मंदिर है। उसके विषय में ज्यादा जानकारी मुझे तो नही मालुम। न वहां ऐसा कुछ लिखा है जिससे जानकारी जुटाई जा सके और न ही इंटरनेट पर इस मंदिर के विषय में कुछ लिखा गया है ! हाँ , बस उसका नाम मालुम है ! इस मंदिर का नाम है सात बीस देवरिया दात और ये जैन धर्मवलम्बियों के लिए एक प्रसिद्द स्थान माना जाता है।


आइये फोटो देखते चलते हैं :



इसे सीताफल ही कहते हैं न ?
इसे सीताफल ही कहते हैं न ?



ये वो जैन मंदिर ! कीर्ति स्तम्भ के पास ही है



ये वो जैन मंदिर ! कीर्ति स्तम्भ के पास ही है
थोड़ी दूर से तस्वीर ली थी ! अच्छी लग रही है ?

थोड़ी दूर से तस्वीर ली थी ! अच्छी लग रही है ?


ये फ़तेह प्रकाश पैलेस दिखाई दे रहा है

कीर्ति स्तम्भ से ऐसा दीखता है विजय स्तम्भ
​इस दरवाजे में नीचे भी जा सकते हैं ! दोनों तरफ किले की बहुत  मोटी  और गहरी दीवार बनी हैं
ये हैं वो दीवार

ये रास्ते में बना हुआ है ! कलाकृति देखिये !!
ये रास्ते में बना हुआ है ! कलाकृति देखिये !!




                                                                                                       फिर मिलेंगे ! राम राम

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