बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

उदयपुर : सिटी पैलेस


इस ब्लॉग यात्रा को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें !
 
मेवाड़ जितना समृद्ध आज दीखता है उतना ही समृद्ध पहले भी रहा होगा ! अगर आप उनके बनाये हुए किले और महल देखें तो उस वक्त के मेवाड़ की झलक और कल्पना आँखों में तैरने लगती है ! इसी समृद्ध स्थान को देखने के लिए हमने सहेलियों की बाड़ी और सुखाड़िया सर्किल के बाद सीधा रुख किया सिटी पैलेस का ! आइये सिटी पैलेस चलते हैं और उसके विषय में जानते हैं !

उदयपुर का प्रसिद्द सिटी पैलेस लगभग 400 वर्ष बूढा हो चला है ! इसे महाराणा उदय सिंह ने 1559 में बनवाना शुरू किया और फिर उनकी मृत्यु के बाद और राजाओं ने इसके निर्माण को जारी रखा ! अरावली पहाड़ियों में लेक पिछोला के पास बने इस भव्य महल के पीछे एक किवदंती हवा में फैली हुई सी रहती है ! महाराणा उदय सिंह जब लेक पिछोला ( उस वक्त तो ये गन्दी संदी सी कोई पोखर ही रही होगी ) के आसपास शिकार के लिए गए हुए थे तब उन्हें यहां एक पहाड़ी पर साधू महाराज तपस्या करते हुए मिले ! महाराणा ने उन्हें प्रणाम कर आशीर्वाद लिया तो साधू ने उन्हें बताया कि तुम्हारे बुरे दिन शुरू होने वाले हैं इसलिए बेहतर है कि अपनी राजधानी चित्तोड़ से यहां ले आओ ! महाराणा उदय सिंह ने उनकी बात का ध्यान रखते हुए अपनी राजधानी को चित्तोड़ से उदयपुर ले जाने का फैसला कर लिया ! एक ज्ञान की बात ये भी है कि चित्तोड़ आने से पहले उनकी राजधानी उदयपुर के पास नागदा में थी। चित्तोड़ से लगभग 80 साल शासन चलाने के बाद सिसोदिया वंश के महाराणा उदय सिंह को जब लगने लगा कि वो चित्तोड़ पर मुगलों के हाथों अपना शासन गंवा सकते हैं तब उन्होंने राजधानी उदयपुर ले जाने का निश्चय कर लिया ! और वहां उन्होंने सिटी पैलेस के निर्माण की नींव रखी जिसमें सबसे पहले उन्होंने शाही आँगन " राय आँगन " बनवाया ! सन 1572 ईस्वी में महाराणा उदय सिंह की मृत्यु के बाद परमवीर महाराणा प्रताप ने शासन संभाला और सिटी पैलेस का निर्माण अनवरत जारी रहा ! उनके बाद भी इसकी भव्यता को और राजाओं ने भी चार चाँद लगाने में कोई कसर बाकी नहीं रहने दी !

सन 1736 ईस्वी में मराठाओं ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया और ज्यादातर माल लूट खसोट लिया और उसके साथ ही इस भव्य महल को तहस नहस कर दिया ! इसके बाद किसी ने भी इस महल की सुध नहीं ली ! लेकिन जब अंग्रेज़ों की नजर इस अनमोल खजाने पर पड़ी तो उन्होंने इसका पुनर्निर्माण कराया और उसे आज के समय की भव्यता प्रदान करी ! भारत जब आज़ाद हुआ और सरदार पटेल के नेतृत्व में 1949 में रियासतों को भारत गणराज्य में सम्मिलित किया गया तो मेवाड़ भी राजस्थान की अन्य रियासतों के साथ भारत में शामिल हो गया और इसके साथ ही महाराणा उदय सिंह के वंशजों ने इस महल पर अपना अधिकार खो दिया लेकिन कालांतर में उन्होंने कोर्ट के माध्यम से और ट्रस्ट बनाकर इसे वापस अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया !

सिटी पैलेस क्योंकि निजी हाथों में है और उदयपुर जाने वाला हर कोई व्यक्ति इसे अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करता है तो मुझे लगता है इसी का फायदा उन लोगों ने उठाया है ! 115 रुपये का टिकेट है एक वयस्क का और बच्चे का 55 रुपये का ! बच्चे का मतलब 5 साल से ऊपर के बच्चे का ! तो इस तरह हमें देने पड़ते 340 रूपये ! दो वयस्क और दो बच्चे ! लेकिन थोड़ी सी चोरी कर ली ! बच्चों का टिकट नहीं लिया ! सिटी पैलेस काम्प्लेक्स में एक हायर सेकण्ड्री स्कूल भी है , और जिस समय हम वहां पहुंचे , उस स्कूल के बच्चे बाहर निकल कर आ रहे थे , स्वाभाविक है भीड़ सी हो गयी और इसी चक्कर में हम अंदर चले गए ! न हमसे किसी ने बच्चों का टिकट माँगा , न हमने बताया ! पूरे 110 रूपये बचा लिए !


अंदर जाकर बहुत सी दुकानें सजी हुई हैं ! ज्यादातर इंडियन क्राफ्ट और कपड़ों की ! लोग भी वीआईपी ही अंदर जाते हैं , न मेरी हैसियत थी इतना महंगा कुछ लेने की , न मुझे जरुरत थी ! मैं नहीं गया ! महल के अंदर ज़नाना महल , मर्दाना महल भी हैं जो निश्चित रूप से महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग अलग बनवाए होंगे ! सिटी पैलेस को अगर महलों का समूह कहा जाए तो गलत नहीं होगा ! इसमें अलग अलग समय पर अलग अलग राजाओं द्वारा बनवाए गए महल हैं ! जैसे राजा अमर सिंह ने बनवाया तो अमर महल , भोपाल सिंह ने बनवाया तो भोपाल महल आदि आदि ! इस महल में महाराणा प्रताप और उनके वंशजों और पूर्वजों की आदमकद तसवीरें लगी हैं , उनका सामान रखा हुआ है ! लेकिन कैमरे की भी टिकट लगती है ! भले ही टिकट महंगा है लेकिन आप जब एक बार अंदर जाकर इसकी खूबसूरती और इसकी भव्यता देखते हैं तो निस्संदेह टिकट भूल जाते हैं !


इसी सिटी पैलेस में घूमते वक्त एक जापानी पर्यटक से मुलाकात हो गयी ! जापानी पर्यटक स्वभाव से बड़े शर्मीले और एकांतवासी होते हैं ! इन्हें आप आसानी से पहिचान भी सकते हैं ! इनका मुंह थोड़ा चपटा सा और येल्लोयिश ( पीला सा ) होता है ! हो सकता है वो चीनी हो , मंगोलियन या कम्बोडिया का भी हो ! यानी पूर्व एशिया का ! तो मैंने सोचा इसे पहले पूछ कर पक्का कर लेता हूँ कि जापानी ही है ! भरोसा ऐसे भी था कि हिंदुस्तान में चीनी या मंगोलियन पर्यटक बहुत कम आते हैं , जापानी ज्यादा आते हैं ! भगवान की कृपा से ठीक ठाक जापानी भाषा मुझे आती है ! मैंने पूछा - अनातावा निहोंजिन देस का ? जब उसने हाई कर दिया ! फिर तो पक्का हो ही गया कि बन्दा जापानी ही है और फिर करीब 15 मिनट तक मैं उसका और वो मेरा दिमाग चाटता रहा !

आज इतना ही ! राम राम जी !!


 आइये फोटो देखते हैं  :


इस महल में "रॉयल आँगन" सबसे पहले बनवाया गया था ! नेट से फोटो उतारी है
चेतक सर्किल 

सिटी पैलेस प्रवेश द्वार

सिटी पैलेस प्रवेश द्वार

सिटी पैलेस प्रवेश द्वार

ओपन एयर रेस्तौरेंट

ओपन एयर रेस्तौरेंट
भारत की शानदार विरासत उदयपुर का सिटी पैलेस











ये महल के अंदर के दृश्य हैं
 


ये महल के अंदर के दृश्य हैं







ये महल के अंदर के दृश्य हैं


ये महल के अंदर के दृश्य हैं



ये महल के अंदर के दृश्य हैं

ये महल के अंदर के दृश्य हैं
भारत की शानदार विरासत उदयपुर का सिटी पैलेस
भारत की शानदार विरासत उदयपुर का सिटी पैलेस


भारत की शानदार विरासत उदयपुर का सिटी पैलेस

भारत की शानदार विरासत उदयपुर का सिटी पैलेस

सूरज पोल ! पोल राजस्थान में दरवाज़ों को बोलते हैं
शानदार फव्वारा

कोई टिप्पणी नहीं: