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मथुरा -वृन्दावन-गोवेर्धन ऐसे कई बार गया होऊंगा लेकिन कभी धार्मिक रूप से पूजा करने नहीं गया था ! कभी एक बार रिश्तेदारी में मथुरा गया तो वहां उन्होंने पत्नी को आशीर्वाद दे दिया पुत्रवती भवः ! और ये भी कह दिया कि जब पुत्र पैदा हो जाए तो गोवेर्धन मंदिर में 5 किलो दूध चढ़ा देना ! भगवन की असीम अनुकम्पा हुई कि प्रथम संतान के रूप पुत्र प्राप्ति हुई ! लेकिन गोवर्धन में दूध नहीं चढ़ा पाया आखिर 5 साल के लम्बे इंतज़ार के बाद अवसर प्राप्त हुआ गोवेर्धन जाने का ! उत्तर भारत में दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है जिसमें लोग घरों में गोबर का गोवर्धन बनाते हैं और दूध से उसकी पूजा करते हैं ! गोवर्धन पूजा , भगवान कृष्ण द्वारा उठाये गए गोवर्धन पर्वत के प्रतीक के रूप में करी जाती है ! किस्सा कुछ इस तरह से है कि इन्द्र ने जब किसी बात पर गुस्सा होकर बारिश करनी शुरू कर दी तो मथुरा के आसपास के इलाकों में बहुत पानी भर गया और सब त्राहि त्राहि करने लगे , इन्द्र से सबने प्रार्थना करी कि अब बारिश रोक दो किन्तु इन्द्र ने बात नहीं मानी तो भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली पर उठा लिया और सब ब्रजवासियों उसके नीचे शरण दी ! आखिर में इन्द्र को अपनी हार स्वीकार करनी पड़ी ! मैं भी उसी ब्रज का निवासी हूँ लेकिन दो वक्त की रोटी के लिए गाज़ियाबाद में रहता हूँ !
दीपावली के दिन मैं खुर्जा में था ! अगले दिन गोवर्धन पूजा थी और मुझे लगा कि इससे बेहतर अवसर दूध चढ़ाने के लिए और कोई नहीं हो सकता ! अगली सुबह कभी भी सात बजे से पहले न जागने वाला प्राणी चार बजे जाग भी गया और पांच बजे बस भी पकड़ ली अलीगढ की , फिर अलीगढ से मथुरा ! पौने आठ बजे यमुना पार लक्ष्मी नगर पर था ! आजकल बस ज्यादातर लक्ष्मी नगर तक ही जाती हैं , पल बन रहा है आगे और लक्ष्मी नगर से आगे बस स्टैंड तक कम से कम एक घंटा लग जाता है इसलिए सब लक्ष्मी नगर पर ही उत्तर जाते हैं फिर ऑटो से जाते हैं ! अपने रिश्तेदार को पहले ही सूचित कर दिया था , उनको साथ लेकर करीब 9 बजे नए बस स्टैंड से गोवर्धन के लिए बस पकड़ी। यहां ये बताना सार्थक होगा कि मथुरा में दो बस स्टैंड हैं , एक नया एक पुराना ! पुराने बस स्टैंड से अलीगढ , हाथरस , जयपुर की बस मिलती हैं और नए से दिल्ली , फरीदाबाद , आगरा , गुडगाँव , वृन्दावन , गोवर्धन की बस मिलती हैं ! साढ़े दस के आसपास हम लाइन में थे ! बड़ी लम्बी लाइन थी दूध चढाने वालों की ! सब के हाथ में प्लास्टिक का गिलास दिखाई दे रहा था। मैंने भी दूध की केन अपने कंधे पर रखी और लग गया लाइन में ! मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत छोटा है इसलिए द्वार पर और भी ज्यादा भीड़ हो जाती है ! और अंदर भीड़ जैसे सारा पुण्य आज ही ले लेना चाहती हो ! लाइन में लगा हुआ था कि किसी ने पीछे से धक्का दे दिया और मैं सीधा उस कुण्ड में पहुँच गया जिसमें दूध चढ़ाया जाता है ! कुण्ड शायद गलत शब्द होगा , असल में एक इर्रेगुलर पत्थर है ऊँचा सा , जिसके चारों तरफ गोलाई में छोटी सी बाउंड्री बानी है , मुझे किसी ने उसी बौंडरी में धकेल दिया और अवसर देखकर मैंने भी केन से दूध चढ़ाना शुरू कर दिया ! मैं बिलकुल ऊपर से दूध चढ़ा रहा था जैसे ही पुजारी का ध्यान मेरी तरफ गया उसने हाथ मार के केन नीचे कर दी कि नीचे से चढ़ा ! मैंने भीड़ में , इतने बेहतर तरीके से दूध चढ़ा पाने की कल्पना भी नहीं करी थी , भला हो मुझे धक्का देने वाले का। का एक नुक्सान भी मुझे झेलना पड़ा , पीछे वालों को कुछ दिखाई तो दे नहीं रहा होगा , वो अपना हाथ लंबा करके दूध चढ़ाते जा रहे थे और वो दूध गोवर्धन मंदिर की शिला तक तो नहीं बल्कि मेरी पीठ पर या मेरे सिर पर गिरा जा रहा था और इसका परिणाम ये हुआ कि जब मैं मंदिर से बाहर निकला तो पूरा भीगा हुआ था ! मैंने भी दुग्ध स्नान कर लिया ! हाहाहा !
मथुरा से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर मथुरा -डीग मार्ग पर पड़ने वाला गोवर्धन अपनी 21 किलोमीटर की परिक्रमा के लिए विख्यात है ! गुरु पूर्णिमा के दिन गोवर्धन पर्वत की हजारों लोग परिक्रमा करते हैं , गुरु पूर्णिमा को मुंडिया पूनों भी कहते हैं। गोवर्धन में दानघाटी मंदिर , मुखारबिंद , मानसी गंगा , हरिदेव मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं !
गोवर्धन से वृन्दावन और वहां से वापस आकर कृष्ण जन्मभूमि के दर्शन किये और फिर वापस गाज़ियाबाद लौटने का सोचा ! लेकिन जन्मभूमि से लौटते लौटते रात हो गयी और फिर सुबह 5 बजे चलने वाली emu ट्रेन से ही गाज़ियाबाद लौट पाया ! वृन्दावन के विषय में
पहले लिख चुका हूँ पिछली पोस्ट में !
आइये फोटो देखते हैं :
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पीछे भीड़ का नजारा |
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दानघाटी मंदिर में श्री जी की मूर्ति |
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दानघाटी मंदिर |
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दानघाटी मंदिर |
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दानघाटी मंदिर |
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गोवर्धन पर्वत के कुछ अंश |
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गोवर्धन पर्वत के कुछ अंश |
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गोवर्धन में हरिदेव मंदिर |
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श्री हरिदेव जी |
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गोवर्धन में हरिदेव मंदिर |
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मानसी गंगा मंदिर |
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और ये विश्वविख्यात श्री कृष्णा जन्मभूमि |
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और ये विश्वविख्यात श्री कृष्णा जन्मभूमि |
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और ये विश्वविख्यात श्री कृष्णा जन्मभूमि |
मथुरा वृन्दावन की यात्रा लेकर अभी एक बार और मिलेंगे यहीं , आइयेगा जरूर यात्रा जारी है
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