सोमवार, 16 नवंबर 2015

कुरुक्षेत्र : जहाँ भगवद् गीता का जन्म हुआ

कभी कभी ज्यादा छुट्टियां मिलना भी अच्छा नहीं लगता ! बोरियत शुरू होने लगती है ! दीपावली की लगभग पूरे सप्ताह की छुट्टियों में यही हाल रहा ! कहीं अगर जाने का सोचता तो हर जगह मिलने वाली भीड़ के बारे में सोचकर कदम पीछे हट जाते और ऐसे करके शुक्रवार यानि 13 नवंबर तक घर में ही पड़ा रहा और बच्चों के साथ दीपावली की खुशियां मनाता रहा ! पिछला दीपावली का त्यौहार गोवर्धन , मथुरा में मनाया था ! शुक्रवार को एकदम से प्लान किया कि शनिवार को कुरुक्षेत्र निकलता हूँ ! प्लान तो ये था कि सुबह गाजियाबाद से 7 बजे की emu  पकड़ के नयी दिल्ली और फिर नयी दिल्ली से 8 बजकर 10 मिनट पर निकलने वाली कुरुक्षेत्र EMU पकड़ लूंगा !  लेकिन ऐसा कुछ भी नही हो पाया ! उस रात प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी इंग्लैंड के लंदन में वेम्ब्ले स्टेडियम में स्पीच दे रहे थे और उन्हें सुनते सुनते रात के बारह बज गए फिर तो नींद ही उखड गयी ! और मुश्किल से 2 या ढाई बजे नींद आई होगी ! अब 2 ढाई बजे सोकर कोई मतलब ही नही कि 6 बजे जग जाया जाए ! नींद खुली आठ बजे और आज तो चाय भी खुद ही बनानी थी ! निकलते निकलते 9 बज गए !



इरादा बस इतना था कि जो भी ट्रेन मिलेगी , नयी दिल्ली तक निकल जाऊँगा और फिर वहां से कुरुक्षेत्र की ट्रेन ले लूंगा ! टिकट लेकर जैसे ही प्लेटफार्म पर गया तो उद्घोषणा हो रही थी - इलाहाबाद से चलकर चंडीगढ़ जाने वाली ऊंचाहार एक्सप्रेस प्लेटफार्म नम्बर तीन पर आ रही है ! अब बस इतना देखना था कि ये कुरुक्षेत्र होकर जायेगी या नही ? नेट पर चैक किया तो मन को प्रसन्नता हुई ! कुरुक्षेत्र जायेगी और आज ये ट्रेन 6 घंटे की देरी से चल रही है , शायद मेरे लिए ? अन्यथा तो इसका ग़ाज़ियाबाद आने का समय सुबह 3 बजकर 25 मिनट का है ! भीड़ तो थी लेकिन दिल्ली आते आते ट्रेन लगभग खाली हो गयी और आराम से पैर फैलाकर बैठ लिए ! ट्रेन  दिल्ली निकलने के बाद सब्जी मण्डी पर और फिर , आजादपुर ,आदर्शनगर , बादली, खेड़ा कलां , होलम्बी कलां को निकालते हुए  नरेला पर रूकती है और इसके साथ ही दिल्ली छोड़कर हरयाणा में प्रवेश कर जाती है !

हरियाणा का पहला स्टेशन राठधना पड़ता है और इसके बाद हरसाना कलां है , हालाँकि एक्सप्रेस ट्रैन यहाँ नही रूकती !  फिर आता है सोनीपत ! सोनीपत इंडस्ट्री के  लिए बहुत प्रसिद्ध है ! सोनीपत के बाद ट्रेन संदल कलां , रजलु गढ़ी को पार करते हुए गन्नौर स्टेशन पर रूकती है और फिर केवल एक स्टेशन भोड़वाल माजरी छोड़कर अगले ही स्टेशन समालखा पर रूकती है ! इसके बाद आता है दिवाना और फिर पानीपत ! पानीपत में विश्व प्रसिद्द रिफाइनरी है।  पानीपत के बाद बाबरपुर , कोहण्ड , घरौंडा , बजीदा जाटान के बाद आता है करनाल ! करनाल का नाम शायद आपने सुना होगा ! कल्पना चावला याद है न आपको ? भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री जो कोलंबिया शटल में गयी तो थी आसमान में लेकिन कभी लौट के नही आ पायी ! सलूट कल्पना को ! लेकिन बाबरपुर ? शायद बाबर ने यहीं लड़ाई लड़ी होगी जो पानीपत की लड़ाई के नाम से इतिहास में दर्ज़ है ! लेकिन क्या इसका नाम नही  बदला जाना चाहिए ? 

आगे चलते हैं और अब करनाल से आगे का स्टेशन आता है भैनी खुर्द , फिर तरावड़ी और फिर नीलोखेड़ी और उसके बाद अमीन ! अमीन निकलते ही कुरुक्षेत्र स्टेशन ! दोपहर के एक बजकर 20 मिनट हुए हैं अभी ! हल्का फुल्का खाना खाया ! खाना खाकर अब सीधे ब्रह्म सरोवर चलते हैं लेकिन ब्रह्म सरोवर के चित्र और उसके विषय में जानकारी अगली पोस्ट में मिलेगी ! हाँ इस पोस्ट में आपको कुरुक्षेत्र के चौराहों पर लगी हुई शानदार प्रतिमाएं जरूर दिखेंगी जो इस शहर को बहुत खूबसूरत बनाती हैं ! ज्यादातर चौराहों पर ऐसी प्रतिमाएं दिखाई देती हैं !! कुछ चित्र इंटरनेट से भी संकलित किये गए हैं !



नरेला के बाद दिल्ली का क्षेत्र समाप्त होकर हरियाणा आ जाता है
सोनीपत

पढ़ने में मुश्किल ? भोड़वाल माजरी है ये
















कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का द्रोणाचार्य गेट






                                                                                       वृतांत जारी रहेगा :

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