मंगलवार, 28 जुलाई 2015

ऋषिकेश से जोशीमठ : बद्रीनाथ यात्रा

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नीलकण्ठ महादेव मंदिर भले ऋषिकेश से 32 किलोमीटर की दूरी पर और 1330 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हो लेकिन गर्मी में कोई राहत नही मिलती। सूरज अपना पूरा रुतबा दिखाता है। लगभग साढ़े दस बजे भी ऐसा लग रहा था मानो दोपहर हो गयी हो। दर्शन करने के पश्चात गाडी को ढूंढते ढूंढते पसीना आ गया , एक किलोमीटर दूर खड़ी थी। दोपहर 2 बजे वापस ऋषिकेश पहुँचा ! बस स्टैंड के सामने ही कई सारे होटल हैं , 50 रुपया की थाली मिल जाती है। हाँ , दही के पैसे अलग से देने पड़े , 30 रुपया ! लेकिन कुल मिलाकर बढ़िया खाना हो गया 80 रूपये में। मेरी पसंद की भिन्डी की सब्जी और उसके साथ दही , बस खाना पूरा हो गया !! इतने में सामने एक बस लगी हुई दिखाई दी कर्णप्रयाग तक की। मुझे मालुम था कि मैं आज बद्रीनाथ नही पहुँच सकता, ज्यादा से ज्यादा दूरी तय करना चाहता था ताकि कल को जो कार्यक्रम तय किया हुआ है वो पूरा हो जाए ! प्राइवेट बस थी , मैंने पूछा कहाँ तक जाओगे ? बोला रुद्रप्रयाग तक ! लेकिन बोर्ड कर्णप्रयाग दिखा रहा है ? बोला -सवारी हो जाएंगी तो कर्णप्रयाग तक चले जाएंगे !! इस बीच चाय भी पी ली लेकिन बस अब भी वहीँ खड़ी थी  ! आखिर साढ़े तीन बजे स्टैंड से निकली और ये तय हो गया कि अब रुद्रप्रयाग से आगे नही जायेगी ! कोई बात नही , आज इधर ही डेरा डाल लेते हैं !! करीब साढ़े छह बजे रुद्रप्रयाग बस स्टैंड पर उतरकर सस्ते से रात्रि विश्राम की खोज की ! प्रयास रंग लाया और रुद्रप्रयाग के संगम के पास ही एक कमरा ले लिया ! किराया बताया 300 रुपया ! 250 में मामला बन गया ! पीछे की खिड़की से संगम का शानदार दृश्य दिखाई दे रहा था। थोड़ी देर में आरती भी शुरू हो गयी , कौन सी आरती थी नही मालुम क्योंकि दूर से आरती के दीपक तो दिख रहे थे आवाज़ नही सुनी जा सकती थी !!

रुद्रप्रयाग पञ्च प्रयागों में से एक है ! प्रयाग गढ़वाल क्षेत्र में स्थित नदियों के मिलन को को कहते हैं ! ये पांच प्रयाग हैं : देवप्रयाग , रुद्रप्रयाग, नंदप्रयाग , कर्णप्रयाग और विष्णुप्रयाग ! 

देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी नदी का संगम है जो आगे गंगा बन जाता है ! रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मन्दाकिनी का मिलन होता है ! रुद्रप्रयाग शिव को समर्पित जगह है ! ऐसा माना जाता है कि रुद्रप्रयाग में नारद मुनि ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की और भगवान शिव यहां रूद्र अवतार में प्रकट हुए ! नंदप्रयाग अलकनंदा और नंदाकिनी का संगम स्थल है। अलकनंदा बद्रीनाथ से आगे सतोपंथ से आती है और नंदाकिनी नंदा देवी चोटी से निकलती है। नंदप्रयाग में ऐसा माना जाता है कि यहां राजा नन्द ने पत्थरों पर यज्ञ किया था और उन्हीं पत्थरों को यहां के मंदिर में प्रयोग किया गया है ! समुद्र तल से लगभग 870 मीटर की ऊंचाई पर बसा नंदप्रयाग कर्णप्रयग से 20 किलोमीटर की दूरी पर है !

कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदिया अपना संगम बनाती हैं ! और इस जगह को कर्णप्रयाग का नाम महाभारत के कर्ण की वजह से मिला जिन्होंने यहां भगवान सूर्य की उपासना की थी और सुरक्षा कवच प्राप्त किया था । और सबसे आखिर में बद्रीनाथ के पास विष्णुप्रयाग है जो अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम स्थल है। यहां नारद मुनि ने भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनकी तपस्या की थी !

रुद्रप्रयाग में सोने से पहले वहां के एक आदमी को बोल दिया था कि भाई मुझे सात बजे जगा देना लेकिन हुआ इसका उल्टा - कभी भी सात बजे से पहले न जगने वाला प्राणी आज छह बजे ही जाग गया था और जब वो आदमी जगाने आया तब तक तो नहा भी चुका था ! आठ बजे नाश्ता लेकर कर्णप्रयाग की बस ले ली और वहां उमा देवी मंदिर के दर्शन करने के पश्चात पिंडर और अलकनंदा के संगम के दर्शन किये। यहां पिंडर बिलकुल साफ़ सुथरी है और उसका पानी दूर से देखने पर हरीतिमा लिए हुए लगता है जबकि अलकनंदा बहुत मैली , कीचड से भरी हुई सी !


कर्णप्रयाग से बहुत देर हो गयी। जोशीमठ तक जाने के लिए कुछ भी नही मिल रहा था ! जो बस या गाड़ियां ऋषिकेश -हरिद्वार की तरफ से आ रही थीं वो सब पहले से बुक थीं और कोई रोक ही नही रहा था ! आखिर चमोली तक की बस में ही बैठना पड़ा ! और फिर चमोली से एक सूमो में जोशीमठ पहुँच गए ! अब जोशीमठ पहुँच गए तो उसने इधर ही उतार दिया ! मुझे आगे आज तपोवन जाना था ! किसी से पूछा तपोवन के लिए गाडी कहाँ से मिलेगी ? करीब एक किलोमीटर आगे जाना पड़ा ! उसी स्टैंड से बद्रीनाथ , गोविंदघाट ( हेमकुंड साहिब ) और तपोवन के लिए सूमो गाड़ियां मिलती हैं ! तो अब तपोवन चलेंगे ! लेकिन तपोवन की बात आपको अगली पोस्ट में सुनाएंगे ! तब तक इंतज़ार करिये ! इंतज़ार का फल मीठा होता है !


देव प्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी का संगम



नन्द प्रयाग से दूरियां


नन्द प्रयाग में अलकनंदा और नंदाकिनी का संगम








रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मन्दाकिनी का मिलन होता है

रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मन्दाकिनी का मिलन होता है

रुद्रप्रयाग में अलकनंदा और मन्दाकिनी का मिलन होता है



उमा मंदिर कर्णप्रयाग

उमा मंदिर कर्णप्रयाग

उमा मंदिर कर्णप्रयाग

उमा मंदिर कर्णप्रयाग



कर्णप्रयाग से दूरियां बताता साइन बोर्ड

कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदिया अपना संगम बनाती हैं

कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदिया अपना संगम बनाती हैं

कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदिया अपना संगम बनाती हैं


कर्णप्रयाग में अलकनंदा और पिंडर नदिया अपना संगम बनाती हैं  
चमोली से दूरियां

जोशीमठ से दूरियां

और ये विष्णुप्रयाग में अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम



                                                                                                                 यात्रा जारी रहेगी :

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