इस ब्लॉग में आप भारत वर्ष के नए नए स्थानों के विषय में लगातार पढ़ेंगे | घुमक्कडी का मतलब होता है बिना कुछ सोचे समझे झोला उठाये कहीं भी निकल पड़ना ! कहीं भी खा लेना और कहीं भी सो जाना ! इसलिए जिन्हें डनलप के गद्दे पर ही नींद आने की आदत हो गयी है वो घुमक्कडी का ख्वाब न पालें , हाँ वो टूरिस्ट जरूर हो सकते हैं ! तो आइये , देश को करीब से देखिये और महसूस करिये ....मेरे साथ !
बुधवार, 20 जून 2012
धरती जो सबसे पावन ……
धरती जो सबसे पावन वो धरती हिंदुस्तान की |
कितने हमले हुए यहाँ , खोने ना पाई इसकी शान
मात्रभूमि की रक्षा को ही यहाँ नारी ने तलवार उठाई थी
मत भूल अशफाक की कुर्बानी को मत भूल भगत के जोश को
आजाद सरीखे वीरों के दम पर ही अंग्रेजों ने जंग हारी थी
इन सब वीरों को भारत की आज़ादी का अरमान था
उनका ही वंशज है तू , और है भारत वासी
भारत माँ की रक्षा को अपना शीश कटा ले तू
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10 टिप्पणियां:
veer ras se paripurn:)
sarthak rachna...
bahut bahut dhanywad shri mukesh kumar sinha ji , aabhaar
बढ़िया है ...आपने मेरे पिताजी की भी याद दिला दी! मन भावुक हो गया!
सार्थक भाव .. देश प्रेम से ओतप्रोत रचना ...
bahut khoob...yogi ji...aaj ek naya roop dekhne ko mila...aap ka...
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री जवाहर सिंह जी, मेरे शब्द आपके दिल तक पहुंचे और आपकी यादों को ताजा कर पाये ! आभार
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री दिगंबर जी, मेरे शब्द आपके दिल तक पहुंचे और आपका आशीर्वाद लेकर आये ! धन्यवाद
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री विक्रमजीत सिंह जी, मेरे शब्द आपके दिल तक पहुंचे और आपका समर्थन लेकर आये ! धन्यवाद
aadarniy yogiji,bahut sarthak upyogi or shikshaprad blog hai.padhkar bahut achchha laga.aapko bahut bahut badhaii.is blog ke ujjwal bhavishy ke liye meri or se bahut bahut shubhkamnaen.from-sadguruji.
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री राजेंद्र ऋषि जी ! मेरे शब्द आप तक पहुंचे और आपने उन्हें सम्मान और समर्थन प्रदान किया ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद
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