नाम सुना है क्या तुमने मेरा
नहीं सुना तो आज सुनो |
आँखें खोल के रक्खो
करके बंद अपने कान सुनो ||
मैं हूँ दुनिया का न . 1 डोन |
पहिचान सको तो पहिचानो, मैं हूँ कौन ||
मेरे नाम से बुझ जाती है लोगों की बत्ती |
कांपती है मुझसे इस शहर की हर एक हस्ती ||
शौक शान हैं मेरे अजब निराले
चले अगर मेरी मर्जी तो सेब उगा लूँ काले ||
हर काम का मेरा अलग एक स्टाइल है |
हर काम की मेरी अलग एक फाइल है ||
नहाऊं अगर मैं दिल्ली में तो कपडे सुखाऊँ लन्दन में |
मैं हूँ आजाद चमन का पंछी, नहीं हूँ किसी के बंधन में ||
अंडरवियर सिलता है यारो मेरा सिडनी में |
मैं चाहूँ तो सलमान को नचा दूं चड्डी और बिकनी में ||
मेरे इशारे से चलते हैं घंटे , मिनट्स और सेकंड |
इस दुनिया के सारे गुंडे लगते हैं मेरे फ्रेंड ||
ओसामा भी मेरे नाम से कांप जाता था |
मिल्खा सिंह भी मेरे साथ दौड़ते हुए हांफ जाता था ||
अमिताभ को एक्टिंग का सबक मैंने ही सिखलाया था |
( अमिताभ और मैं साथ पढ़े हैं लेकिन वो 64 के हो गएमैं 32 का ही रह गया | बड़े लोग जल्दी बड़े हो जाते हैं )
11 टिप्पणियां:
hans hee raha hoon!
bahut bahut aabhaar shri jawahar singh ji
ha-ha-ha
बहुत धन्यवाद श्री राकेश जी
रोचक कविता है..😂😂😂 मज़ा आ गया....
2012 में लिखी थी? यानि किशोरावस्था में??? फिर तो ठीक है! 😊😊😊😊😊
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
बहुत बढ़िया प्रस्तुति
बहुत धन्यवाद विकास भाई !! आते रहिएगा
सुशांत सर जी 2012 में प्रकाशित की है सर यहाँ लिखी बहुत पहले थी। बहुत धन्यवाद आपका !! आते रहिएगा
Thank you Monalisha !!
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