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जलियाँवाला बाग़ में
शहीदी कुआं देखकर उस वक्त का मंज़र आँखों में एक काल्पनिक तस्वीर बनाने लगा
और अपने पुरखों पर गर्व से सीना फूल गया । वो भी लोग थे जो देश और हमारी
खातिर अपने प्राणों का बलिदान कर गए , न परिवार देखा न दौलत । नमन , ऐसे
महान सपूतों को । शहीदी कुआं में , जनरल डायर के सिपाहियों की गोलियों से
बचकर भाग रहे लोग एक एक कर गिरते चले गए और उसी में समा गए । वहीँ कुछ ऐसी
दीवारें हैं जिन पर आज भी जनरल डायर के सिपाहियों द्वारा चलाई गयी गोलियों
के निशाँ दीखते हैं । अब इस हत्याकांड की यादों को जिन्दा रखने के लिए एक
स्मारक बना दिया है सरकार ने । उस दिन 26 जनवरी थी , इस उपलक्ष्य में वहाँ
कोई कार्यक्रम भी हो रहा था ।
बॉर्डर पर
पहुंचे तो गाडी को पहले ही पार्क करना पड़ा , बोले आगे जाने की मनाही है ,
और इशारा करते हुए बोले वो रहा आपका कमान गढ़ गेट । असल में कामनगढ़ गेट पर
ही हमें श्री भूपेंद्र सिंह जी मिला था जो हमें आगे लेकर जाते ! कामनगढ़ गेट
पर महिला सिपाही तैनात थी , हमने उनसे भूपेंद्र जी के विषय में पूछा तो
उन्होंने इशारा कर दिया कि वो आ रहे हैं , शायद साहू साब ने उन्हें बता
दिया होगा । खैर ! भपेंद्र सिंह हमें एक एक चीज , एक एक जगह दिखाते हुए
चलते गए और हम अपने आपको धन्य मानते हुए ख़ुशी ख़ुशी हर जगह को देखते गए और
सोचते गए कि अगर हम बिना जानकारी के आते तो शायद वो जगहें देखना सम्भव नही
हो पाता जिंहें हमने आज देखा । सबसे बढ़िया जगह हमें वो लगी जिसे वो जीरो
पॉइंट कहते हैं और जहां से भारत और पाकिस्तान की सीमाओं का निर्धारण होता
है ! वहाँ एक पत्थर लगा है जिस पर एंगल बना है , उसी एंगल के अनुरूप सीमा
का निर्धारण किया गया है वहाँ । एक एक जगह जानकारी देती हुई और जोश जगाती
हुई । करीब 3 :30 बजे गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम शुरू हो गए थे और हम अपनी
सीट पर आकर बैठ गए । अमृतसर और आसपास से आये बच्चों ने बेहतर कार्यक्रम
आयोजित किये । वहीँ न्यूज़ नेशन की कोई रिपोर्टर भी उन प्रोग्राम्स को कवर
करने आई थी ! करीब 5 बजे शाम को मुख्य परेड शुरू हुई ! परेड से पहले से ही
दौनो ओर से जिंदाबाद के नारे गूँज रहे थे ! इधर वंदे मातरम् , भारत माता की
जय , हिंदुस्तान जिंदाबाद और उधर से एक ही आवाज समझ में आ रही थी
पाकिस्तान जिंदाबाद ! पूरी ताकत लगाकर बोल रहे थे दौनों ओर के लोग । इसका
असर ये हुआ कि मेरे बच्चे अमृतसर से लौटने के बाद भी करीब 15 - 20 दिन तक
यही नारे लगाते रहे ! एक कहता हिंदुस्तान। । दूसरा कहता जिंदाबाद ! कभी
कभी मैं भी इनके देश प्रेम में शामिल हो जाया करता हूँ ।
परेड की शुरुआत BSF के बैंड से हुई जो शायद गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में बजाया गया होगा । उसके बाद BSF के दो सिपाही पूरी तरह से अत्याधुनिक हथियारों से लैस होकर आये फिर दो महिला सिपाहियों ने भारतीय नारी की शक्ति का परिचय दिया और फिर धीरे धीरे भारतीय सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने अपनी चुस्ती फुर्ती और ताकत का वो प्रदर्शन किया जिसके लिए वो जाने जाते हैं । जय हिन्द !
करीब 5 :
30 बजे परेड ख़त्म हुई और हम सीधे श्री भूपिंदर सिंह से अनुमति लेकर गाडी
में बैठे और सीधे दुर्ग्याणा मंदिर होते हुए वापस रेलवे स्टेशन ! 7 :30
बजे की ट्रेन थी , राउरकेला मुरी एक्सप्रेस । अगली सुबह 6 बजे गाजियाबाद और
फिर वापिस 8 बजे अपने काम पर यानि कॉलेज में !
जय हिन्द , जय हिन्द की सेना !
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जलियाँवाला बाग़ में स्थित शहीदी कुआँ |
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जलियाँवाला बाग़ में स्थित शहीदी कुआँ |
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जलियाँवाला बाग़ |
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जलियाँवाला बाग़ में आज भी गोलियों के निशान बाकी हैं |
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जलियाँवाला बाग़ में स्थित स्मारक |
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वाघा बॉर्डर पर भारत की महिला शक्ति |
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वाघा बॉर्डर पर भारत की शान को दिखता वीर सैनिक |
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वाघा बॉर्डर |
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वाघा बॉर्डर पर पाकिस्तान के सैनिक से आँख मिलाता वीर सिपाही |
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वाघा बॉर्डर पर भारत और पाकिस्तान के झंडे उतारते समय |
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वाघा बॉर्डर पर भारत के वीर सैनिक ,परेड करते हुए |
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यह दृश्य आँखों में समा जाता है |
8 टिप्पणियां:
Nice post ; nice photos
शहीदों के मजारों पर लगेंगे हर बर्ष मेले.........इस पोस्टिंग के लिए हार्दिक आभार!
बहुत बहुत आभार श्री बेनामी जी
बहुत बहुत आभार श्री अलीन जी , संवाद बनाये रखियेगा
सुंदर
आभार ! संवाद बनाये रखियेगा
बहुत रोचक प्रस्तुति...
बहुत आभार आदरणीय शर्मा जी ! आते रहिएगा
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