शुक्रवार, 30 मार्च 2012

दफ्तर के मच्छर ( व्यंग्य लेख )

बड़े बाबू ने दफ्तर आते ही ऑर्डर फैंका -बेमन सिंह एक कप चाय पिलाओ ! बेमन सिंह , जी सा’ब कहते हुए तुरंत बाहर निकल गया और थोड़ी देर के बाद चाय की केतली हाथ में थामे हाज़िर हुआ | जी सा’ब और कुछ लेंगे ? नहीं………कहते हुए जब बड़े सा’ब की नज़र फाइल पर से हटकर बेमन सिंह के चेहरे पर पड़ी तो जैसे वो चौंक गए और बोले -अरे बेमन ! ये तुम्हारा चेहरा लाल कैसे हो रहा है ? जी सा’ब , कल दफ्तर में मच्छर ने काट लिया था | क्या कह रहे हो बेमन ? हमारे दफ्तर में मच्छर ? इतना साफ़ सुथरा होते हुए भी हमारे दफ्तर में मच्छर कैसे आ गए ? बड़े बाबू ऐसे चिंतित हो रहे थे जैसे दफ्तर में मच्छर नहीं आतंकवादी घुस आये हों ? कैसे हैं मच्छर ? मोटे मोटे या पतले , मलेरिया वाले या डेंगू वाले , काले या ………..? बेमन तुम वर्मा जी को बुलाओ ! वर्मा जी हाज़िर हुए तो बड़े साब ने वर्मा जी को मच्छर पकड़ने के लिए नगर निगम को पत्र लिखने का आदेश दिया और वर्मा जी ने आदेश का पालन करते हुए तुरंत पत्र लिख दिया |

बेमन सिंह ! दफ्तर का सबसे पुराना कर्मचारी | आठ साल से यहीं था | वो बेचारा कभी मान सिंह हुआ करता था लेकिन कुछ वर्ष पूर्व आये एक अंग्रेज़ीदां अफसर ने उनका नाम ” मान सिंह” से ” मन सिंह ” कर दिया | क्योंकि ” मन सिंह ” ने कभी कोई काम ” मन से ” नहीं किया इसलिए किसी भाई ने उसका नाम ही बेमन सिंह रख दिया और यही नाम आजतक उनकी शोभा बढ़ा रहा है !

पत्र मिलने के लगभग एक सप्ताह के बाद नगर निगम के कर्मचारी अपने लाव लश्कर के साथ बड़े बाबू के दफ्तर पहुंचे | लेकिन वो मच्छरों को नहीं पकड़ पाए , तब ये मामला राज्य पुलिस को सौंप दिया गया मगर जब पुलिस भी नाकाम रही तब ये केस भारत सरकार के गृह मंत्रालय को ‘ रेफ़र ‘ कर दिया गया | गृह मंत्री ने तुरत- फुरत बयान जारी किया – ” हमें हमारे ख़ुफ़िया सूत्रों से पता चला है कि भारत में पांच -छः मच्छरों के आत्मघाती दस्ते ने प्रवेश किया है , हम हालात पर लगातार नज़र रखे हुए हैं | हमने पूरे देश में रेड अलर्ट जारी कर दिया है | ” और इस तरह से यह मामला गृह मंत्रालय की फाइलों में पहुँच गया |

और उधर एक दिन बेमन सिंह ने ‘ मन से ‘ काम करते हुए रद्दी की फाइलों से सभी मच्छरों को मार गिराया | गृह मंत्रालय में यह मामला अभी भी विचाराधीन है |

8 टिप्‍पणियां:

राजीव कुमार झा ने कहा…

बहुत खूब ! योगी जी. सादर.

Yogi Saraswat ने कहा…

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री राजीव कुमार झा जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद

R.N. Shahi ने कहा…

गृह मंत्रालय की फाइलों में धूल चाटते हुए इसके लंबित अनुसंधान को पांच वर्ष व्यतीत हो जाएंगे । दूसरी सरकार के गृह सचिव अपने मंत्री जी को प्रसन्न करने के लिए पिछली सरकार की इस लापरवाही को एक मुद्दे के रूप में लपकते हुए फ़टाफ़ट प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन करेंगे, जिसमें मंत्री महोदय द्वारा बड़े रहस्यमय अंदाज़ में यह बताया जाएगा, कि किस प्रकार दिवंगत सरकार के कुछ मंत्रियों ने जानबूझ कर देश में आतंकवाद को फलने फूलने का मौक़ा दिया, और अपने राजनीतिक परांठे सेंके । अब वर्त्तमान सरकार इन फाइलों के जिन्नात को जहन्नुम से भी बरामद कर, भारत ले आकर आम जनता के हवाले करने के बाद ही अन्न जल ग्रहण करेगी ।

Mridula ने कहा…

Well said!

Yogi Saraswat ने कहा…


सही कहा आपने आदरणीय शाही जी , सरकारें बदलती हैं , कारें भी बदलती हैं लेकिन सिस्टम ही नहीं बदलता ! और शायद सिस्टम बदलने वाले इसे बदलना चाहते भी नहीं ! बहुत बहुत आभार आपका ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा

Yogi Saraswat ने कहा…

Thank you so much

जवाहर लाल सिंह ने कहा…

वास्तव में व्यंग्य के द्वारा हम बहुत सी सच्चाई को सामने लाने का प्रयास करते हैं.आपके व्यंग्य पर आदरणीय शाही साहब की प्रतिक्रिया भी मनभावन रही ... मच्छर मारक यंत्र को आयात करने के लिए एक कमिटी बनानी होगी और उसमे सबका हिस्सा भी तय करना होगा ..

Yogi Saraswat ने कहा…

​धन्यवाद आपका , आपको मेरा प्रयास पसंद आया ! संवाद बनाये रखियेगा ! आभार