रविवार, 4 फ़रवरी 2024

Amarnath Yatra 2022: Day 1

 पांच दिन जम्मू और उधमपुर के जाने -अनजाने स्थानों को घूम लेने के बाद कल से मुझे उस यात्रा पर निकलना था जिस यात्रा को करने के लिए मैं जम्मू आया था। अमरनाथ यात्रा ! अमरनाथ यात्रा कल यानि 29 जून 2022 से शुरू हो रही थी और आज 28 जून थी। मुझे पहले ही दिन अमरनाथ यात्रा पर जाना था और ये सोच समझकर लिया गया फैसला था क्यूंकि मैंने सोचा हुआ था कि जब भी अमरनाथ यात्रा पर जाऊँगा , पहले ही दिन जाऊँगा ! इसका एकमात्र कारण था कि मैं अमरनाथ यात्रा को जम्मू से शुरू होते हुए , मंत्रोचार के बीच इसके श्री गणेश का साक्षी बनकर इस यात्रा को देखना चाहता था।  


जम्मू -कश्मीर की सिम मैं पहले ही दिन जम्मू उतरते ही ले चुका था मगर कुछ चीजें अभी लेनी शेष थीं। मैं वैष्णवी भवन के सामने ही एक बाजार से जरुरत की सब चीजें ले आया। वहीँ एक सुन्दर शिव मंदिर में दर्शन भी कर आया।  इस मंदिर में बहुत सारा कांच लगा हुआ है जिससे इस मंदिर की सुंदरता और बढ़ जाती है।  रेलवे स्टेशन के आसपास , 30 जून से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के होर्डिंग लगे हुए थे जो इस क्षेत्र को अद्भुत शिवमय बना रहे थे।  

वापस अपने गेस्ट हाउस में लौटा और अपने यात्रा सम्बंधित कागज़ अलग फोल्डर में रख के अमरनाथ यात्रा के बेस कैंप -भगवती सदन पहुँच गया।  गेट से अंदर तक जाने में एक घण्टे से ज्यादा लग गया।  सुरक्षा के लिहाज से तगड़ी जांच पड़ताल हो रही थी। अंततः एक हॉल में पहुंचा मगर लेटने /बैठने की तो बात ही अलग , पैर रखने तक की जगह उपलब्ध नहीं थी। रात के लगभग 9 बजने को थे। लोगों ने सलाह दी कि पहले कल के लिए बस का टिकट करा लो ! 

बस काउंटर की लाइन में लग गया ! तीन तरह के टिकट बिक रहे थे -डीलक्स , सेमी डीलक्स और सामान्य बस ! डीलक्स बस का किराया जम्मू से पहलगाम तक का किराया 850 रूपये , सेमी डीलक्स का 650 रूपये और सामान्य का किराया 450 रूपये निर्धारित था। डीलक्स बस का टिकट माँगा एक -बताया गया कि डीलक्स  टिकट खत्म हो चुके हैं अब बस सेमी डीलक्स और सामान्य बस के ही टिकट उपलब्ध हैं। सेमी डीलक्स का एक टिकट बुक करा दिया जिसमे बस नंबर (54) और सीट नंबर लिखा था।  


पीछे की तरफ से बहुत शोर सुनाई दे रहा था मगर इस शोर को इग्नोर कर के पेट पूजा करने के लिए लंगर खाने चला गया।  बैग को इधर -उधर एक हॉल में पटक दिया था ! मुझे मालुम था -इतने भारी बैग को लेकर कोई लेकर नहीं जायेगा ! लंगर हॉल से बाहर निकला तो मेरी चप्पल गायब थीं ......मैं इधर -उधर ढूंढने लगा तो किसी ने पूछ लिया -चप्पल नहीं मिल रहीं क्या ? मैंने हँसते हुए कहा -हाँ ! बोले -उधर देख लो ! उधर उठा के रख दी हैं ! मिल गईं ! 


बैग पटक ही दिया था कहीं ! अब हाथ हिलाते हुए उधर चल पड़ा जिधर से लगातार शोर सुनाई दे रहा था ! दो काउंटर पर सिम मिल रहा था -जिओ और एयरटेल का।  यहाँ सिम 250 रूपये में मिल रहा था , मैंने 450 रूपये में लिया था ! दो सौ रूपये ज्यादा ... खैर ! होता है कभी -कभी !

जहाँ से शोर सुनाई दे रहा था वहां पहुंचा। हे -हे -हो-हो ...इसके अलावा कुछ और सुनाई नहीं दे रहा था न कोई कुछ बताने को तैयार था। भयंकर धक्का -मुक्की !  कई सारे काउंटर लगे थे ..भीड़ में से सर घुसाते हुए आगे पहुंचा तो पता चला कि इस बार RFID कार्ड जरुरी कर दिया है  और यहाँ वही RFID कार्ड इशू हो रहा था मगर अब भीड़ बहुत हो जाने और कार्ड कम पड़ जाने की वजह से रोक दिया गया है ! मैं वहीँ अटका रहा और भयंकर गर्मी से पसीने -पसीने होता रहा ! फिर कुछ देर बाद वहां अनाउंसमेंट हुआ कि आप लोग अपना RFID कार्ड पहलगाम के एंट्री गेट पर भी ले सकते हैं ! अमां यार ....पहले ही बता देते ! 

गर्मी ने बुरा हाल कर दिया था। हॉल के पीछे नहाने के लिए खुले पाइप पर नहाने वालों की लाइन लगी हुई थी , हम भी पहुँच गए ! ग्यारह या साढ़े ग्यारह बजे होंगे उस समय।  बताया गया सुबह 3 बजे से यात्रा शुरू होगी ! अब हमारे पास इतना समय नहीं था कि नींद खींच ली जाए ,मगर हाँ ! पैर लबे तो कर ही सकते थे इसलिए बैग उठाया और एक पार्क में आकर लम्बे हो गए।  

दो बजते -बजते लोग सामान समेटने लगे थे।  मेरी भी नींद उखड़ गई .... एक हल्की सी झपकी आ गई थी और इससे थकान कम हो गई थी।  अब अगले दिन की यात्रा के लिए तन और मन दोनों तैयार हो चुके थे।  बैग उठाकर सरकने लगे और उधर पहुँच गए जहाँ से यात्रा को हरी झण्डी दिखाने के लिए एक मंच बनाया गया था।  अभी तैयारी चल रही थी इसलिए इतने में अपनी वाली बस को खोज के उसमे बैग पटक दिया और गर्मागर्म चाय उदरस्थ कर दी।  


चार बजते-बजते पंडितों का एक समूह, राष्ट्रीय -अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार और टीवी चैनलों के कैमरे चमकने लगे थे ! किसी ने मेरा भी इंटरव्यू किया , जेके न्यूज़ था शायद वो चैनल ! अब सिर्फ इंतज़ार था जम्मू -कश्मीर के उपराज्यपाल माननीय मनोज सिन्हा जी का और उनके आते ही पूरे विधि विधान से मंत्रोच्चार शुरू हुआ और आसमान हर -हर महादेव के नारों से गुंजायमान होने लगा।  इसी क्षण  के लिए , इसी समय को जीने के लिए मैं यहाँ उपस्थित हुआ था ! इसी पल को अपनी आँखों  से देखने के लिए मैंने अप्रैल में रजिस्ट्रेशन शुरू होते ही मैंने पहले दिन अपना रजिस्ट्रेशन करा दिया था।  


चार बजकर 50 मिनट पर गाड़ियां निकलनी शुरू हो गईं। हम भी पांच बजते -बजते जम्मू की बाहरी सडकों पर जम्मू के निवासियों को सुबह की शीतल हवा का आनंद लेते हुए देख पा रहे थे।  बस की खिड़की खोली तो तेज शीतल हवा का एक झौंका मन  और चित्त को प्रसन्न कर गया और इतना प्रसन्न कर गया कि आँखें बंद हो गईं।  

शानदार और हरे -भरे जम्मू -श्रीनगर हाईवे पर बसें दौड़ती चली जा रही थीं लाइन से।  कहीं रुकी तो पता चला कि भण्डारा लगा है।  सुबह के 9 या 10 बजे होंगे।  लोग बुला -बुला के कुछ भी खाने के लिए आमंत्रित कर रहे थे।  ये भारत की संस्कृति है जिसे लिखना मुश्किल है सिर्फ महसूस किया जा सकता है।  किसी को किसी की जाति से कोई मतलब नहीं था , सभी शिव के भक्त और सभी बाबा बर्फानी के दर्शन को व्याकुल।  


अनंतनाग से कुछ पहले हमारी बस खराब हो गई ! एक बस खराब हुई तो पूरा कॉन्वॉय रोक दिया गया।  आधा घण्टा लग गया बस ठीक होने में और तब हमने देखा कि इस कॉन्वॉय के साथ कितनी सुरक्षा चलती है ! आगे -पीछे CRPF  के साथ -साथ जम्मू कश्मीर पुलिस के कमाण्डो भी हमारी सुरक्षा में थे। थोड़ी देर के लिए वीआईपी वाली फीलिंग आने लगी थी हालाँकि ...इस सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत क्यों है ? ये सोचनीय विषय है ! अपने ही देश में बहुसंख्यक समाज की एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा को प्रतिवर्ष आयोजित करने के लिए इतनी सुरक्षा ? हमारी सहिष्णुता....क्या हमारी कमजोरी बन गई है ?


अनंतनाग शहर से निकलते हुए रास्ते के किनारे स्थानीय लोग तिरंगा झण्डा लेकर यात्रा का स्वागत करते दिखे।  अनंतनाग के आखिरी हिस्से में दो -तीन सिख लोगों को एक पेड़ के नीचे बैठे देखकर सुकून मिला कि आज भी अनंतनाग में कुछ नॉन मुस्लिम रहते हैं।  

रुकते -खाते -पीते हम लगभग दोपहर बाद तीन बजे के आसपास पहलगाम पहुंचा दिए गए थे।  जहाँ हमें उतारा गया था वहीँ बराबर में पहलगाम की जीवन रेखा -लिद्दर नदी एकदम स्वच्छ रूप में बह रही थी।  हमसे पहले पहुंचे लोगों ने इस नदी में उतर के माहौल बना  दिया था तो हम भी क्यों पीछे रहते ! बहुत ठण्डा मगर उतना ही स्वच्छ जल जैसे एकदम अभी ग्लेशियर से पिघल के आ रहा हो ! 


पांच बजे के आसपास हम उस गेट पर थे जहाँ से एंट्री लेकर दूसरी तरफ निकल जाना था।  यहीं पहले हमें RFID कार्ड भी लेना था , अपने कागज़ चेक कराने थे।  इस पूरे प्रोसेस में लगभग आधा घण्टा लग गया था और जब बाहर निकला दूसरी तरफ तो उधर कोलकाता से आये यूथिका चौधरी और उनके पतिदेव विक्रम खन्ना जी इंतज़ार करते मिले।  उनके साथ ही उनके होटल में रुकने के लिए ऊपर की ओर चल पड़ा हालाँकि 300 रूपये प्रति व्यक्ति की दर से यहाँ टैण्ट में भी रुका जा सकता है।  


होटल में उनके एक और मित्र थे , मैं उनके साथ ही उनके रूम में रुक गया।  आज रात यहाँ रुकना था और सुबह -सुबह ही यात्रा शुरू करने के लिए चंदनवाड़ी निकल जाना था।  चाय पीकर पास में ही स्थित मामल मंदिर या ममलेश्वर मंदिर  के दर्शन के लिए निकल गए।  हालाँकि मंदिर बंद हो चुका था मगर बाहर से दर्शन करना और छोटे से मंदिर की सुंदरता को तो देखा ही जा सकता था।  ये वही मंदिर माना जाता है जहाँ भगवान शिव ने गणेश जी की नाक काट के सूंड लगा दी थी।  कहते हैं कि ये मंदिर पांचवीं शताब्दी का बना हुआ है।  बहुत ही खूबसूरत और दर्शनीय मंदिर है ममलेश्वर मंदिर।  





रात नौ बजे आसपास खाना खाने के बाद  अगले दिन की यात्रा के सब पैकिंग कर के रख दिया और सो गए ! 
अगले दिन की बात अगली पोस्ट में करेंगे ......

सोमवार, 1 जनवरी 2024

Babor Temples : Manwal-Jammu

 बाबोर मंदिर: मनवाल


जम्मू सीरीज को शुरू से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं !

यात्रा दिनांक : 29 जून 2022 

काला डेरा मंदिर घूम के निकल आया था ! लौटते हुए उसी दुकान से , जिससे थोड़ी देर पहले ही कोल्ड ड्रिंक खरीदी थी , पानी की बोतल ले ली।  गर्मी भयंकर थी और उस पर भी जून के आखिरी सप्ताह की दोपहर ! शरीर का पानी , पसीना बन के बाहर निकलता जा रहा था लगातार और इस कमी को पूरा करते जाना जरुरी हो गया था।Youtube Link : https://www.youtube.com/watch?v=gSc8HGbCjSQ&t=232s