रविवार, 24 दिसंबर 2023

Kala Dera Mandir: Manwal Jammu -Kashmir

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काला डेरा मंदिर मनवाल

Date : 28 June 2022

मानसर और सुरिंसर लेक घूमने के बाद वापस लौटने का समय हो गया था।  मानसर लेक के बराबर में एक रास्ता जम्मू से आता  हुआ दिख रहा था , ये शायद कुछ् शॉर्ट होगा मगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट नहीं दिख रहा था इस रोड पर। केवल प्राइवेट वाहन या कुछ ट्रक ही आते -जाते दिख रहे थे।  हालाँकि मुझे भी इस रास्ते से अभी जम्मू नहीं लौटना था मगर चाय -समोसा खाते हुए एक दुकान पर बैठकर आते -जाते वाहनों को देखता रहा।  


मुझे वापस मनवाल ही लौटना था।  अभी दोपहर के दो बजे थे और मनवाल से जम्मू की ट्रेन का समय लगभग साढ़े पांच बजे का था।  मानसर से मनवाल 30 -35 किलोमीटर दूर था मगर मेरी मुश्किल दूरी नहीं समय की थी।  मनवाल टाउन से कुछ पहले कुछ पुराने मंदिरों का एक बोर्ड लगा दिखाई दिया था , मुझे उन मंदिरों तक पहुंचना था और फिर ट्रेन भी पकड़नी थी।  मुझे न अभी तक उन मंदिरों का नाम पता था न उनकी मनवाल टाउन से दूरी का कोई आईडिया था। 


वापस आने में ज्यादा देर नहीं लगी।  सुरिंसर से मानसर तक के लिए एक कार से लिफ्ट मिल गई और जैसे ही उस कार से उतरा , मुश्किल से पांच मिनट के अंदर मनवाल के लिए बस भी आ गई।  टिकट लेते हुए उस भाई से बता दिया था कि भाई एक जगह मंदिरों का कुछ बोर्ड जैसा लगा है वहां उतार देना , मगर मालुम नहीं वो भूल गया या उस मेरी बात समझ नहीं आई थी , वो बस को फुल स्पीड में चलाता हुआ आगे निकल गया।  मुझे फिर से वो बोर्ड दिखा तो मैं एक तरह से चिल्लाया -रोकियो भाई ! रोकियो ..तब उसे याद आया कि मैंने उसे -कुछ बोला भी था ! 



मैं 50 कदम लौटा ! बोर्ड मुझे अपने राइट साइड में दिखा था और मुझे बस ने लेफ्ट साइड में उतारा था।  भारत में लेफ्ट साइड ड्राइविंग ही है तो निश्चित सी बात है कि बस लेफ्ट में ही चल रही थी।  मैं रोड क्रॉस कर के उधर जाता , उससे पहले एक कोल्डड्रिंक पीने का मन हो रहा था।  जून का महीना अपने आखिरी पड़ाव में था तो स्वाभाविक है कि भयंकर गर्मी थी।  कुछ कदम और चला दुकान की तरफ तो वहां दुकान के बराबर में ही एक धुंधला सा बॉर्ड लगा था -पढ़ने की कोशिश की तो समझ आया ! काले रंग के बोर्ड पर सफ़ेद अक्षरों में हिंदी में लिखा था -काला डेरा मंदिर ! कोल्डड्रिंक जिस दुकान से ली थी उसी आदमी से पूछा -इधर क्या है ? बहुत पुराने मंदिर हैं ! नींद में खलल डाल दिया था शायद मैंने उसकी ....वो कोल्डड्रिंक की बोतल पकड़ा के ऐसे सो गया फिर से जैसे जन्म जन्मांतर से न सोया हो ! 


तू सोता रह भाई ! मैं बराबर में ही बने एक गेट से अंदर प्रवेश कर गया।  रास्ता एक लम्बी -खाली गली जैसा था जिसके एक तरफ घर बने थे और दूसरी तरफ खाली जगह पड़ी थी जिसके चारों तरफ कंटीले तार लगे थे।  करीब 200 मीटर चलने के बाद मैं एक ऐसी जगह पहुँच चुका था जिसका मैंने पहले न कभी नाम सुना था न वो मेरे इस बार के किसी प्रोग्राम में शामिल थी।  आया तो था मानसर और सुरिंसर लेक देखने के लिए मगर ये तो आनंद आ गया ! एक और नई जगह देखने को मिल गई।  



सामने एक चारपाई पर केयरटेकर फैले पड़े थे पेड़ की छाँव मे।  उन्हें अंदाजा भी नहीं होगा कि जून की भरी गर्मी में दोपहर की चिलचिलाती धूप  में कोई बांगड़बिल्ला इधर आ धमकेगा !  मुझे देखकर उन्होंने अपनी गर्दन उठाई और फिर अपनी उसी सपनीली दुनियां में खो गए / शायद सो गए ! 


मैं आज जिस जगह को आपको दिखाने और बताने जा रहा हूँ उस जगह के बारे में आपने न कभी पहले सुना होगा न शायद पढ़ा होगा।  हम में से ज्यादातर लोग ऐसी जगह जाना पसंद करते हैं जो भीड़भाड़ से भरी रहती हैं , जिनका विज्ञापन आप हर रोज़ देखते हैं या ज्यादा चमकती हैं और जिन जगहों के फोटो अच्छे आते हैं मगर मुझे पसंद हैं ऐसी भी जगहें जो बहुत पुरानी होती हैं , बहुत सुन्दर भले न हों लेकिन इतिहास समेटे हुए हों।  इनमे से ही एक जगह हैं काला डेरा के शिव मंदिर ! जम्मू -उधमपुर के बीच पड़ने वाले छोटे से टाउन मनवाल के पास स्थित ये मंदिर 10 वीं या शायद 11 वीं शताब्दी के बने हुए हैं जिन्हें डोगरा शासकों ने बनवाया था।  काला डेरा का मतलब होता है काले पत्थर के बने मंदिर।  



आसपास अच्छी तरह से मेन्टेन किया हुआ है जिससे यहाँ पहुंचकर बोरियत महसूस नहीं होती।  शुरुआत में ही आकर्षित करते स्ट्रक्चर हैं जिनके खम्भे बहुत ही सुन्दर और डिज़ाइनदार हैं। मेरा विश्वास है कि आप निराश नहीं होंगे।  थोड़ा आगे चलकर मुख्य मंदिर नजर आता है जिसको एक प्लेटफार्म पर इस तरह से बनाया गया है जिससे श्रदालुओं को आने और दर्शन कर के निकलने में परेशानी न हो।  मंडप हालाँकि छोटा है और गर्भगृह में शिवलिंग विराजमान हैं।  मंदिर के सामने विराजित नंदी को किसी ने नुकसान पहुँचाया हुआ है।  


अब यहाँ जितना घूमना था वो घूम चुका हूँ और मोबाइल की घडी चार बजते हुए दिखा रही है।  मुझे अभी यहीं पास में एक और ऐसी ही अनजानी सी जगह भी जाना है इसलिए यहाँ से निकलने का समय आ पहुंचा है।  अगली पोस्ट में आपको एक और बेहतरीन जगह लेकर जाऊँगा। .. आते रहिएगा  


2 टिप्‍पणियां:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर चित्र

दिगम्बर नासवा ने कहा…

खूबसूरत चित्रों के साथ रोचक जानकारी ...