शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

Datia Mahal : Datia (M.P)

दतिया महल : दतिया
Date of Journey : 04 Dec.2019 


दतिया ! मध्य प्रदेश का एक छोटा सा शहर जो माँ पीताम्बरा पीठ के होने से ज्यादा पहचाना जाता है। पीताम्बरा पीठ के दर्शन के लिए उस वक्त ज्यादा भीड़भाड़ नहीं थी। वैसे भी दोपहर में स्थानीय लोग मंदिर के दर्शन को नहीं जाते , या तो सुबह या शाम को आरती के समय उनका ज्यादा आना जाना रहता है। लेकिन मेरे लिए यही वक्त उचित था।


मंदिर से निकला तो दतिया महल की तरफ मुंह करके खड़ा हो गया। मैं आज शाम तक दतिया से करीब 20 KM दूर सोनागिरि भी जाना चाहता था इसलिए थोड़ी देर ये सोचता रहा कि पहले कहाँ जाऊं ? दतिया महल या सोनागिरि !! खड़े -खड़े क्या सोचना , चलो कचौड़ी खाते हुए सोचते हैं !! और जब तक दो कचौड़ी with रायता खत्म होतीं तब तक मन तय कर चुका था कि पहले दतिया महल चलेंगे। 

ज्यादा दूर नहीं है मंदिर से लेकिन रास्ता घूम घाम के था इसलिए पैदल का मोह छोड़ दिया और ऑटो पकड़ के महल के बिलकुल सामने पहुँच गए। पहली नजर में ही समझ में आ गया कि इस महल को इसके ही हाल पर छोड़ दिया गया है। अंदर एक कर्मचारी टिकट फाड़ रहा है और टिकट काउंटर के नाम पर बस एक कुर्सी मेज पड़े हैं। 25 रूपये का टिकट है लेकिन टिकट काउंटर की हालत उन काउंटर से भी बुरी है जहां 10 -10 रूपये का टिकट मिलता है। महल के सामने सूअर अपना गंगा स्नान करने में व्यस्त हैं। अगर आप दतिया में हैं और आपके पास दो तीन घंटे का समय है , अगर आप net Savvy नहीं हैं और आपको ये नहीं मालुम कि दतिया में मंदिर के अलावा कुछ और भी है ! तो सच मानिये आपको पता लगेगा भी नहीं और आप वापस घर पहुँच के अचंभित हो जाएंगे जब आपको कहीं से ये जानकारी मिलेगी कि दतिया में मंदिर के अलावा भी बहुत कुछ है !! एक बोर्ड तक नहीं है पूरे शहर में !! जी हाँ भाईसाब !! संभव है मुझे न दिखा हो बोर्ड लेकिन मैंने इस बारे में ऑटो वाले से पूछा भी था , उसने मना किया । मतलब आपके शहर में इतना कुछ है लेकिन आप उसका प्रचार ही नहीं कर रहे ?

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं और ईद की मुबारकवाद के फ़र्ज़ी साइन बोर्ड से शहर भर को गंदा किये रहते हो लेकिन दतिया महल का एक बोर्ड , बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन पर नहीं लगाओगे ? अरे इतिहास ने इतना कुछ आपको दिया है तो उसे संवारिये , सजाइये , लोगों को दिखाइए ! आपके ही भाई -बंधुओं को रोज़गार मिलेगा।चाय -पकोड़ी ज्यादा बिकेगी , चना -मुरमुरा बिकेगा। होटल में लोग रुकेंगे लेकिन नहीं ! करेंगे नहीं कुछ बस बकेंगे !!

दतिया महल को बीर सिंह महल भी कहते हैं और इसकी सबसे बड़ी खासियत इसका सात मंजिल का होना है। बीच में एक सेंट्रल बिल्डिंग है जिसके चारों दिशाओं में तीलियों की तरह बहुत ही शानदार खम्भे बनाये गए हैं। सात मंजिलों की वजह से इसे सतखण्डा महल भी बोलते हैं बहुत लोग। ऐसे बताते हैं कि बुन्देलखण्ड के राजा महाराजा बीर सिंह देव जी ने पूरे देश में ऐसे 52 Monuments बनवाये जिसमें से सबसे बड़ा यही है। इसे बनाने में कारीगरों को नौ साल का समय लगा था। नौ साल लगा मतलब फिर भी जल्दी ही बना दिया !! 1614 ईस्वी में बना ये महल सात मंजिल का है और विस्मय की बात ये कि इसे बनाने में केवल ईंट , सीमेंट या बालू का ही उपयोग किया गया है , लोहे या लकड़ी का कोई उपयोग नहीं है।

मजे की बात ये है कि इतने बड़े महल में कभी कोई राजा या रानी नहीं रही। इस महल को बनाने का एकमात्र उद्देश्य जहांगीर के दतिया आने का एक निशान बनाने का , एक यादगार बनाने का था। राजा बीर सिंह देव भी कभी इस महल में नहीं रहे और ऐसे प्रमाण भी नहीं मिलते कि वो यहां एक दो दिन के लिए भी आये हों। खैर बड़े लोग छोटे छोटे शहरों में ऐसे ही महल बनाकर भूल जाया करते हैं। मैंने गिने नहीं लेकिन वहां उपस्थित लोग इस महल में 440 कमरे बताते हैं। वो खैर अलग बात है लेकिन जैसे जैसे आप ऊपरी मंजिलों पर पहुँचते हैं इसकी सुंदरता और भी अच्छी लगने लगती है। आखिर के कुछ खंड यानी मंजिलें बंद हैं लेकिन जितना खुला है अच्छा लगता है। हाँ जाते हुए पहले तल पर जो करिडोर हैं , उनमें बदबू सी आती रहती है लेकिन जब आप अंदर मुख्य महल के प्रांगण में पहुँचते हैं तो इसके चमकीले खम्भे देखकर मन प्रसन्न हो जाता है !! मौका मिले तो जाइएगा जरूर !! 












मुझे सबसे सुन्दर ये खम्भे लगे जो इसी तरह चारों दिशाओं में बनाये गए हैं 


इस महल का वीडियो भी बनाया था जिसका लिंक यहाँ दे रहा हूँ !! अच्छा लगे तो बताइयेगा जरूर !!https://www.youtube.com/watch?v=bxmgnMxDaJM&t=107s

5 टिप्‍पणियां:

अनीता सैनी ने कहा…

जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०४-०-७२०२०) को 'नेह के स्रोत सूखे हुए हैं सभी'(चर्चा अंक-३७५२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दतिया महल ... पीताम्बरी पीठ और कमाल के खम्बे ....
लाजवाब चित्रों के साथ रोचक पोस्ट ... यात्रा का आनंद आ रहा है आपके साथ ...

Sunil Deepak ने कहा…

यह तो ओरछा वाले बीर सिंह देव जी का काम लगता है, जिनकी जहाँगीर से मित्रता थी और उसी जहाँगीर के आने की शान में ओरछा में भी चारबाग बनाया गया था. महल के स्थापत्य में भी ओरछा के किले की छाप दिखती है

Mridula ने कहा…

Bahut hi acha laga padh kar, per Yogi, pata nahin kaab dubara travel karne ko milega!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर