शुक्रवार, 7 अगस्त 2015

जोशीमठ से बद्रीनाथ जी

इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक करें !!


​लौटने पर तपोवन स्टैंड पर दो सूमो गाड़ियां खड़ी थीं । पहले वाली से पूछा कितनी देर में चलोगे ?10 मिनट में ही चल पड़ेंगे । मैंने बैग पिछली सीट पर फैंक दिया । बीच की सीट पर चार लोग पहले से ही जमे पड़े थे । भूख और गर्मी दोनों परेशान कर रहे थे । सामने की ही दुकान से कोल्ड ड्रिंक और दो समोसे खेंच लिए । 10 मिनट तो हो गए । दुकान वाले ने बता दिया ये अभी कम से कम 15 मिनट नही जाने वाला । आराम से खा लो । मेरे बाद भी कोई सवारी नही आई तो आखिर उसे चलना ही पड़ा । लगभग पौने चार बज रहे होंगे । साढ़े चार बजे वापस जोशीमठ के उसी स्टैंड पर थे जहाँ से अभी दो घंटे पहले तपोवन गए थे लेकिन अब ये हमारे लिए तपोवन स्टैंड न होकर बद्रीनाथ स्टैंड हो गया था । ऊपर चढ़कर तपोवन स्टैंड है और सीधे रास्ते पर नीचे की तरफ बद्रीनाथ स्टैंड । सूमो और कमांडर गाड़ियों की लाइन लगी रहती है । लाइन अब भी थी लेकिन दो ही गाडी वाले सवारी ढूंढ रहे थे । एक बद्रीनाथ के लिए और दूसरा पांडुकेश्वर और गोविंदघाट तक के लिए । पांडुकेश्वर और गोविंदघाट बद्रीनाथ से लगभग 20 किलोमीटर पहले रह जाते हैं । एक गाडी वाला कम से कम 10 सवारी लेकर जाता है । बद्रीनाथ वाली गाडी में छह सवारी हम से पहले थी और मेरे जाने से हो गयी सात । थोड़ी देर बाद कोई एक भाईसाब और आ गए । सवारी हो गयी आठ । अब भी दो सवारी चाहिए थीं उस गाडी वाले को । इतनी देर में एक कप चाय पी ली जाए । सामने ही दुकान है । वो भाईसाब भी उधर ही आ गए चाय पीने । परिचय हुआ बात चली । वो भी गाजियाबाद से ही आये थे । दैनिक जागरण के संपादक महोदय प्रदीप वशिष्ठ जी । नॉएडा कार्यालय में कार्यरत हैं । इस यात्रा में पत्रकारों से ही मिलने का योग है क्या ? पहले नीलकंठ महादेव में एन.के. सिंह जी से मुलाकात हुई थी और आज प्रदीप जी से । अच्छा है । इतनी देर में दो पति पत्नी और आ गए । चंडीगढ़ से थे । मामला फंस गया । गाडी वाला किराया मांग रहा था 100 रूपये प्रति सवारी और वो 60 से ज्यादा देने को तैयार नही थे । महिला को कोई फर्क नही पड़ रहा था लेकिन पुरुष 60 से आगे ही नही बढ़ रहा था । होता ज्यादातर इसका उल्टा है । महिला मोलभाव करती हैं और पुरुष जल्दी मान जाते हैं । खैर जब उन्हें पता चल गया कि अब बस भी नही मिलेगी यहाँ से और कोई गाडी वाला भी नही जाएगा इसके बाद । वो तैयार हो गए । गाडी चल पड़ी । और साढ़े सात बजे बद्रीनाथ के स्टैंड में गाडी प्रवेश कर गई । उससे पहले एक एंट्री पॉइंट पर चारधाम यात्रा के परमिशन लैटर लेने होते हैं ।मेरे पास पहले से ही था । ऋषिकेश से बनवा लिया था । बस स्टैंड पर ही इसके लिए काउंटर बनाये हुए हैं । ऑनलाइन भी बनवाया जा सकता है ।
​ये NH -58 है जो दिल्ली से चलकर बद्रीनाथ तक बल्कि माना तक जाता है ! ऐसे जोशीमठ से बद्रीनाथ की कुल दूरी लगभग 48 किलोमीटर है लेकिन मैं कहूँगा कि ये 48 किलोमीटर ही सबसे ज्यादा खतरनाक और सबसे ज्यादा रोमांचक हैं इस रास्ते पर ! जोशीमठ समुद्र तल से 1890 मीटर पर है तो वहीँ बद्रीनाथ 3100 मीटर की ऊंचाई पर। यानी इन 48 ​किलोमीटर में आप देखें तो करीब 1200 मीटर ऊंचाई चढ़नी होती है जो आसान तो नही कही जा सकती !! सिंगल रोड !! एक तरफ ऊँचे ऊँचे पहाड़ तो दूसरी तरफ खाई ! मुझे जब खाई से डर लगता तो मैं अपना मुंह ऊँची चट्टानों की तरफ कर लेता ! हालाँकि इस बार ऐसी स्थिति एक दो जगह पर ही आई , पहली बार जब गया था तो बहुत डर लगा था !! विष्णुप्रयाग में जेपी ग्रुप का हाइड्रो पावर प्लांट है , लेकिन वो फोटो नही लेने देते !! इससे आगे फिर तो गोविंदघाट,  पांडुकेश्वर , और फिर बद्रीनाथ जी !!

बद्रीनाथ के बस स्टैंड पर ही आपको कई सारे लड़के मिल जायंगे , होटल चाहिए ? कमरा चाहिए ? गर्म पानी मिलेगा !! तवे की रोटी मिलेगी। …… !! ऐसे ऐसे ! मेरा पहले से तय था कि वहीं रुकना है जहां 2007 में रुका था ! इसलिए कोई झंझट नही , सीधा वहीँ चलते हैं !! आज थकान बहुत हो गयी , नहायेंगे , खाएंगे और बस सोयेंगे !! लेकिन प्रदीप वशिष्ठ जी को भूल गए ? हालाँकि वो जोशीमठ से ही कहते आ रहे थे , मेरी वहां जान पहिचान है ! देहरादून से फ़ोन करा दूंगा ! अपने आप ही कोई लेने आ जाएगा और बढ़िया होटल में रुकेंगे ! जाने कहाँ कहाँ फ़ोन मिला दिए उन्होंने !! कोई नही आया ! आखिर उन्हें मेरे साथ आना पड़ा ! फिर भी उन्हें चैन नही मिला। बोले - कितने रूपये का पड़ेगा ये कमरा !! मैंने बताया अभी मुफ्त का ! ये अभी आपसे कोई पैसा नही लेंगे ! ये लोग नवम्बर में गाजियाबाद आएंगे तब आपकी जो श्रद्धा हो उस हिसाब से दे देना ! नही तो मत देना ! वो तैयार हो गए रुकने के लिए ! मेरा मन नही था आज दर्शन करने का लेकिन उन्होंने जिद की तो नहा धोकर भगवान बद्रीनाथ जी के दर्शन को निकल लिए ! लौटकर फिर उनकी वो ही रामलीला शुरू हो गयी ! और आखिर में साढ़े दस बजे वो किसी दूसरे होटल में चले गए ! अब सोऊंगा !! दो दो रजाई लेकर ! ठण्ड है अच्छी खासी ! 
बाकी की बात अगली पोस्ट में :






ऐसे भी रास्ते हैं
प्रथम दर्शन


जे फोटो इंटरनेट ते लई है मैंने
ये पांडुकेश्वर मंदिर
ये पांडुकेश्वर मंदिर
ये पांडुकेश्वर मंदिर

जय श्री बद्रीनाथ जी
जय श्री बद्रीनाथ जी
ये वहां रखी हुण्डी










ये प्रदीप वशिष्ठ जी !
ये प्रदीप वशिष्ठ जी ! बैग वाली महिला मत पूछिए  कौन हैं ?
ये मैं



ये छोटा सा कमरा




                                                                                                                   यात्रा जारी रहेगी :


2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

मजा आया

Surjeet ने कहा…

आपके लेख से मैंने बहुत कुछ सीखा। यह भी पढ़ें पांडुकेश्वर मंदिर जोशीमठ