बुधवार, 3 सितंबर 2014

कुछ सटीक व्यंग्य

राजनीति

करो विधानसभा में जूतम पैजार
या निभाओ चोरों से प्रीति |
वोट के बदले नोट दो
या करो जनता को भयभीत   ||
देश को खा जाओ चुपके चुपके
लोगों से बातें करो मीठी मीठी   |
ऐसे ही बनते हैं नेता
ऐसे ही होती है राजनीति   ||

ये देश महान है

ये भारत देश महान है
और महान हैं
इस देश के रहने वाले  |
उनको ही हम देते वोट
जो करते रोज़ घोटाले  ||

लोकतंत्र

जहाँ हर नेता भ्रष्ट
हर अधिकारी
घूस खाने को
स्वतंत्र है  |
वही तो अपना लोकतंत्र है ||

कोरे आश्वासन

जब से आया
उनका शासन
कभी यहाँ , कभी वहाँ
वो रोज़ दे रहे भाषण |
कहीं घोषणाएं करते झूठी
कहीं पे देते कोरे आश्वासन  ||

नेता जी

हँस हँस वो हम सब की
अभिवादन है लेता जी |
कोई भी काम कराने जाए
सबको तसल्ली देता जी  ||
चोर हो या अंगूठा टेक
वो देश की नाव है खेता जी
ये ही तो हैं भाई अपने
अपने प्यारे नेता जी  ||

मा

आज का हमारा समाज
बहुत जागरूक हो गया है |
तभी तो अपने अन्दर होने वाले
सभी कुकृत्यों को अनदेखा कर
छुपकर कहीं सो गया है  ||

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