शुक्रवार, 9 मई 2014

बाय बाय जमशेदपुर

इस यात्रा वृत्तान्त को शुरु से पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें  !!

जैसा कि मैंने अपने इसी यात्रा वृत्तान्त में कहा कि जमशेदपुर मतलब टाटा और इसीलिए इसका एक नाम टाटा नगर भी  है ! जमशेदपुर भी जमशेद जी टाटा के नाम पर ही है ! कोई अपने आपको कितना भी बड़ा देश भक्त क्यों न कहे लेकिन मैं समझता हूँ कि एक उद्योगपति से बड़ा देशभक्त कोई नहीं होता ! सवाल उठाया जा सकता लेकिन मैं ऐसा मानता हूँ क्यूंकि मुझे लगता है उसी की वजह से 10 - 20 से लेकर लाखों घरों के चूल्हे सुबह शाम जल रहे हैं ! इसलिए टाटा को शत शत नमन ! 

पिछले वृतांत में एक बात बताना भूल गया ! हुआ यूँ कि जब हमारी ट्रेन मुरी जंक्शनपर पहुँचीं तो मैं और सौरभ सारस्वत दौनों नीचे उतर गये ! हमें पानी और कोल्ड  ड्रिंक की बोतल लेनी थी ! हमारा डिब्बा इंजन की तरफ़ से चौथ डिब्बा था और पानी और कोल्ड ड्रिंक वाले की दुकान बहुत पीछे थी ! लोगों ने बताया था कि ट्रेन 10 मिनट रुकेगी यहां ! हम उतर गये और अपनी अपनी चीजें खरीदकर वहीँ स्टेशन पर ही बैठ गये ! 2 ही मिनट हुए होंगे कि ट्रेन सरकने लग गयी और सरकी क्या उसने बिना सीटी बजाये अच्छी खासी स्पीड भी पकड़ ली ! हमने दौड़ लगाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ ! अब तो हम बस यही सोच रहे थे कि चलो ये ट्रेन टाटानगर तक ही जाती है वहाँ शायद अपना सामान मिल जाये ! अगली ट्रेन का इंतज़ार  करने के अलावा और कोइ रास्ता ही नहीं था ! थक हार के बैठ गये ! जब हम दौड़ लगा रहे थे तब शायद हमें लोगों ने देख लिया होगा , तो  उन्हीं मैं से एक हमारे पास आया और बोला आप लोग भाग क्यों रहे थे ? हमने अपनी राम कहानी उसे सुनाई तो वो पास ही बैठ गया और आराम से बोला अभी आएगी लौटकर ! फिर उसी ने बताया कि इसका आधा हिस्सा राँची होते हुए राउरकेला जाता  है और आधा टाटानगर ! अभी लौटके आएगी और उसमें अभी एक डिब्बा और जुडेंगे यहॉं से ! ओह ! तो ये बात थी ! फिर तो ऐसे निश्चिंत हो गये जैसे अब कहीं जाना ही  नही है !

भले आप पूरे भारतवर्ष में महात्मा गाँधी , नेहरू जी और इन्दिरा जी की मूर्तियों के अलावा किसी और  की मूर्ति न देख पायें लेकिन ज़मशेदपुर में  तो आपको टाटा का ही जलवा देख़ने को मिलेगा ! बहुत कुछ दिया है टाटा ने इस शहर को ! मूलभूत सुविधाओं से लेकर एक पहिचान तक ! आसान नहीं होता ये सब ! 


पहली बार जे.एन ( जमशेत जी नुसरवान ज़ी ) टाटा , जिन्होने टाटा ग्रुप की नींव रखी , के प्रयासों को करीब से जाना और समझा ! एक पारसी होते हुए भारत को इतना सब देने का माद्दा ! मुझे पारसी बहुत अलग किस्म के लगते हैं ! कहीं पढ़ा था कि अगर एक पारसी के परिवार की मासिक आमदनी 90,000 रुपये है तो उसे गरीब माना जाता है ! और हमारे यहाँ ये शायद अमीर होने  और दिखने का पहला पड़ाव ! इन्होने कभी आरक्षण नहीं माँगा , कभी अपनी हैसियत के हिसाब से लोकसभा या राज्यसभा का  टिकेट नहीं माँगा ! सिर्फ अपना काम करना है !

आजकल बच्चे बाय बाय बोलते हैं लेकिन मैने देखा है कि गाँव में ज्यादातर माँ -बाप अपने बच्चों को टाटा , बाय बाय कहना सिखाते हैं ! टाटा एक परम्परा बन गयी है ! आसान नहीं होता ये सब ! 


अपनी ही लिखी एक हास्य कविता से एक पंक्ति भी जोड़ रहा हूँ शायद आपको पसन्द आये ! 

टाटा -बिड़ला -अम्बानी करते हैं मुझको फ़ोन 
कहते हैं ! घर में बच्चे भूखे हैं , दिलवा दो थोड़ा सा लोन !! 

अब चलते हैं ! फिर मौका मिला तो जमशेदपुर की जमीन और टाटा के प्रयासों को नमन करने जरूर आऊँगा ! 

टाटानगर में जो कुछ देखा उसके फ़ोटो दे रहा हूँ ! 



जमशेदपुर के चिड़ियाघर में रंगीन तोता ! इसका नाम लिखा था वहाँ , भूल गया














 ये सौरभ का स्टाइल है

जयंती सरोवर में बोटिंग

शुतुरमुर्ग जैसा दिखने वाला ईमू
और ये शुतुरमुर्ग


एक फोटू मेरा भी

लकड़ी से बनी बेहतर स्टेचू
मनमोहन सिंह द्वारा यहाँ 2009 में एक पेड़ लगाया गया


पार्क में खुले में पढ़ती लड़कियां , आश्रम की याद दिलाती हैं ! इनके टीचर ने हमें फोटू खेंचने के लिये मना किया था लेकिन तब तक हम क्लिक कर चुके थे

टाटा के परिवार के सदस्य होंगे कोई




रुसी मोदी सेंटर के पास ही बना पिरामिड जैसा कुछ ! उस दिन ये सेंटर बन्द था इसलीये अन्दर नही जा पाये

टाटा  बाबा




फिर मिलते हैं , किसी और जगह के विषय में जानने के लिये  ! 



बाय बाय !





12 टिप्‍पणियां:

जवाहर लाल सिंह ने कहा…

आदरणीय योगी जी, सादर अभिवादन! यात्रा वृतांत लिखना कोई आपसे सीखे ... आप हमें यूं ही गुदगुदाते रहेंगे बहुत याद आते रहेंगे टाटा को टा.. टा ... न कहना ...फिर मिलेंगे! सी यू ....

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…



☆★☆★☆



वाह भाई वाऽह…!
बहुत रोचक लिखा बंधुवर योगेन्द्र सारस्वत जी
सुंदर सचित्र पोस्ट के लिए हृदय से साधुवाद ...



मंगलकामनाओं सहित...
-राजेन्द्र स्वर्णकार

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार ने कहा…



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दिगम्बर नासवा ने कहा…

आपके चित्र और वर्णन देख के लगता है की ताता ने यहाँ न सिर्फ रोजी रोटी दी है ... बल्कि यहाँ के सम्पूर्ण विकास में योगदान किया है ...

Yogi Saraswat ने कहा…

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री जवाहर सिंह जी ! कोशिश कर रहा हूँ अपने आपको स्थापित करने की ! अपना आशीर्वाद , संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद

Yogi Saraswat ने कहा…

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री राजेन्द्र स्वर्णकार जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! बहुत बहुत धन्यवाद

Yogi Saraswat ने कहा…


जी आदरणीय श्री राजेन्द्र स्वर्णकार जी ! सही तरह से समझाया और मैने वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है ! बहुत बहुत आभार आपका ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा

Ramesh Bajpai ने कहा…

PRIY SHRI YOGENDR JI HARDIK SHUBH KAMNAYE RAMESH BAJPAI

Yogi Saraswat ने कहा…

​जी , बिलकुल सही पहचाना आपने श्री दिगंबर जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! बहुत बहुत धन्यवाद

Yogi Saraswat ने कहा…

बहुत बहुत आभार श्री रमेश बाजपाई जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! बहुत बहुत धन्यवाद ​

The Mukhtiars ने कहा…

Nice Pictures

Yogi Saraswat ने कहा…

Thnx a lot for your appreciative comment .