मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

Adi Kailash Yatra at your own

अपने स्तर से आदि कैलाश यात्रा कैसे करें


Date : 16 April 2019

Journey Date : June 2018

इस दुनियां में कुल पांच कैलाश की उपस्थिति मानी जाती है जिनमें श्रीखंड महादेव , मणिमहेश , किन्नर कैलाश और आदि कैलाश भारत में हैं जबकि कैलाश मानसरोवर तिब्बत में है । आदि कैलाश , कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति ( Replica ) है इसलिए इसे कभी -कभी "छोटा कैलाश " भी कहते हैं।  हम जैसे जो लोग कैलाश मानसरोवर नहीं जा पाते वो भारत के उत्तराखंड राज्य में पिथौरागढ़ के जौलिंगकोंग स्थित "आदि कैलाश " के दर्शन कर स्वयं को कृतार्थ मान लेते हैं।  नोट करिये इस बात को कि इस यात्रा में न आपको टैण्ट चाहिए और न स्लीपिंग बैग। हालाँकि हमने स्लीपिंग बैग गुंजी तक लादा था लेकिन हमने जो गलती की वो आप मत करना। अपने बैग में गर्म कपडे , रेन सूट , पानी की बोतल और कुछ खाने -पीने के सामान के अलावा और कुछ मत रखना। कोई जरुरत नहीं !! 


अब आते हैं आदि कैलाश यात्रा पर। और सबसे पहले बात करेंगे कौन -कौन से डॉक्यूमेंट की आपको जरुरत पड़ेगी। आदि कैलाश और ॐ पर्वत दोनों ही भारत -तिब्बत की सीमा के नजदीक पड़ते हैं इसलिए मूल निवासियों के अलावा अगर वहां कोई जाता है तो उसे SDM -धारचूला से परमिशन लेनी होती है जिसे इनर लाइन परमिट कहते हैं। इनर लाइन परमिट पर उन स्थानों के नाम लिखे होते हैं जहां आप जा सकते हैं और समयावधि भी लिखी होती है। आदि कैलाश और ॐ पर्वत यात्रा के लिए अधिकतम 18 दिन का इनर लाइन परमिट मिलता है और अगर आप इससे ज्यादा दिन रुकते हैं या इनर लाइन पास में लिखे स्थानों के अलावा और कहीं जाते हैं तो उत्तराखंड पुलिस और ITBP आपके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर सकती है। 

इनर लाइन पास के लिए आपको अपने लोकल पुलिस स्टेशन से PCC (पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट ) लेकर जाना होता है , मतलब चरित्र प्रमाण पत्र ! ये इस बात का प्रमाण होता है कि आपके ऊपर कोई केस तो नहीं चल रहा ? PCC लेकर सीधे धारचूला के राजकीय अस्पताल में जाइये वहां मेडिकल की फॉर्मेलिटी कराइये । बस 11 रूपये की सरकारी पर्ची कटाइये  , 10 मिनट में आपका मेडिकल सर्टिफिकेट मिल जाएगा। ध्यान  रखियेगा कि मेडिकल सर्टिफिकेट सिर्फ धारचूला का ही चलेगा। अब आप इनर लाइन पास के लिए जा रहे हैं तो कुछ चीजें चेक करिये :

1 . Police Clearance Certificate (PCC)
2. पहिचान पत्र (original )-Adhar Card  + ज़ेरॉक्स कॉपी
3 . Medical Certificate (Original )
4 . Affidavit ( वहीँ SDM ऑफिस के पास नोटरी बैठता है वहां से बन जाता है कुछ पैसे देकर )
5 . चार (4) पासपोर्ट साइज के फोट
6 . आदि कैलाश और ॐ पर्वत यात्रा का फॉर्म

ये सब चीजें लेकर आप SDM ऑफिस चले जाइये , आपको कुछ देर के बाद इनर लाइन पास मिल जाएगा और आप बिना हिचक अपनी आदि कैलाश यात्रा शुरू कर पाएंगे। SDM ऑफिस में आपका ओरिजिनल पहिचान पत्र जमा करा लिया जाएगा और आप जब यात्रा समाप्त करके लौटेंगे तब अपना इनर लाइन पास दिखाकर उसे वापस ले सकते हैं। इनर लाइन पास ही इस यात्रा में आपका सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होने वाला है इसलिए इसे बहुत संभालकर रखें। जहाँ -जहां आप जाएंगे , आपसे जाते हुए और आते हुए आपका इनर लाइन पास देखा जाएगा और आपका आने और वहां से जाने का समय रजिस्टर में नोट किया जाएगा। और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये.....Adi Kailash Yatra - Preaprations Before Start

हम अपनी यात्रा को दिल्ली से शुरू करेंगे और फिर लौटकर दिल्ली में ही समाप्त करेंगे। यहां एक बात बतानी और जरुरी है कि आदि कैलाश यात्रा और ॐ पर्वत यात्रा को उत्तराखंड सरकार का उपक्रम कुमायूं मंडल विकास निगम लिमिटेड (KMVN ) भी हर साल आयोजित कराता है और उसके अलग अलग जगह से यात्रा शुरू करने के अलग -अलग पैकेज होते हैं जैसे दिल्ली से दिल्ली - 40,500 रूपये , काठगोदाम से काठगोदाम 35,500 रूपये और धारचूला से धारचूला 30,500 रूपये लेकिन हमने जो यात्रा की थी वो अपने स्तर पर की है मतलब प्राइवेट , जिसमें अपने स्तर से रास्तों की जानकारी जुटाना , रहने -खाने का इंतेज़ाम खुद करना। मतलब अपनी मर्जी के मालिक ! और आश्चर्यजनक रूप से हमारी यात्रा KMVN की तुलना में बहुत , मतलब बहुत सस्ती रही। संभव है हमें वो लक्ज़री न मिल पाई हो जो निगम से गए यात्रियों को मिली होगी ? लेकिन आनंद और यात्रा को अपनी तरह से करने की ख़ुशी शायद हमें ज्यादा मिली। आगे इस विषय में और भी बातें करेंगे तो संभव है कि आप भी एक मोटा- मोटी अंदाज़ा तो लगा ही पाएंगे !! 

अगर आपने आदि कैलाश यात्रा पर जाने का मानस बना लिया है तो एक दो महीने पहले से एक्सरसाइज करना -हल्की हल्की दौड़ लगाना शुरू कर दीजिये।  वहां उम्र की कोई बाधा नहीं है और मैंने 8 साल के बच्चों से लेकर 65 वर्ष के बुजुर्गों को ये यात्रा करते हुए देखा है।  आप अपना स्टैमिना पहचानिये और निकल चलिए यात्रा पर।  इटिनेररी की बात करते हैं : 

Itinerary : 

Day 0 :  Delhi - Kathgodam by Train/ Bus ( Overnight Journey ) -326 KM 

Day 1 : Kathgodam - Dharchula by Bus / Car / Shared Jeep -275 KM 

Day 2 : Inner Line Permit / SDM Office -Dharchula -Sight Seeing In Dharchula 

Day 3 : Dharchula - Lakhanpur / Nzong Top by Shared/ Hired Jeep - 50 KM -Nzong Top - Malpa -Lamari - Buddhi - 16 KM Trek 

Day 4 : Buddhi - Chhiyalekh -Garbyang-Gunji-15 Km Trek 

Day 5 : Gunji-Kalapani- Nabhidhang (Om Parvat ) Trek - 18 KM 

Day 6 : Nabhidhang - Kalapani-Gunji - Nabi Trek- 21 KM 

Day 7 : Nabi-Nampha-Kuti Trek -16  KM 

Day 8 : Kuti - Adi Kailash ( Jyolingkong ) -13 KM ,  Gauri Kund -Jyolingkong Trek - 3+3 KM 

Day 9 : Jyolingkong-Paravti kund -2+2 -Kuti -13 KM 

Day 10 : Kuti-Gunji Trek -19  KM 

Day 11 : Gunji- Buddhi Trek -15 KM

Day 12 : Buddhi - Nzong Top Trek -16 KM-Dharchula Jeep -50 KM 



Detailed Itinerary : 


Day 0 :  Delhi - Kathgodam by Train/ Bus ( Overnight Journey ) -326 KM  

पुरानी दिल्ली यानि दिल्ली जंक्शन से रानीखेत एक्सप्रेस रात में निकलती है जो सुबह पांच /छह बजे तक आपको काठगोदाम पहुंचा देती है। आप चाहें तो ISBT आनंद विहार से काठगोदाम की सीधी बस भी ले सकते हैं। दिल्ली से टनकपुर होते हुए धारचूला की एक बस भी जाती है शाम को चार बजे। आप चाहें तो इस बस से भी जा सकते हैं जो अगली सुबह आठ बजे के आसपास धारचूला पहुंचाती है। और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये ...Adi Kailsh Yatra - First Day (Dharchula to Nzong Top)


Day 1 : Kathgodam - Dharchula by Bus / Car / Shared Jeep -275 KM   

काठगोदाम स्टेशन के बाहर ही आपको धारचूला की शेयर्ड जीप और कार मिल जाती हैं। किराया करीब 1000 रूपये लग जाता है। धारचूला में 400 रूपये से लेकर 2500 रूपये प्रति व्यक्ति प्रति रात के हिसाब से कई सारे होटल उपलब्ध हैं। दिल्ली -पिथौरागढ़ से ही cash का इंतेज़ाम करके चलिएगा। धारचूला में ATM तो हैं दो -तीन लेकिन उनपर निर्भर रहना समझदारी का काम नहीं होगा। धारचूला में पहुँचते -पहुँचते आपको शाम हो ही जानी है.



Day 2 : Inner Line Permit / SDM Office -Dharchula -Sight Seeing In Dharchula   

धारचूला पहुंचकर अगले दिन SDM ऑफिस में जाकर Inner Line Permit (ILP ) के लिए अप्लाई करिये। जब तक बाकी काम होगा , आप राजकीय चिकित्सालय में अपना मेडिकल करा के मेडिकल सर्टिफिकेट ले आइये। तीन से चार घंटे में आपको ILP मिल जाएगा। आपके पास आज की शाम खाली है तो काली नदी को पार करके नेपाल घूम आइये और आसपास की जो देखने लायक जगहें हैं उन तक भी होकर आ सकते हैं। शाम को ही अगली सुबह , लखनपुर या नजोंग टॉप तक जाने के लिए जीप hire कर लें अगर ग्रुप में हैं तो , नहीं तो अपनी सीट बुक कर लें और जीप वाले से निकलने का समय पूछ लें। ध्यान रखियेगा धारचूला में केवल BSNL और AirTel के ही नंबर काम करते हैं।


Day 3 : Dharchula - Lakhanpur / Nzong Top by Shared/ Hired Jeep - 50 KM - Nzong Top - Malpa -Lamari - Buddhi - 16 KM Trek   

पिछले वर्ष यानी 2018 में जब हम इस यात्रा पर गए थे तब केवल लखनपुर तक ही रोड बनी थी लेकिन अब ऐसी खबरें मिल रही हैं की 4 किलोमीटर और आगे नजोंग टॉप तक रोड बन गई है। इसका मतलब जीप अब नजोंग टॉप तक जा रही होंगी। सुबह -सुबह धारचूला से जीप से नजोंग टॉप तक पहुंचिए। वहां एक नेपाली फॅमिली का ढाबा है , चाय -वाय पीकर अपनी यात्रा शुरू करिये। नजोंग टॉप में एक चार स्तरीय ( Four Layered ) Fall है। चार किलोमीटर दूर मालपा है फिर वहां से पांच किलोमीटर आगे लमारी है और फिर सात किलोमीटर आगे बुद्धि गाँव है। इन सब जगहों पर रुकने -खाने की व्यवस्था है। जरुरत हो तो नजोंग टॉप से ही आपको खच्चर मिल जाते हैं। नजोंग टॉप करीब 2200 मीटर की ऊंचाई पर है जहाँ से संभवतः आपकी यात्रा शुरू होगी , मालपा 2100 मीटर की ऊंचाई पर जबकि लमारी 2410 मीटर और आज का आपका पड़ाव बुद्धि 2720 मीटर पर है।बुद्धि गाँव में आपको रहने खाने का इंतेज़ाम बहुत ही कम पैसों में हो जाता है अगर बिलकुल कम की बात करें तो 200 रूपये प्रति व्यक्ति तक भी । और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये......Adi Kailsh Yatra - Second Day ( Nzong Top to Buddhi)


Day 4 : Buddhi - Chhiyalekh -Garbyang-Gunji-15 KM  Trek   

बुद्धी गाँव से बाहर निकलते ही छियालेख की चढ़ाई शुरू हो जाती है। इस यात्रा की ये सबसे कठिन चढ़ाई मानी जाती है जिसमें तीन किलोमीटर की दूरी में आपको करीब 700 मीटर ऊपर चढ़ना होता है।  बुद्धी 2720 मीटर पर है और छियालेख 3400 मीटर पर।  रास्ते में यात्री शेड बने हैं और पत्थरों के रास्ते पर खच्चर भी लगातार चलते रहते हैं तो अपना मुंह कपड़े से बांधकर चलिए और खच्चरों से बचकर चलिए। छियालेख की चढ़ाई पूरी करते ही एक गेट जैसा आता है ईंटों का बना हुआ , इसके बाहर निकलते ही कुछ घर , दुकान दिखने लगेंगे। इनमें ही नाश्ता -खाना मिल जाता है। हमने अन्नपूर्णा रेस्टॉरेंट में अपनी पेट पूजा की थी जहां आपको चाय से लेकर कोल्डड्रिंक और फ्रूटी तक मिल जाती है। छियालेख बहुत ही सुन्दर और प्रकृति की मनोरम छटा वाली जगह है। आप अभी अभी ईंटों वाले जिस गेट से पार होकर आये हैं , वहां लिखा है -छियालेख : फूलों की घाटी ! छियालेख से अगला गाँव गर्ब्यांग ही है जो करीब छह किलोमीटर दूर होगा। जब आप छियालेख से निकलते हैं तो एक खूब चौड़ा रास्ता मिलता है जसके दाएं साइड एक बड़ी और खूब चौड़ी खुली हुई वैली दिखाई देने लगती है। गर्ब्यांग गाँव से करीब छह किलोमीटर आगे गुंजी 3269  मीटर ऊंचाई पर बसा एक भरा पूरा गाँव है जिससे पहले एक छोटा सा गाँव "नपलच्या " आता है और कुटी नदी का पुल पार करते ही आप गुंजी में होते हैं। और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये..............Adi Kailsh Yatra - Third Day ( Budhi to Gunji )




Day 5 : Gunji-Kalapani- Nabhidhang (Om Parvat ) Trek - 18 KM 

गुंजी से कालापानी की दूरी 9 KM  है और इतना ही दूर कालापानी से नाभीढांग है। यानी आज कुल 18 किलोमीटर की यात्रा रहेगी । कालापानी से करीब एक किलोमीटर पहले काली नदी के किनारे एक जगह गर्म पानी का स्रोत है जिसमें नहाना तो बनता है।  कालापानी से आप पुल पार करके सीधे ही नाभीढांग जा सकते हैं लेकिन वहां एक खूबसूरत मंदिर है और इतनी दूर स्थित इस मंदिर के दर्शन करे बिना जाना असंभव था । मंदिर के सामने की पहाड़ी में एक बड़ा सा छेद सा दिखाई देता है जिसे व्यास गुफा कहते हैं और मान्यता ये है कि व्यास जी ने यहाँ बैठकर अपने कुछ ग्रंथों की रचना की थी। मंदिर की पूरी व्यवस्था ITBP के हाथों में है जिसे उन्होंने बहुत बेहतरीन रूप से संभाला हुआ है। आईटीबीपी के जवानों ने मस्त पुदीना चाय पिलाई। नाभीढांग वो जगह है जहाँ से आपको "ओम पर्वत " के दर्शन होते हैं। आदि कैलाश यात्री तो यहां से ओम पर्बत के दर्शन कर के वापस आ जाते हाँ जबकि कैलाश मानसरोवर यात्री नाभीढांग से नौ किलोमीटर आगे लिपुलेख दर्रा पार कर तिब्बत में स्थित कैलाश मानसरोवर के लिए पहुँचते हैं। गुंजी , जहाँ से आप चले हैं वो 3269 मीटर पर है , कालापानी 3626 मीटर पर और नाभीढांग 4550 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।  ओम पर्वत की ऊंचाई 6300 मीटर है।  नाभीढांग से ही कुछ पहले जीवन में पहली बार याक जैसे दिखने वाले जानवर "ज़िप्पू " को देखने का मौका मिला जिसे वहां के लोग "झब्बू " भी कहते हैं। ये गाय और याक की नस्ल का जानवर होता है जो सामान ढोने और खेतों में हल चलाने के लिए काम लिया जाता है । और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये........Adi Kailsh Yatra - Fourth Day ( Gunji to OM Parvat )

Day 6 : Nabhidhang - Kalapani-Gunji - Nabi Trek- 21 KM   

नाभीढांग में KMVN का गेस्ट हाउस भी है और फ़ोन की लैंडलाइन सुविधा भी उपलब्ध है हालाँकि कॉल रेट 6 रूपये प्रति मिनट है लेकिन सुविधा मिल रही है अपने घर बात करने की , ये ज्यादा मायने रखता है ! नाभीढांग से वापसी में उतराई थी और ज्यादा फोटो भी नहीं खींचने थे इसलिए कालापानी से नाभीढांग तक जाते हुए जहाँ हमें करीब छह घण्टे लगे थे उतरने में मुश्किल से तीन घण्टे लगे होंगे। नबी गाँव , आदि कैलाश के रूट पर गुंजी से करीब तीन किलोमीटर दूर है। नबी गाँव , छोटा गाँव है जहां के निवासी अपने नाम के साथ "नबियाल " लगाते हैं। नबी गाँव में रास्ते में ही खड़ी दो जिप्सी आपका ध्यान खींचती हैं , जहां रास्ते न हों वहां इनका क्या काम ? लेकिन कुछ जुनूनी लोग करीब 15 -16 साल पहले इन जिप्सियों को Disassemble करके ले गए थे और वहां जाकर Assemble कर लिया था। हालाँकि आज की तारीख़ में ये बस दिखाने भर के लिए हैं। नबी गाँव में बढ़िया गेस्ट हाउस ले लिया है। आपको इस क्षेत्र में कहीं पेड़ की टहनियां , कहीं सूखे पेड़ घर के बाहर लगे मिलेंगे जिन पर कपड़ों की झंडियां लगी होती हैं। ये लोग इसे बहुत पवित्र मानते हैं और ऐसा विश्वास करते हैं कि इस सब से बुरी आत्माएं घर के अंदर प्रवेश नहीं कर पातीं। नाबी गाँव के दूसरी तरफ एक बहुत , मतलब सच में ही बहुत खूबसूरत गाँव हैं रेकोंग। दूसरी दिशा में "अपि पर्वत " श्रंखला शानदार नजर आ रही है और शायद नबी गाँव इस पर्वत को देखने का सबसे बढ़िया पॉइंट होगा !! और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये ......Adi Kailsh Yatra - Fifth Day ( Om Parvat to Nabi Village )


Day 7 : Nabi- Nampha - Kuti Trek -16  KM  

गुंजी से कुटी गाँव पूरे 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है लेकिन हम नाबी गाँव से चले हैं आज तो तीन किलोमीटर कम चलना होगा। यहाँ से करीब सात किलोमीटर आगे नम्फा में KMVN के गेस्ट हाउस के सामने ही कुटी गाँव के सज्जन ने चाय -पानी का इंतेज़ाम किया हुआ है और एक -दो लोगों के लिए रुकने का भी ठिकाना मिल जाता है। नम्फा से आगे एक लोहे का पुल आता है और इस पुल को पार कर कुटी नदी एक बहुत चौड़ी घाटी से गुजरते हुए दिखाई देती है , और ये नजारा बड़ा विहंगम दृश्य पैदा करता है। पानी साथ में लेकर चलिएगा क्यूंकि नाबी गाँव के बाद आपको नम्फा और फिर कुटी में ही पानी मिल पायेगा , हाँ ! बीच में एक जगह एक वाटर टैप लगा है (जिसे आप फोटो में देख सकते हैं ) लेकिन उसका कोई भरोसा नहीं कभी पानी आ जाता है , कभी नहीं आता। अब तक का रास्ता ऐसा रहा है जहाँ न ज्यादा चढ़ाई और न ज्यादा उतराई है , यानी आपको लगेगा ही नहीं कि आप पहाड़ों में यात्रा कर रहे हैं ! कुटी  गाँव के प्रवेश द्वार में घुसते ही सामने आपको बहुत ही सुन्दर पहाड़ी गाँव का नजारा मिलता है जहां पांडव फोर्ट के अवशेष देखने को मिलते हैं।  बहुत ही सुन्दर गाँव है कुटी। और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये ..........Adi Kailsh Yatra - Sixth Day ( Nabi to Kuti Village )



Kuti Village on the route Adi Kailash- https://www.youtube.com/watch?v=cR8P4pbvDQs&t=13s

Day 8 : Kuti - Adi Kailash ( Jyolingkong ) -13 KM ,  Gauri Kund -Jyolingkong Trek - 3+3 KM  

 कुटी....कुंती का अपभ्रंश है जो कभी कुंती हुआ करता होगा।  बिगड़ते बिगड़ते कुटी हो गया !! ये गांव इस दिशा में भारत का अंतिम गाँव है , इसके बाद कुछ नहीं करीब 25 किलोमीटर तक और फिर तिब्बत। कुटी की समुद्र तल से ऊंचाई करीब 3840 मीटर है।  कुटी गाँव के बिल्कुल पास ITBP की यूनिट भी है जहाँ आपको लैंडलाइन फ़ोन मिल जाएगा घर बात करने के लिए लेकिन शाम को बस 5 से 6 बजे तक का ही समय मिलता है सामान्य लोगों को बात करने के लिए। एक बड़ी विचित्र सी बात है -कुटी जैसे सीमावर्ती गाँव में किसी भी फ़ोन का , कोई नेटवर्क नहीं आता ( धारचूला से आगे नेटवर्क नहीं आता ) लेकिन फिर भी हर किसी के हाथ में स्मार्ट फ़ोन दीखता है। शायद फिल्म देखने के लिए , गाने सुनने के लिए रखते होंगे।यहाँ से आपको हर -हालत में दोपहर 12 बजे तक आगे के लिए निकल जाना होता है , अगर आप इसके बाद जाना चाहेंगे तो ITBP वाले आपको किसी भी कीमत पर नहीं जाने देने वाले। ज्योलिंगकांग यानि आदि कैलाश में आपको यात्रा सीजन में रुकने और खाने की कई हट मिल जाती हैं।  यहाँ से करीब तीन किलोमीटर आगे गौरीकुंड है जो आदि कैलाश पर्वत का बेस है। यहाँ बहुत ज्यादा ठण्ड होती है इसलिए गर्म कपडे पहनकर जाइये और पानी की बोतल जरूर साथ रखियेगा। और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये.......Adi Kailsh Yatra - Seventh Day ( Kuti Village to Adi Kailash )




Day 9 : Jyolingkong-Paravti kund -2+2 -Kuti -13 KM  

गौरीकुण्ड के  अलावा एक और कुण्ड है जिसे पार्वती कुण्ड या पार्वती सरोवर कहते हैं। ये भी उतना ही दूर है जितना गौरी कुण्ड है यानि 2 -3 किलोमीटर की दूरी पर लेकिन विपरीत दिशा में। इसमें पड़ने वाली आदि कैलाश पर्वत की छाया (Shadow ) मंत्रमुग्ध कर देती है। इसके दर्शन करने के बाद आप वापस कुटी की तरफ लौटते हैं , उसी रास्ते से जिस रास्ते से आप कुटी से ज्योलिंगकांग ( आदि कैलाश ) आये थे।  यात्रा संपन्न हो चुकी है और अब वापस लौटने का समय है। और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये....Adi Kailsh Yatra - Adi Kailash



Day 10 : Kuti-Gunji Trek -19  KM  

कुटी गाँव से सुबह जल्दी निकलिए की कोशिश करियेगा जिससे आपको कुटी गाँव से चार पांच किलोमीटर दूर जाकर कोई आर्मी की ट्रक मिल जाए। अगर उसमें आपको लिफ्ट मिल गई तो आप गुंजी दो -तीन घंटे में ही पहुँच जाएंगे और हो सकता है , आपका एक दिन भी बच जाए। और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये.....Adi Kailsh Yatra - Ninth Day ( Kuti Village to Budhi)

 Day 11 : Gunji- Buddhi Trek -15 KM

गुंजी से बुद्धि के रास्ते में अब आपको कोई चढ़ाई नहीं है , आसान रास्ता है।  हो सकता है गुंजी से छियालेख तक किसी ट्रक में आपको लिफ्ट मिल जाए।  आज आप आसानी से बुद्धि गाँव तक पहुँच जाएंगे। और विस्तृत रूप से पढ़ना चाहें तो इस लिंक पर क्लिक करिये....Adi Kailsh Yatra - Tenth Day ( Budhi to Dharchula Return)


Day 12 : Buddhi - Nzong Top Trek -16 KM- Dharchula Jeep -50 KM 

ये आज आपका इस यात्रा का अंतिम दिन है। चार -पांच बजे तक हर हालत में नजोंग टॉप / लखनपुर तक पहुँचने की कोशिश करियेगा जिससे आपको धारचूला तक जाने वाली शेयर्ड जीप मिल जायेगी। 


नोट : मैंने इस पोस्ट में जहाँ -जहाँ रुकने और खाने की व्यवस्था लिखी है वहां KMVN का गेस्ट हाउस भी उपलब्ध है जिसका रेट आप KMVN की साइट से पता कर सकते हैं जो शायद Rs 700 / Night / Person है। लेकिन हम ज्यादातर लोकल लोगों के यहाँ रुके थे जिनके यहाँ खाना और रहना लगभग 200 रूपये से लेकर 350 रूपये प्रति व्यक्ति में हो जाता है। गर्म कपडे और पानी के साथ -साथ ड्राई फ्रूट्स , नमकीन -बिस्कुट जरूर अपने पास रखिये। इसके अलावा कुछ बहुत जरुरी दवाइयां -गर्म पट्टी , मलहम , iodex , विक्स और चूसने वाली टॉफ़ी जैसे पल्स आदि भी लेकर चलिए। अगर आप पान मसाला -तम्बाकू -सिगरेट के शौक़ीन हैं तो अपना सब व्यवस्था पहले ही लेकर जाइये। मुश्किल है ये सब मिलना , या मिलता भी होगा तो मैंने खरीदा नहीं। शराब -देशी चकती का ज्यादा सेवन मत करिये क्यूंकि एक तो ये धार्मिक यात्रा है और दूसरी बात आपको सांस लेने में भी परेशानी होगी। 

Adi Kailash Yatra Full Guide Video 

कुछ संदेह हो , कोई सवाल हो तो लिखें। मेरा इस यात्रा का रूट मैप का एक वीडियो भी मेरे Youtube चैनल पर उपलब्ध है जिसका लिंक मैं यहाँ दे रहा हूँ , देखिएगा ! आपके बहुत काम आएगा !! जय भोले !!

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

Baijnath Shiva Temple : Himachal Pradesh

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बैजनाथ शिव मंदिर : बैजनाथ ( हिमाचल प्रदेश ) 
Date of Journey : Oct.2018



कांगड़ा दूसरी बार आया था मैं और दोनों ही बार परिवार के साथ आने का सौभाग्य रहा। मैं कोशिश करता हूँ कि जहाँ जाऊं बच्चों को साथ रखूं। इसके दो वजह लेकर चलता हूँ -पहली बात ये कि बच्चे पढ़ने के बजाय  देखने से ज्यादा और जल्दी सीखते हैं , दूसरी बात - बच्चों का अकेले -अकेले घर में मन नहीं लगता और तीसरी बात जो सबसे महत्वपूर्ण हो सकती है वो ये कि जब बीवी -बच्चों को पहले कहीं घुमा लाता हूँ तब कहीं जाकर मुझे अकेले ट्रैकिंग पर जाने की अनुमति मिल पाती है।


आज मौसम एकदम बढ़िया है और कांगड़ा फोर्ट देखकर वापस बस स्टैंड पहुँच रहे हैं। एक ऑटो  hire कर लिया था 300 रूपये में जिससे समय की बचत हो गयी। आज बैजनाथ मंदिर जाने का प्रोग्राम है लेकिन यहाँ कांगड़ा बस स्टैंड पर अभी पालमपुर की बस जाने को तैयार है , बैजनाथ के लिए भी बसें मिलती हैं लेकिन हम इंतज़ार नहीं करना चाहते और पालमपुर की बस में अपना बैग पटक देते हैं। रास्ते अच्छे हैं तो गाड़ियों की रफ़्तार भी अच्छी मिल जाती है। लेकिन किराया भी उसी हिसाब से 'अच्छा ' है , मतलब थोड़ा ज्यादा है और जगहों के मुकाबले। करीब 75 किलोमीटर दूर होगा बैजनाथ , कांगड़ा से। बस पालमपुर पहुँचने को है और मैं उस "पालमपुर " के ख्यालों -ख़्वाबों को फिर से बुनने में लगा हूँ जो मैंने बचपन से पढ़े हैं , देखे हैं। 


मेरी उम्र के जो मित्रगण हैं और जिन्होंने मेरी तरह उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् से हाइस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं पास की हैं , उन्हें याद होगा कि हमें अंग्रेजी में किसी लेखक का एक पाठ पढ़ाया जाता था -नैनीताल का। जिसके बारे में बताया जाता था कि वहां सुन्दर ताल हैं , सीढ़ीदार खेत होते हैं .. कोई- कोई मास्टर जी सीढ़ीदार खेत को पेढ़ीदार खेत कहते थे। मतलब तब हिल स्टेशन के नाम पर बस नैनीताल और मसूरी , दो ही नाम जेहन में भी और किताबों में भी , पढ़ने को मिलते थे। अब थोड़ा हिंदी फिल्मों की तरफ आएं तो 1980 से पहले की फिल्मों में नायक -नायिका कश्मीर की वादियों में पेड़ों के इर्द गिर्द नृत्य करते हुए दिखते थे। . ......छोड़ दो आँचल ......जमाना क्या कहेगा... ..फिर अजय देवगन ने दोनों पैर फैलाकर दो बाइक पर सवार होकर फिल्मों में एंट्री मारी .. उनकी फिल्मों में और उनके बाद की फिल्मों में भी जब जब हीरोइन बीमार पड़ती तो डॉक्टर उन्हें हवा -पानी बदलने के नाम पर पालमपुर भेजने लगे। वो पालमपुर अब आने वाला था। ... लेकिन ये पालमपुर वो नहीं था जिसकी कल्पना मैं करके आया था .. इतना भीड़भाड़ वाला तो नहीं था मेरा वाला पालमपुर। .. इतना बदरंग चेहरा नहीं था मेरे पालमपुर का। . किसने बिगाड़ा इसका चेहरा ? लाइन से चलती छोटी -बड़ी गाड़ियों ने और बेतहाशा बढती आबादी ने। उफ्फ ये वो पालमपुर नहीं है तो फिर मुझे देखना भी नहीं है। मेरी नजरें तो उस चित्रकार वाले पालमपुर को देखने आई थीं जहाँ भरपूर हरियाली हो , जहां कल -कल बहती छोटी सी नदी हो , जहां पक्षियों की कलरव हो.... .. जहां मैं और मेरी हमसफर बाहों में बाहें डालकर बच्चों को साथ लेते हुए प्रेम के तराने गुनगुना सकें . रहे न रहे हम .. महका करेंगे .. बनके कली बनके सबा.... . लेकिन नहीं। वो पालमपुर नहीं है ये और मैं इसका बदरंग चेहरा अपनी आँखों से नहीं देख सकता। लेकिन अब लौटकर लगता है कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं असली वाला चेहरा देख ही न पाया होऊं ? ऐसा तो नहीं कि मैं जिस प्रेमिका से मिलने गया था , उसकी चचेरी बहन को देखकर अपना मन खट्टा करके उसके बारे में गलत धारणा बनाकर लौट आया होऊं ? 


पालमपुर से भी पांच मिनट में ही बैजनाथ के लिए बस मिल गई। अक्टूबर का आखरी वीक है और कोल्डड्रिंक की इच्छा जाग्रत हो रही है तो मतलब सीधा सा है , इस पहाड़ी क्षेत्र में गर्मी खूब है। करीब दो -ढाई बजे हम बैजनाथ कस्बे में प्रवेश कर गए। शांत और छोटा सा बैजनाथ जहां का शिव मंदिर विश्व प्रसिद्ध है और उसी के दर्शन के लिए हम यहाँ आये हुए हैं। बैजनाथ जगह का नाम , बैजनाथ शिव मंदिर से ही आया है। बैजनाथ की मुख्य शहरों से दूरी पर निगाह डाल लेते हैं फिर आगे चलते हैं : 


Palampur to Baijnath - 16 KM 
Dharmshala to Baijnath - 50 KM
Kangda to Baijnath(via Palampur ) -78 KM 
Pathankot to Baijnath - 133 KM
Delhi to Baijnath - 504 KM 
Chandigarh to Baijnath -273 KM 
Mumbai to Baijnath -1920 KM 


बैजनाथ जी का जो मंदिर है वो शहर के बस स्टैंड के एकदम सामने ही है और इसके लिए आपको न किसी से पूछने की जरुरत है और न अपना गूगल मैप खोलने की। सामने ही दिख जाएगा लेकिन रुकिए , कुछ खा पीकर जाइये। बराबर में खूब सारी दुकानें हैं जहाँ चाय -समोसा -जलेबी मिल जाती हैं बढ़िया स्वादिष्ट। खाते -पीते चलो यार। 

तो जी ये जो मंदिर है बैजनाथ जी का , ये बैजनाथ शहर में ही है , आप चाहो तो बैजनाथ कस्बा कह लो जी , कोई टैक्स नहीं लगना कहने पर !  और जी ये बैजनाथ शहर पठानकोट -मण्डी हाईवे पर दोनों शहरों के लगभग मध्य में स्थित है। समुद्र तल से करीब एक हजार मीटर की ऊंचाई पर बसा बैजनाथ , पश्चिमी हिमालय की धौलाधार रेंज में बसा है। बैजनाथ की प्रसिद्धि इसी शिव मंदिर से ही है जिसे कभी वैधनाथ के नाम से जाना जाता था। बैद्यनाथ मतलब चिकित्सक , हिंदी में बोलें तो Doctor के रूप में यहाँ भगवान शिव को पूजा जाता था। 13 वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को नागर शैली में दो भाइयों मन्युका और आहुका ने बनवाया था। ब्रिटिश आर्किलियजिस्ट अलेक्सेंडर कनिंघम ने यहाँ एक शिलालेख पाया था जो 1786 ईस्वी का था और उसमें राजा संसार चंद्र के द्वारा इस मंदिर के पुनर्निर्माण के बारे में लिखा गया था। हिमाचल के कई प्रमुख स्थलों को भूकंप ने कई बार नुक्सान पहुँचाया है , यहाँ भी 1905 में आये एक भूकंप से इस मंदिर को बहुत नुक्सान पहुंचा था। 


बहुत भीड़भाड़ नहीं थी इसलिए अच्छी तरह दर्शन का लाभ उठाकर बाहर निकल आये। बाहर छोटा और खूबसूरत पार्क है जहां बैठकर आप अपनी थकान भी उतारते रहिये और बाहर से मंदिर के दर्शन भी करते रहिये। बराबर में ही नीचे की तरफ बिनवा नदी कल -कल बह रही है , बिनवा कभी बिंदुका हुआ करती थी जो ब्यास नदी की सहायक नदी मानी जाती है लेकिन समय के साथ बिंदुका , बिनवा हो गयी। पानी एकदम स्वच्छ और साफ़ दिखाई दे रहा था ऊपर से तो , नीचे उतरे नहीं :) 

बैजनाथ के आसपास और दर्शनीय जगहें : बैजनाथ मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर सांसल में मुकुटनाथ मंदिर,  1. 5 किलोमीटर दूर अवाही नाग मंदिर,  पांच किलोमीटर दूर चोबीन रोड पर महाकाल मंदिर , अंद्रेटा में 11 किलोमीटर दूर शोभा सिंह आर्ट गैलरी !

अब वापसी का समय है और आज यहाँ से चामुंडा देवी के मंदिर जाएंगे और वहीँ रुकेंगे। आज के लिए इतना बहुत है फिर मिलते हैं :