गुरुवार, 29 नवंबर 2018

Wall Paintings in Delhi

बिना किसी मतलब के साइकिल चलाना मेरा शौक रहा है और आज भी जब भी अवसर मिलता है निकल जाता हूँ , यूँ ही कहीं भी और कभी भी ।  एक वो वक्त था जब शादी नहीं हुई थी तब साइकिल उठाये गाजियाबाद की गलियों में इधर से जाता  और उधर से पता नहीं .....कहाँ निकलता ।  इधर से आलू डालो.... उधर से सोना ही निकलेगा .... पक्का नहीं होता था  ।  दिल्ली में भी खूब साइकिल दौड़ाई है मेट्रो स्टेशन से किराए पर लेकर ! खैर विषय दूसरा है आज !  आज दिल्ली में ऐसी एक जगह पर लेकर जा रहा हूँ आपको जो ऐतिहासिक बिल्कुल भी नहीं है , प्रसिद्ध भी ज्यादा नहीं है और ज्यादा क्या जी .... दिल्ली के ही लोग ही नहीं जानते कि ऐसा कुछ है भी दिल्ली में ? वो खुद कभी -कभी हम जैसे "बाहरी " लोगों से पूछते हैं  ।  


जोर बाग़ तो सुना होगा आपने ? जी जोर बाग नाम से एक मेट्रो स्टेशन भी है तो उसके 2 नंबर गेट से बाहर निकलिये और दाएं तरफ ( रोड क्रॉस नहीं करनी ) करीब 50 मीटर चलते जाइये ... आपको इंदिरा पर्यावरण भवन दिखेगा ....आपकी ही दिशा में ।  बस 20 -25 मीटर और चलिए .... आप खन्ना मार्केट पहुँच जाएंगे ..... जिसके सामने बने सरकारी मकानों की दीवारें आपसे रूबरू होकर कुछ बात करना चाहती हैं . शायद दीवारें बोल उठेंगी .....यही से लिया होगा ।  बहुत सारे देशी- विदेशी कलाकारों ने अपनी कला,  अपनी सोच को दीवारों पर उकेरने की बेहतरीन कोशिश की है ....और इससे पहले कि वक़्त के थपेड़े इन पेंटिंग्स पर धूल की चादर डालें ....हो आइये एक बार इधर भी ...किसी भी वीकएंड में बच्चों के साथ.....





























ये पेंटिंग जोर बाग़ मैट्रो स्टेशन के गेट -2 के सामने चाय की दूकान के पीछे है




मिलते हैं फिर से जल्दी ही.......

2 टिप्‍पणियां:

ओम प्रकाश शर्मा ने कहा…

अच्छी जानकारी।

Likhmaram jyani ने कहा…

पारखी नजर की परख, हकीकत से भी खूबसूरत।