सोमवार, 31 अगस्त 2015

वसुधारा से लौटते हुए !!

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इधर माणा से वसुधारा जाते हुए हम एक से सात हो गए थे लेकिन वापस आते हुए वो लोग मुझसे पहले चले आये और मैं अकेला ही रह गया ! जब मैं यहां से चला तब दोपहर के साढ़े तीन बज रहे थे और मौसम बहुत खराब होने लगा था लेकिन अच्छा ये रहा कि बारिश नही आई नही तो भीगना ही पड़ता ! बचने का न कोई प्रबंध था और न कोई जगह दिख रही थी ! रास्ते में पत्थरों पर नंबर पड़े हुए हैं जो हमें सही रास्ता बताते चलते हैं ! आराम फरमाते , बैठते , लेटते साढ़े पांच बजे माणा वापस पहुँच गया ! भूख ने पेट में हलचल मचा रखी थी तो एक दूकान पर बैठकर 40 रूपये की पूरी प्लेट चाउमिन खा गया हालाँकि ये मुझे पसंद नही है लेकिन जब आपका पेट मांग रहा हो तो उस समय आपकी पसंद मायने नही रखती , सिर्फ पेट भरना ही मायने रखता है !!

अगर हम ऐसे मान के चलें कि ऋषिकेश 100 लोग गए हैं तो 20 लोग बद्रीनाथ पहुँचते हैं और उन 20 में से मुश्किल से चार लोग माणा तक जाते हैं और उन चार में से मुश्किल से आधा आदमी वसुधारा तक पहुँचता है !! मैं थोड़ा भाग्यशाली कहूँगा अपने आपको कि मैं वहां तक अपने आपको ले जा सका ! जय बद्रीविशाल की !

बद्रीनाथ लौटने की कोई जल्दी नही थी इसलिए वहीँ माणा में जिस दुकान पर चाउमिन खाई थी , पैर थोड़े से फैला लिए घंटे आराम ले लिया ! लौटते हुए बद्रीनाथ के बाहर की ओर लाल रंग की जर्सी पहने बहुत सारे लोग अलग अलग बैठे थे और शायद कुछ लिख रहे थे ! वहां आर्मी के जैसे टेंट भी लगे थे ! वहीँ एक जगह चार पांच लोग खड़े थे , मैं भी उनके पास जाकर खड़ा हो गया ! असल में वो एक पेपर चल रहा था ! स्काईंग एण्ड माउंटेनियरिंग इंस्टिट्यूट , औली के जो नए रेक्रुइट्स थे , उनकी ट्रैनिंग के बाद का पेपर चल रहा था ! यहां ये उनकी आखिरी ट्रैनिंग थी और उनका पेपर चल रहा था ! इतना में कोई एक सैनिक बड़े से कटोरे में हलवा लेकर आया ! मुझे भी दिया। हलवा सच में बहुत ही स्वादिष्ट बना था और इसकी तारीफ मैंने उनके सामने ही कर दी ! इसका फायदा भी हुआ -बोले आपको अच्छा लगा तो आप और ले लो ! और इस बार बाकायदा प्लेट भरकर मिला ! इस दरम्यान आपस की बातचीत भी चलती रही और मास्टर होने की इज्जत मिलने लगी और बैठने के लिए कुर्सी दे दी गयी ! धन्यवाद मित्रो !

मस्ती मारते हुए आराम आराम से वापस अपने घोसले ( होटल ) की तरफ लौट रहा था जैसे शाम को चिड़िया अपने बच्चों के पास लौट आती है ! थकान के मारे बुरा हाल हुआ पड़ा था ! बस लगभग होटल के गेट पर ही था कि एक वृद्ध आदमी ने रोक लिया -अरे बेटा ! मैं अपना होटल भूल गया हूँ , मुझे पहुंचा दोगे क्या ?  मैंने पूछा -कौन से होटल में हैं आप ? उन्हें होटल का नाम भी याद नही था बस इतना याद था कि 500 बीएड वाले होटल के पास है ! असल में वहां 500 बिस्तरों वाला गढ़वाल मंडल विकास निगम का एक होटल है जो खासा प्रसिद्द है ! वो  वृद्ध व्यक्ति हरियाणा के रोहतक से आये हुए थे अपने परिवार के साथ ! लेकिन उनका परिवार माणा चला गया था और वो यहां अकेले रह गए थे और अकेले ही धीरे धीरे घूमने निकल गए और अपना रास्ता भटक गए ! मैं बहुत ज्यादा थका हुआ था और उनके साथ बहुत धीरे धीरे चलना पड़ रहा था ! ऐसे चलने में और भी ज्यादा थकान हो जाती है ! लेकिन मैं कैसे एक वृद्ध व्यक्ति को ऐसे अकेला  छोड़ देता ? मैंने उनसे सबसे पहले यही पूछा था कि आपके पास फ़ोन है ? उन्होंने तुरंत मना कर दिया ! नही है ! मैंने पूछा - कोई नंबर याद हो जिससे बात कर सकूँ ? लेकिन जब कहीं कोई बात नही बनी और चलते चलते दो घण्टे हो गए तब हम दोनों एक जगह बैठ गए तब महोदय ने अपना फ़ोन निकाला और बोले इसमें से विकास का नंबर लगाओ ! विकास उनका छोटा बेटा था जो माणा गया हुआ था ! नंबर नही मिला तब दुसरे बेटे को फ़ोन किया और तब कहीं जाकर पता चला कि वो लोग बद्रीनाथ मंदिर के बिलकुल पास किसी बंगाली गेस्ट हाउस में रुके हुए हैं ! अब फिर उतना ही पैदल चलना पड़ेगा ! मुझे गुस्सा तो बहुत आया ! ये फ़ोन दो घंटे पहले भी तो निकाला जा सकता था ? लेकिन मन को शांत किया और उनका हाथ पकड़कर उन्हें उसी बंगाली गेस्ट लेकर गया और अंदर पहुंचा कर आया ! हालत खराब हो गयी और इस चक्कर में रात के साढ़े आठ बज गए ! जाते ही पहले चाय पी और फिर नहाया  !

आज का कार्यक्रम बहुत व्यस्त और बहुत थकान वाला रहा लेकिन कल से यही सफर बेहतरीन याद बन जाएगा ! थकान स्वतः ही खत्म हो जायेगी लेकिन यादें जरूर बनी रहेंगी और ये यादें  ही आगे ऊर्जा का संचरण करती रहेंगी ! अब आगे पुनः जोशीमठ चलेंगे ! आते हुए जोशीमठ होकर आया जरूर था लेकिन वहां कुछ देखा नही था इसलिए फिर से उधर चलेंगे और ज्योतिर्मठ यानि जोशीमठ की यात्रा करेंगे !! 











बर्फ भी कहाँ कहाँ जम जाती है !!



वसुधारा फॉल पर आश्रम
एक छोटा सा मंदिर भी है लेकिन इसका ताला लगा था !
एक छोटा सा मंदिर भी है लेकिन इसका ताला लगा था ! खिड़की में से फोटो खींचना पड़ा


शानदार पहाड़ ! मेरे लिए तो ये ही माउंट एवेरेस्ट है !!


इस बैड पर आधा घण्टा नींद निकाली
आते जाते लोगों के जूते चप्पल भी टूट जाते हैं !!
ऐसे निशाँ बना रखे हैं नंबर लिखकर ! 1 /1 से शुरू होकर 7 /40 तक जाते हैं








स्काइंग एण्ड मॉउंटेनीरिंग इंस्टिट्यूट औली के नए रिक्रूट लिखित परीक्षा दे रहे हैं
वापस बद्रीनाथ में



एक बार और दर्शन करता चलूँ
जय बद्री विशाल की !!
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​                                                                                                                                                            आगे जारी रहेगी :

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