गुरुवार, 12 जनवरी 2017

ताक धिना धिन ताके से.......Part- 4 ( Final)

अगर आप इस कहानी को शुरू से पढ़ना चाहते हैं तो यहां क्लिक करिये और अगर तारतम्य बनाने के लिए पिछले अंक पर लौटना चाहते हैं तो कृपया यहां अपना कर्सर ( Cursor ) लाकर हिट करिये !! अब तक आपने पढ़ा कि बकरी को पहाड़ से नीचे लाने के लिए लड़का , खरगोश और गिलहरी अपनी अपनी कोशिश कर चुके हैं अब आइये आगे बढ़ते हैं :



गीदड़ बोला :
तुम मत रो ओ
मैं बकरी को पहाड़ से उतारूँगा 
गीदड़ पहाड़ पर चढ़ने लगा
और बकरी के पास पहुंचा
गीदड़ ने बकरी को बुलाया
बकरी नहीं आई
वो और ऊपर चढ़ गई
अब गीदड़ भी रोने लगा
उसने दिल में सोचा
पहाड़ ऊँचा है
उसके नीचे दरिया बहता है
कहीं बकरी पहाड़ से न गिर जाए ?
कहीं बकरी दरिया में डूब न जाए ?
सोचकर गीदड़ जोर जोर से रोने लगा
गीदड़ लड़के , खरगोश और गिलहरी के पास आया
उन के पास बैठ गया
उन के साथ मिल कर बोला -

ताक धिना धिन ताके से
मामा कुंवर मर गई फ़ाक़े से


वहां कहीं पास ही एक हिरन रहता था
वो लड़के के पास आया
उसे घूरकर देखा
वो खरगोश के पास आया
उसे घूरकर देखा
वो गिलहरी के पास आया
उसे घूरकर देखा
वो गीदड़ के पास आया
उसे घूरकर देखा
फिर हिरन ने चारों से पूछा :
जंगल में खैर तो है ?
तुम क्यों रो रहे हो ?
सब मिल कर बोले -
मामा कुंवर की बकरी पहाड़ पर चढ़ गई है
पहाड़ ऊंचा है
उसके नीचे दरिया बहता है
कहीं बकरी पहाड़ पर से गिर न जाए ?
कहीं बकरी दरिया में डूब न जाए ?
इसलिए हम रोते हैं
अब चारों मिल कर बोले :

ताक धिनाधिन ताके से
मामा कुंवर मर गई फ़ाक़े से


हिरन ने कहा :
तुम मत रोओ
मैं बकरी को पहाड़ से उतारूँगा
अब हिरन पहाड़ पर चढ़ने लगा
वो बकरी के पास पहुंचा
बकरी को बुलाया
बकरी नहीं आई
वो और ऊपर चढ़ने लगी !
हिरन ने सोचा
पहाड़ ऊंचा है
उसके नीचे दरिया बहता है
कहीं बकरी पहाड़ से गिर न जाए
कहीं बकरी दरिया में डूब न जाए
ये सोचकर हिरन जोर जोर से रोने लगा
हिरन , लड़के , खरगोश , गिलहरी , गीदड़ के पास आया
वो उनके पास आकर बैठ गया
और उनके साथ मिल कर बोला -

ताक धिनाधिन ताके से
मामा कुंवर मर गई फ़ाक़े से


वहां पास ही ततैया या भिड़ों ( Wasps ) के झुण्ड का छत्ता था
भिड़ों के छत्ते में भिड़ों की रानी रहती थी
वो लड़के के पास आई
उसे घूरकर देखा 
वो खरगोश के पास आई
उसे घूरकर देखा
वो गिलहरी के पास आई
उसे घूरकर देखा
वो गीदड़ के पास आई
उसे घूरकर देखा
वो हिरन के पास आई , उसे घूरकर देखा
उसने लड़के , खरगोश , गिलहरी , गीदड़ और हिरन से पूछा :
तुम क्यों रो रहे हो ?
जंगल में खैर तो है ?
सब मिल कर बोले :
मामा कुंवर की बकरी पहाड़ पर चढ़ गई है
पहाड़ ऊंचा है !
उसके नीचे दरिया है
बकरी कहीं पहाड़ पर से गिर न जाए
बकरी कहीं दरिया में डूब न जाए
इसलिए हम रोते हैं
अब सब मिल कर बोले :

ताक धिनाधिन ताके से
मामा कुंवर मर गई फ़ाक़े से


भिड़ों की रानी बोली :
तुम रोओ मत !
मैं बकरी को पहाड़ से उतारूंगी
अब भिड़ों की रानी उड़ी
उड़ते उड़ते बकरी के पास पहुंची
उसने बकरी के कान में " भिन भिन " कहा
तुम नीचे उतरो !
पहाड़ पर मत चढ़ो
पहाड़ ऊंचा है
नीचे दरिया है
तुम्हारा कहीं पाँव न फिसल जाए
फिर तुम कहीं पहाड़ पर से गिर न जाओ
फिर तुम कहीं दरिया में डूब न जाओ
भिड़ों की रानी की बात बकरी की समझ में आ गई
वो पहाड़ से नीचे उतरी
वो लड़के के पास आई 

लड़के से बोली -
चलो घर चलें !
मामा कुंवर के पास चलें 
लड़का उठा
खरगोश उठा
गिलहरी उठी
गीदड़ उठा
हिरन उठा
सब एक कतार में खड़े हो गए
भिड़ों की रानी उड़ती रही
सब मिल कर बोले -
ताक धिनाधिन ताके से
मामा कुंवर मर गई फ़ाक़े से
सब जानवर अपने घरों को चल दिए
लड़का बकरी लेकर मामा कुंवर के घर गया
मामा कुंवर ने लड़के को खूब दूध पिलाया
मामा कुंवर फिर जोर से ताली बजाकर बोली : 

ताक धिनाधिन ताके से
मामा कुंवर मर गई फ़ाक़े से !!





************************** जय हिन्द !! जय हिन्द की सेना !!**************************


1 टिप्पणी:

Monalisa ने कहा…

वाह, बच्चों के लिए बहुत मज़ेदार है