गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

Kausani : A well known hill station

इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ना चाहें तो आप यहां क्लिक कर सकते हैं !



हेड़ाखान मंदिर से लौटकर फिर से होटल पहुंचे , सामान उठाया और फिर से चल दिए रोडवेज बस स्टैंड की तरफ ! इधर से उधर होते रहे , कभी नीचे की तरफ जाओ कभी ऊपर की तरफ आओ ! कौसानी की कोई बस नही थी उस वक्त तो किसी ने बताया कि यहाँ से सोमेश्वर चले जाओ , लेकिन सोमेश्वर की भी न आई बस न जीप ! कुछ देर में एक जीप वाला आया और बोला - कहाँ जाएंगे ? सोमेश्वर ! सोमेश्वर तो नहीं लेकिन आपको बिन्ता छोड़ दूंगा वहां से आपको सोमेश्वर की जीप मिल जायेगी ! चल भैया ! बिन्ता में कोई मेला लगा था , छोटी सी रोड और उसके दोनों तरफ मेला , जैसे तैसे जीप निकल पाई ! जैसे ही जीप से उतरे , सामने ही सोमेश्वर की जीप लगी थी ! इस समय चार बजे थे ! सोमेश्वर से एक रास्ता द्वाराहाट के लिए भी जाता है और एक बैधनाथ धाम के लिए भी ! बैधनाथ में मंदिरों की एक पूरी श्रृंखला है , मैंने देखा नहीं कभी लें जाऊँगा जरूर ! शाम को सात बजे के आसपास हम कौसानी के अनाशक्ति आश्रम में थे , वो ही अनाशक्ति आश्रम जहाँ कभी गाँधी जी रुके थे हिमालय दर्शन के लिए ! एक दिन का 400 रुपया किराया है उसका , पहले कभी मुफ्त चलता होगा अब नहीं है ! अब किराया देना पड़ता है ! कौसानी का जो मुख्य बाजार है , वैसे तो एक ही बाजार है उसे चाहे मुख्य कह लो और कुछ और ! तो जो गोल चक्कर है उसके बराबर में ऊपर की तरफ सीढियां जाती हैं , बस सीधे चलते जाओ , अनाशक्ति आश्रम मिल जाएगा ! रानीखेत से भी ज्यादा ठण्ड थी यहाँ ! लेकिन अब हमारे पास गर्म कपडे हैं , कोई दिक्कत नहीं !


पुराने ज़माने के कमरे बने हुए हैं , लकड़ी के ! हाँ , वाशरूम पश्चिमी स्टाइल के हैं ! चाय दे गया था कोई और बता गया था कि खाना अगर खाना चाहें तो 9 बजे भोजनालय में आ जाइयेगा ! खाना बहुत सिंपल लेकिन बहुत ही स्वादिष्ट ! जब सब लोग लाइन में बैठे तब पता चला कि इस आश्रम में हमारे अलावा और लोग भी ठहरे हुए हैं ! दाल चावल सब्जी रोटी ! कुछ भी अलग नही लेकिन बहुत अच्छा लगा ! जो आदमी थोड़ी देर पहले मेनेजर था , वो ही अब खाना भी परोस रहा था ! मल्टी टैलेंटेड !! चलते हैं , अब सोयेंगे !

सुबह ठीक 6 बजे कुण्डी खटक गयी दरवाज़े की , चाय देने आया था ! दो चाय लेकर उसे आठ बजे फिर से चार चाय लाने को बोल दिया और चाय पीकर फिर सो गए ! थके - हारे बच्चे भी सोये पड़े थे , फ़ोन घनघनाया ! सर - कॉलेज की बस नहीं आई ? मैडम मैं कौसानी में हूँ ! नींद ख़राब हो गयी ! नौ बजे तक सब तैयार होकर नाश्ता करने पहुंचे तो नाश्ता खत्म हो चुका था , चलो बाहर करेंगे !

कौसानी की एक बात बड़ी अजीब सी लगी , इसका आधा हिस्सा अल्मोड़ा जिले में है और आधा हिस्सा बागेश्वर जिले में पड़ता है ! आप अगर अनाशक्ति आश्रम में हैं तो आपको रात में बागेश्वर का बहुत खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है !!

सबसे पहले हिंदी के महान कवि सुमित्रा नंदन पन्त जी का घर देखने चलते हैं , पास में ही है ! वैसे कौसानी में सब कुछ पास में ही है ! उसके बाद चाय बागान देखने चलते हैं , हम सब पहली बार चाय के बागान देखेंगे ! वैसे मेरी ये समझ में नहीं आया कि वैसे तो सब चीज के बाग होते हैं जैसे सेब के बाग , आम के बाग़ तो चाय के बाग़ को ही बागान क्यों कहते हैं ? बताइयेगा ! कार वाला 400 रूपये मांग रहा है , शेयर्ड जीप जाती नहीं , या जाती भी होगी तो हमें नहीं मालुम ! आखिर उसी से 250 रूपये में बात हो गयी ! हमें आज ही वापस लौटना है गाजियाबाद ! तो बागान देखकर सामान उठाकर चलते बनेंगे ! बच्चों की तबियत गड़बड़ा गयी है , नहीं तो हमारा तो रिजर्वेशन काठगोदाम से 6 नवम्बर का है और आज 4 ही नवम्बर है ! रिजर्वेशन कैंसिल करा दूंगा ! बच्चों का ख्याल पहले है , पैसे की बात बाद में ! लेकिन इस ट्रिप में मैंने दोनों तरफ का रिजर्वेशन कराया था , इधर से जाने का रेलवे ने कन्फर्म नहीं किया और उधर से हमने कैंसिल कर दिया ! हिसाब बराबर ! चलो जी , वापस गाज़ियाबाद चलते हैं !!

राम राम !!

ये कीनो हैं , संतरे नहीं








बताइये कितने बन्दर हैं इस तस्वीर में ? तीन या पांच





इसमें पन्त जी के साथ अमिताभ बच्चन के पिता जी भी हैं

          
















शॉल बनाने की मशीन

शॉल बनाने की मशीन
थोड़ा ट्राय करके देखते हैं
थोड़ा ट्राय करके देखते हैं ! मैं क्यों पीछे रह जाऊं
बाय बाय रानीखेत -कौसानी !! प्यारा सा पुष्प आपके लिए , मेरी तरफ से नाव वर्ष की शुभकामनाएं




कोई टिप्पणी नहीं: