सोमवार, 26 मार्च 2012

ज़िन्दगी …………………एक पहेली

हमने पूछा ज़िन्दगी से
बता ए ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी क्या है ?
वो बोली मत पूछ बन्दिगी से

कि बता ए बन्दिगी ये बन्दिगी क्या है ||



ज़िन्दगी जवानी है ज़िन्दगी एक कहानी है |

रुक जाये तो बर्फ है बह जाये तो पानी है ||


किसी को सुकून दूं मैं ये मेरी भाषा नहीं है

ये मेरा आगाज़ है , मेरी पूर्ण परिभाषा नहीं है


किसी के लिए काँटा हूँ किसी के लिए फूल हूँ मैं |

किसी के सिर का ताज हूँ किसी के पाँव की धूल हूँ मैं ||


हमने कहा

अच्छा चलें ! ज़िन्दगी जी विदा दीजिये |

( हम ज़िन्दगी से मिलने गए हुए थे )

वो बोली ! कहाँ चले ?
पहले मेरी सहेली ‘ मौत ‘ से तो मिल लीजिये ||

हमने कहा आज जाना ज़िन्दगी क्या है ?
ज़िन्दगी तो एक पहेली है |
आप से तो सुन्दर आपकी सहेली है ||


 


7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

Are vah Yogi ji apne to kamal kar di apki ye kavitaye mere DIL ko chhu liya hai ap jab bhi nai kavita likhen ap mujhe jarur bhejhen. bahut bariya.

Unknown ने कहा…

सारस्वत जी,
आप का ब्लॉग देखा, बहुत अच्छा लगा | आप के यायावरी के आलेख और कविताएँ बेहद पठनीय हैं | इस श्रमशील कार्य के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !

Yogi Saraswat ने कहा…

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री संतलाल करुण जी ! मेरे प्रयास को आपने समर्थन दिया ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद

Yogi Saraswat ने कहा…

bahut bahut aabhaar shri santlaal karun ji ! aashirwad banaye rakhiyega ! dhanywad

RAKESH KUMAR SRIVASTAVA 'RAHI' ने कहा…

बहुत सुंदर कविता.

Yogi Saraswat ने कहा…

धन्यवाद आपका

Yogi Saraswat ने कहा…

बहुत बहुत धन्यवाद आपका श्री राकेश श्रीवास्तव जी ! संवाद बनाये रखियेगा