इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ने के लिए कृपया यहां
क्लिक करें !!
भगवान बद्रीनाथ के दर्शन करने के बाद माणा की तरफ पैदल पैदल ही चल दिया ! गाडी वाला 600 रूपये मांग रहा था और केवल तीन किलोमीटर के लिए इतना पैसा मैं खर्च नही करना चाहता था ! मेरे जैसे कुछ और भी लोग थे जिन्हे माणा तक जाकर वापस आ जाना था माणा से आगे वसुधारा फॉल तक जाना था इसलिए उनकी चाल धीमी थी और मेरी तुलनात्मक रूप से कुछ ज्यादा ! रास्ते में आईटीबीपी का एक केंद्र मिला जहां विंड टरबाइन लगी हुई थी , संतरी से पूछा तो उसने कहा कि अब ये काम नही करती अन्यथा उसकी कार्यप्रणाली देखने का मन था !
गाजियाबाद या मोहन नगर में अगर आप हैं या फिर आप मेरठ की तरफ जाते हैं तब आपको कई जगह माइलस्टोन पर लिखा मिलेगा माणा 480 किलोमीटर या ऐसा ही कुछ ! यानि माणा , बद्रीनाथ से ज्यादा मायने रखता है ? नही बल्कि नेशनल हाईवे न. 58 माणा तक जाता है इसलिए माणा लिखा रहता है ! माणा या माना बद्रीनाथ मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर , चमोली जिले का और भारत का इस दिशा में आखिरी गाँव है इसलिए ये इतना ज्यादा प्रसिद्द है ! इससे आगे माना पास है और भारत -तिब्बत बॉर्डर इस गाँव से 25 किलोमीटर और आगे हैं ! माणा की समुद्र तल से ऊंचाई 3200 मीटर है ! यहां मुझे दो तीन जगह देखकर आगे बढ़ जाना था ! इनमें व्यास गुफा , गणेश गुफा और भीम पुल या भीम शिला देखते हुए आगे बढ़ जाना था !
व्यास गुफा : व्यास गुफा में ऐसा माना जाता है कि महर्षि वेदव्यास जी ने यहाँ रहकर वेद, पुराणों एवं महाभारत की रचना की थी। और भगवान गणेश उनके लेखक बने ! भगवान गणेश की गुफा , गणेश गुफा व्यास गुफा से पहले आ जाती है ! ऐसी मान्यता है कि व्यास जी इसी गुफा में रहते थे। वर्तमान में इस गुफा में व्यास जी का मंदिर बना हुआ है। व्यास गुफा में व्यास जी के साथ उनके पुत्र शुकदेव जी और वल्लभाचार्य की प्रतिमा है। इनके साथ ही भगवान विष्णु की भी एक प्राचीन प्रतिमा है।
व्यास जी द्वारा इस स्थान को अपना निवास स्थान बनाने का कारण यह माना जाता है कि इस स्थान के एक ओर भगवान विष्णु का निवास स्थान बद्रीनाथ धाम है। दूसरी ओर ज्ञान की देवी सरस्वती का नदी रूप में उद्गम स्थल है। व्यास गुफा के समीप ही भगवान विष्णु के चरण से निकली हुई अलकनंदा का संगम सरस्वती से हो रहा है।
ऐसी मान्यता भी है कि व्यास गुफा के पास से ही स्वर्ग लोक का रास्ता है, इसी रास्ते से पाण्डव स्वर्ग जा रहे थे लेकिन ठंड की वजह से चारों पाण्डव और द्रौपदी गल गयी सिर्फ युधिष्ठिर घर्म और सत्य का पालन करने के कारण ठंड को झेल पाये और सशरीर स्वर्ग पहुंच सके।
व्यास
जी की गुफा या गणेश जी की गुफा दर्शकों को आकर्षित करती हैं , पर्यटकों को
आकर्षित करती हैं किन्तु पर्यटक शायद वहां के लोगों की तरफ नही देखना चाहते
! हो सकता है मैं गलत होऊं। व्यास गुफा के बाहर एक बहुत वृद्ध व्यक्ति
गर्म टोपी मफलर वगैरह बेच रहा था लेकिन उस एक घंटे में शायद ही किसी ने कुछ
खरीदा हो ! मैं भी क्या खरीदता ? बोला - बाबू कुछ ले लो चाय तो पी लूंगा !
ये चीजें दिल दुखा देती हैं लेकिन उन्हें 100 रूपये देकर अपने दिल को खुश
कर लिया ! यहीं एक दूकान है जिस पर लिखा है "भारत की आखिरी चाय की दुकान " !
लेकिन आगे जाकर एक दूकान और भी है जो भीम शिला के पास है , वहां भी ऐसा ही लिखा
है " हिंदुस्तान की आखिरी चाय की दूकान " ! किस को आखिरी कहियेगा ? हालाँकि
लोगों की ज्यादा भीड़ और फोटो खीचने की उत्सुकता इसी व्यास गुफा के पास
वाली दूकान पर ज्यादा थी ! व्यास गुफा के पास से ही नीचे की तरफ सीढ़ियां उतरती हैं जो आपको सीधे अलकनंदा और सरस्वती के संगम स्थल तक ले जाती हैं ! सरस्वती यहां मुश्किल से 100 मीटर तक ही बहती हुई प्रतीत होती हैं और फिर
अलकनंदा में समा जाती हैं ! लेकिन जहां से सरस्वती निकलती हैं वहां का
दृश्य अद्भुत , धारा का प्रवाह बहुत तेज है !
भीमशिला : भीमशिला सरस्वती नदी पर एक पुल जैसा है ! ऐसे कहा जाता है कि जब
पांडव अपनी अंतिम यात्रा में इस रास्ते से स्वर्ग के लिए जा रहे थे तब
द्रौपदी इस रास्ते को पार नही कर पा रही थी और सरस्वती नदी में होकर जाती
तो उनके सिर तक ये पानी पहुँचता , जो शुभ नहीं होता ! ऐसे में महाबली भीम
ने पास में से ही एक पत्थर उठकर दोनों किनारों को जोड़ दिया और ये पुल बन
गया ! हालाँकि वास्तविक रूप से देखें तो ये बहुत ही बड़ा पत्थर है !!
ये पुल पार करके अब वसुधारा के लिए आगे बढ़ते हैं !!
|
बद्रीविशाल की जय ! |
|
नर नारायण पर्वतों का शानदार दृश्य |
|
नर नारायण पर्वतों का शानदार दृश्य |
|
एक पहाड़ पर indian army ऐसे लिखा है |
|
माणा पहुँचने वाले हैं |
|
गाज़ियाबाद यहां से 527 किलोमीटर है !! |
|
ये माणा की चौपाल है जहां एक दिन पहले ही कोई राज्यस्तरीय कार्यक्रम हुआ था |
|
मुझे भी अपने जूते उतारने पड़े |
|
ये माणा में अंदर
|
|
गणेश गुफा!! वास्तव में गुफा तो नही लगी |
|
व्यास गुफा |
|
व्यास गुफा |
|
व्यास गुफा |
|
व्यास गुफा |
|
इसने कहा कि मेरा भी एक फोटो खींच दो |
|
ये मैं |
|
मौसम एकदम से ख़राब होने लगा |
|
कुछ मस्ती हो जाए |
|
ये बाबा बिल्कुल सरस्वती के किनारे अपनी धूनी जमाये बैठे हैं |
|
सरस्वती की तेज धारा |
|
ये भीम शिला |
|
सरस्वती की तेज धारा |
|
सरस्वती यहां अलकनंदा में विलीन हो जाती है !! |
|
अब किसको आखिरी दुकान कहियेगा ? |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें