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बैजनाथ शिव मंदिर : बैजनाथ ( हिमाचल प्रदेश )
Date of Journey : Oct.2018
बैजनाथ शिव मंदिर : बैजनाथ ( हिमाचल प्रदेश )
Date of Journey : Oct.2018
कांगड़ा दूसरी बार आया था मैं और दोनों ही बार परिवार के साथ आने का सौभाग्य रहा। मैं कोशिश करता हूँ कि जहाँ जाऊं बच्चों को साथ रखूं। इसके दो वजह लेकर चलता हूँ -पहली बात ये कि बच्चे पढ़ने के बजाय देखने से ज्यादा और जल्दी सीखते हैं , दूसरी बात - बच्चों का अकेले -अकेले घर में मन नहीं लगता और तीसरी बात जो सबसे महत्वपूर्ण हो सकती है वो ये कि जब बीवी -बच्चों को पहले कहीं घुमा लाता हूँ तब कहीं जाकर मुझे अकेले ट्रैकिंग पर जाने की अनुमति मिल पाती है।
आज मौसम एकदम बढ़िया है और कांगड़ा फोर्ट देखकर वापस बस स्टैंड पहुँच रहे हैं। एक ऑटो hire कर लिया था 300 रूपये में जिससे समय की बचत हो गयी। आज बैजनाथ मंदिर जाने का प्रोग्राम है लेकिन यहाँ कांगड़ा बस स्टैंड पर अभी पालमपुर की बस जाने को तैयार है , बैजनाथ के लिए भी बसें मिलती हैं लेकिन हम इंतज़ार नहीं करना चाहते और पालमपुर की बस में अपना बैग पटक देते हैं। रास्ते अच्छे हैं तो गाड़ियों की रफ़्तार भी अच्छी मिल जाती है। लेकिन किराया भी उसी हिसाब से 'अच्छा ' है , मतलब थोड़ा ज्यादा है और जगहों के मुकाबले। करीब 75 किलोमीटर दूर होगा बैजनाथ , कांगड़ा से। बस पालमपुर पहुँचने को है और मैं उस "पालमपुर " के ख्यालों -ख़्वाबों को फिर से बुनने में लगा हूँ जो मैंने बचपन से पढ़े हैं , देखे हैं।
मेरी उम्र के जो मित्रगण हैं और जिन्होंने मेरी तरह उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् से हाइस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं पास की हैं , उन्हें याद होगा कि हमें अंग्रेजी में किसी लेखक का एक पाठ पढ़ाया जाता था -नैनीताल का। जिसके बारे में बताया जाता था कि वहां सुन्दर ताल हैं , सीढ़ीदार खेत होते हैं .. कोई- कोई मास्टर जी सीढ़ीदार खेत को पेढ़ीदार खेत कहते थे। मतलब तब हिल स्टेशन के नाम पर बस नैनीताल और मसूरी , दो ही नाम जेहन में भी और किताबों में भी , पढ़ने को मिलते थे। अब थोड़ा हिंदी फिल्मों की तरफ आएं तो 1980 से पहले की फिल्मों में नायक -नायिका कश्मीर की वादियों में पेड़ों के इर्द गिर्द नृत्य करते हुए दिखते थे। . ......छोड़ दो आँचल ......जमाना क्या कहेगा... ..फिर अजय देवगन ने दोनों पैर फैलाकर दो बाइक पर सवार होकर फिल्मों में एंट्री मारी .. उनकी फिल्मों में और उनके बाद की फिल्मों में भी जब जब हीरोइन बीमार पड़ती तो डॉक्टर उन्हें हवा -पानी बदलने के नाम पर पालमपुर भेजने लगे। वो पालमपुर अब आने वाला था। ... लेकिन ये पालमपुर वो नहीं था जिसकी कल्पना मैं करके आया था .. इतना भीड़भाड़ वाला तो नहीं था मेरा वाला पालमपुर। .. इतना बदरंग चेहरा नहीं था मेरे पालमपुर का। . किसने बिगाड़ा इसका चेहरा ? लाइन से चलती छोटी -बड़ी गाड़ियों ने और बेतहाशा बढती आबादी ने। उफ्फ ये वो पालमपुर नहीं है तो फिर मुझे देखना भी नहीं है। मेरी नजरें तो उस चित्रकार वाले पालमपुर को देखने आई थीं जहाँ भरपूर हरियाली हो , जहां कल -कल बहती छोटी सी नदी हो , जहां पक्षियों की कलरव हो.... .. जहां मैं और मेरी हमसफर बाहों में बाहें डालकर बच्चों को साथ लेते हुए प्रेम के तराने गुनगुना सकें . रहे न रहे हम .. महका करेंगे .. बनके कली बनके सबा.... . लेकिन नहीं। वो पालमपुर नहीं है ये और मैं इसका बदरंग चेहरा अपनी आँखों से नहीं देख सकता। लेकिन अब लौटकर लगता है कहीं ऐसा तो नहीं कि मैं असली वाला चेहरा देख ही न पाया होऊं ? ऐसा तो नहीं कि मैं जिस प्रेमिका से मिलने गया था , उसकी चचेरी बहन को देखकर अपना मन खट्टा करके उसके बारे में गलत धारणा बनाकर लौट आया होऊं ?
पालमपुर से भी पांच मिनट में ही बैजनाथ के लिए बस मिल गई। अक्टूबर का आखरी वीक है और कोल्डड्रिंक की इच्छा जाग्रत हो रही है तो मतलब सीधा सा है , इस पहाड़ी क्षेत्र में गर्मी खूब है। करीब दो -ढाई बजे हम बैजनाथ कस्बे में प्रवेश कर गए। शांत और छोटा सा बैजनाथ जहां का शिव मंदिर विश्व प्रसिद्ध है और उसी के दर्शन के लिए हम यहाँ आये हुए हैं। बैजनाथ जगह का नाम , बैजनाथ शिव मंदिर से ही आया है। बैजनाथ की मुख्य शहरों से दूरी पर निगाह डाल लेते हैं फिर आगे चलते हैं :
Palampur to Baijnath - 16 KM
Dharmshala to Baijnath - 50 KM
Kangda to Baijnath(via Palampur ) -78 KM
Pathankot to Baijnath - 133 KM
Delhi to Baijnath - 504 KM
Chandigarh to Baijnath -273 KM
Mumbai to Baijnath -1920 KM
बैजनाथ जी का जो मंदिर है वो शहर के बस स्टैंड के एकदम सामने ही है और इसके लिए आपको न किसी से पूछने की जरुरत है और न अपना गूगल मैप खोलने की। सामने ही दिख जाएगा लेकिन रुकिए , कुछ खा पीकर जाइये। बराबर में खूब सारी दुकानें हैं जहाँ चाय -समोसा -जलेबी मिल जाती हैं बढ़िया स्वादिष्ट। खाते -पीते चलो यार।
तो जी ये जो मंदिर है बैजनाथ जी का , ये बैजनाथ शहर में ही है , आप चाहो तो बैजनाथ कस्बा कह लो जी , कोई टैक्स नहीं लगना कहने पर ! और जी ये बैजनाथ शहर पठानकोट -मण्डी हाईवे पर दोनों शहरों के लगभग मध्य में स्थित है। समुद्र तल से करीब एक हजार मीटर की ऊंचाई पर बसा बैजनाथ , पश्चिमी हिमालय की धौलाधार रेंज में बसा है। बैजनाथ की प्रसिद्धि इसी शिव मंदिर से ही है जिसे कभी वैधनाथ के नाम से जाना जाता था। बैद्यनाथ मतलब चिकित्सक , हिंदी में बोलें तो Doctor के रूप में यहाँ भगवान शिव को पूजा जाता था। 13 वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को नागर शैली में दो भाइयों मन्युका और आहुका ने बनवाया था। ब्रिटिश आर्किलियजिस्ट अलेक्सेंडर कनिंघम ने यहाँ एक शिलालेख पाया था जो 1786 ईस्वी का था और उसमें राजा संसार चंद्र के द्वारा इस मंदिर के पुनर्निर्माण के बारे में लिखा गया था। हिमाचल के कई प्रमुख स्थलों को भूकंप ने कई बार नुक्सान पहुँचाया है , यहाँ भी 1905 में आये एक भूकंप से इस मंदिर को बहुत नुक्सान पहुंचा था।
बहुत भीड़भाड़ नहीं थी इसलिए अच्छी तरह दर्शन का लाभ उठाकर बाहर निकल आये। बाहर छोटा और खूबसूरत पार्क है जहां बैठकर आप अपनी थकान भी उतारते रहिये और बाहर से मंदिर के दर्शन भी करते रहिये। बराबर में ही नीचे की तरफ बिनवा नदी कल -कल बह रही है , बिनवा कभी बिंदुका हुआ करती थी जो ब्यास नदी की सहायक नदी मानी जाती है लेकिन समय के साथ बिंदुका , बिनवा हो गयी। पानी एकदम स्वच्छ और साफ़ दिखाई दे रहा था ऊपर से तो , नीचे उतरे नहीं :)
बैजनाथ के आसपास और दर्शनीय जगहें : बैजनाथ मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर सांसल में मुकुटनाथ मंदिर, 1. 5 किलोमीटर दूर अवाही नाग मंदिर, पांच किलोमीटर दूर चोबीन रोड पर महाकाल मंदिर , अंद्रेटा में 11 किलोमीटर दूर शोभा सिंह आर्ट गैलरी !
अब वापसी का समय है और आज यहाँ से चामुंडा देवी के मंदिर जाएंगे और वहीँ रुकेंगे। आज के लिए इतना बहुत है फिर मिलते हैं :
जय बोले और जय कांगड़ा माता की ...
जवाब देंहटाएंआप भी परिवार को घुमा कर अकेले जाने का बहाना ढूंढते हैं ... पत्नी से पूछिए क्या पता वो भी ट्रेकिंग पे चल पड़ें ...
आपके बहाने इस मंदिर के दर्शन हो गए ... सुन्दर फोटो हैं ...
Lovely captures!
जवाब देंहटाएंYogi ji I too have visited this temple! And I took the toy train back to Palampur!
जवाब देंहटाएंसुंदर जानकारी चित्रों के साथ
जवाब देंहटाएंसुंदर
जवाब देंहटाएंशुरू में वो भी गयी है सर मेरे साथ। हेमकुण्ड की ट्रैकिंग की है उसने मेरे साथ लेकिन फिर उसका शरीर साथ नहीं देता। बहुत धन्यवाद सर
जवाब देंहटाएंThank you Deepak ji !!
जवाब देंहटाएंMridula ji Thnx a lot . Yes , we too were planning to go there by the Toy train but unfortunately were not running at that time beyond Koparlahar Railway station .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आयुष भाई !! आते रहिएगा
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