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पड़ावली का "गढ़ी फोर्ट " और उससे पहले बेहतरीन "बटेश्वर मंदिर " समूह देखकर और हल्की पेट पूजा कर लेने के बाद पैदल पैदल ही मितावली गाँव की तरफ चल दिए ! मितावली गाँव से थोड़ा आगे ही चौंसठ योगिनी मंदिर है लेकिन जब आप नेट पर सर्च करेंगे तो ये मंदिर मितावली गाँव में ही दिखायेगा ! पड़ावली से लगभग तीन या चार किलोमीटर दूर होगा ये मंदिर ! बदकिस्मती से न कोई ट्रेक्टर मिला , न कोई और वाहन जिसमें लिफ्ट ली जा सके ! जैसे ही मितावली गाँव से बाहर निकले , इस मंदिर के थोडे से दर्शन होने लग गए ! सिंगल -गाँव जैसी रोड बनी हुई है , टाटा सूमो और महिंद्रा की सफारी आती जाती रहती हैं लेकिन वो बड़े बड़े नेताओं की होती होंगी , गरीब के पास न पहले कुछ था न आज कुछ है ! खेतों में लहलहाती फसलों के बीच से चलते हुए मालन रोड पर आ गए ! ये रोड ग्वालियर से आती है , यानि कहने का मतलब ये है कि आप ग्वालियर से भी आ सकते हैं यहां ! यहाँ एक चौराहा है , जिसमें एक सड़क ग्वालियर की तरफ से आ रही है जो मालन जा रही है और दूसरी पड़ावली से आकर मितावली होते हुए आगे कहीं शायद रेहा की तरफ निकल जाती है ! हम इसी चौराहे पर खड़े होकर इंतज़ार करने की सोच रहे थे कि आगे जाने के लिए कुछ मिल जाएगा , इतने में दनदनाता हुआ एक ट्रेक्टर आया लेकिन ...... ..... हम बस उसे आवाज ही देते रह गए और वो निकल गया ! क्या करते ? पैदल ही चलते रहे , कोई साइकिल आई , कोई बाइक आई लेकिन हमें जगह नही मिल पाई ! पैदल चलना ही किस्मत में है आज और पैदल पैदल ही मंदिर के पास पहुँच गए ! लेकिन मंदिर तक जाने के लिए लगभग 100 सीढियां चढ़नी पड़ेंगी , थोड़ा आराम ले लेते हैं ! गांव के बाहर ही एक पेड़ के नीचे पड़ गए !
"चौंसठ योगिनी मंदिर :
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर भारत के उन गिने चुने योगिनी मंदिरों में से एक है जो आज भी ठीक हालात में हैं ! इस मंदिर को " एकत्त्तरसो महादेव मंदिर" भी कहा जाता है ! इस मंदिर के अलावा दो योगिनी मंदिर ओडिशा में हैं और एक मंदिर मध्य प्रदेश के ही जबलपुर में है ! भारत के संसद भवन जैसा दिखने वाला ये मंदिर लगभग 30 मीटर की ऊंचाई पर है और 100 सीढियां चढ़कर आपको मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचना होता है ! पूरी तरह से गोलाकार आकृति में बने इस मंदिर में 64 कक्ष हैं और बीच में एक मंडप है जो मुख्य मंदिर माना जाता है ! इन 64 कक्ष में पहले भगवान् शिव और योगिनी की मूर्तियां लगी हुई थी लेकिन कुछ मूर्तियों के चोरी हो जाने के कारण सभी मूर्तियों को वहां से हटा कर भारत के विभिन्न संग्रहालयों में भेज दिया गया और अब ये कक्ष ( Chamber ) खाली नजर आते हैं ! इस मंदिर का मुख्य द्वार बहुत छोटा सा है और जिस तरह पहले गाँव में दरवाज़े होते थे कुछ इसी तरह का बना हुआ है ! ऐसा माना जाता है कि 1920 में बने हमारे संसद भवन को भी इसी के आधार पर डिजाईन किया गया है !
ASI की खोजबीन बताती है कि इस मंदिर को विक्रम संवत 1383 में कच्छपघाट राजा देवपाल ने बनवाया था और उस समय में ये सूर्य की गति के आधार पर ज्योतिष और गणित का बड़ा अध्ययन केंद्र था ! इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर भी कलाकृतियों वाले पत्थर लगाए गए हैं , 52 मीटर की रेडियस में बने इस मंदिर की बाहरी दीवारें भी आपको बहुत आकर्षित करती हैं ! इन दीवारों पर भी हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं और साथ साथ फूल पत्ती से भी सजावट की गई है ! ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के मुख्य मंडप और मंदिर की छत पर पहले शिखर हुआ करते थे ! हर कक्ष के ऊपर शिखर लगा हुआ था लेकिन दुश्मनों को इस मंदिर की भनक न लगे इसलिए इन शिखरों को भी वहां से हटा दिया गया ! शायद इस दुश्मन मुग़ल ही रहे होंगे , हालाँकि इस बारे में कोई में लिखित प्रमाण नहीं मिलता कि यहां पहले शिखर हुआ करते थे और जिन्हें हटा दिया गया , लेकिन कुछ जानकारियों के लिए स्थानीय लोग ज्यादा विश्वसनीय होते हैं ! इस मंदिर के मुख्य प्रवेश के सामने ही एक और छोटा सा मंदिर स्थापित है लेकिन उसके विषय में कोई जानकारी नही मिल पाई , न मुझे और न ही ASI को ! तब आपको कैसे दे सकता हूँ ? :-)
मंदिर की परिक्रमा करके आ चुका हूँ लेकिन इतने में यहां बहुत सारे स्कूल के बच्चे आ गए हैं ! कहाँ जब हम यहां पहुंचे थे तो मुश्किल से चार पांच लोग ही थे और अब कम से कम 200 लोग होंगे ! ज्यादातर स्कूल की लड़कियां हैं छोटी छोटी सी , स्कूल यूनिफार्म में ! नीला सूट -सफ़ेद सलवार ! शायद किसी सरकारी स्कूल की लग रही हैं ! बच्चियों की मास्टरनी भी ढीली ढाली सी , जैसे जबरदस्ती यहाँ आना पड़ा हो ! कोई भी ऐसी नहीं लग रही कि आँखों को थोड़ा आराम मिले ! चल कबीरा रात हुई ..... .... कुछ और ठिकाना ढूंढते हैं !!
आगे जारी रहेगी:
आज आपको बेहतरीन जगह लेकर चलता हूँ और मुझे पूरा विश्वास है कि आप में से ज्यादातर लोगों ने इस जगह को नही देखा होगा , कुछ ने शायद नाम भी नहीं सुना होगा ! जी आज हम "चौंसठ योगिनी मंदिर " चल रहे हैं ! सुना है आपने ? देखा है आपने ? नहीं ! तो कोई बात नहीं , आज मेरे साथ चले चलिए !
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पड़ावली का "गढ़ी फोर्ट " और उससे पहले बेहतरीन "बटेश्वर मंदिर " समूह देखकर और हल्की पेट पूजा कर लेने के बाद पैदल पैदल ही मितावली गाँव की तरफ चल दिए ! मितावली गाँव से थोड़ा आगे ही चौंसठ योगिनी मंदिर है लेकिन जब आप नेट पर सर्च करेंगे तो ये मंदिर मितावली गाँव में ही दिखायेगा ! पड़ावली से लगभग तीन या चार किलोमीटर दूर होगा ये मंदिर ! बदकिस्मती से न कोई ट्रेक्टर मिला , न कोई और वाहन जिसमें लिफ्ट ली जा सके ! जैसे ही मितावली गाँव से बाहर निकले , इस मंदिर के थोडे से दर्शन होने लग गए ! सिंगल -गाँव जैसी रोड बनी हुई है , टाटा सूमो और महिंद्रा की सफारी आती जाती रहती हैं लेकिन वो बड़े बड़े नेताओं की होती होंगी , गरीब के पास न पहले कुछ था न आज कुछ है ! खेतों में लहलहाती फसलों के बीच से चलते हुए मालन रोड पर आ गए ! ये रोड ग्वालियर से आती है , यानि कहने का मतलब ये है कि आप ग्वालियर से भी आ सकते हैं यहां ! यहाँ एक चौराहा है , जिसमें एक सड़क ग्वालियर की तरफ से आ रही है जो मालन जा रही है और दूसरी पड़ावली से आकर मितावली होते हुए आगे कहीं शायद रेहा की तरफ निकल जाती है ! हम इसी चौराहे पर खड़े होकर इंतज़ार करने की सोच रहे थे कि आगे जाने के लिए कुछ मिल जाएगा , इतने में दनदनाता हुआ एक ट्रेक्टर आया लेकिन ...... ..... हम बस उसे आवाज ही देते रह गए और वो निकल गया ! क्या करते ? पैदल ही चलते रहे , कोई साइकिल आई , कोई बाइक आई लेकिन हमें जगह नही मिल पाई ! पैदल चलना ही किस्मत में है आज और पैदल पैदल ही मंदिर के पास पहुँच गए ! लेकिन मंदिर तक जाने के लिए लगभग 100 सीढियां चढ़नी पड़ेंगी , थोड़ा आराम ले लेते हैं ! गांव के बाहर ही एक पेड़ के नीचे पड़ गए !
"चौंसठ योगिनी मंदिर :
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौंसठ योगिनी मंदिर भारत के उन गिने चुने योगिनी मंदिरों में से एक है जो आज भी ठीक हालात में हैं ! इस मंदिर को " एकत्त्तरसो महादेव मंदिर" भी कहा जाता है ! इस मंदिर के अलावा दो योगिनी मंदिर ओडिशा में हैं और एक मंदिर मध्य प्रदेश के ही जबलपुर में है ! भारत के संसद भवन जैसा दिखने वाला ये मंदिर लगभग 30 मीटर की ऊंचाई पर है और 100 सीढियां चढ़कर आपको मंदिर के मुख्य द्वार तक पहुंचना होता है ! पूरी तरह से गोलाकार आकृति में बने इस मंदिर में 64 कक्ष हैं और बीच में एक मंडप है जो मुख्य मंदिर माना जाता है ! इन 64 कक्ष में पहले भगवान् शिव और योगिनी की मूर्तियां लगी हुई थी लेकिन कुछ मूर्तियों के चोरी हो जाने के कारण सभी मूर्तियों को वहां से हटा कर भारत के विभिन्न संग्रहालयों में भेज दिया गया और अब ये कक्ष ( Chamber ) खाली नजर आते हैं ! इस मंदिर का मुख्य द्वार बहुत छोटा सा है और जिस तरह पहले गाँव में दरवाज़े होते थे कुछ इसी तरह का बना हुआ है ! ऐसा माना जाता है कि 1920 में बने हमारे संसद भवन को भी इसी के आधार पर डिजाईन किया गया है !
ASI की खोजबीन बताती है कि इस मंदिर को विक्रम संवत 1383 में कच्छपघाट राजा देवपाल ने बनवाया था और उस समय में ये सूर्य की गति के आधार पर ज्योतिष और गणित का बड़ा अध्ययन केंद्र था ! इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर भी कलाकृतियों वाले पत्थर लगाए गए हैं , 52 मीटर की रेडियस में बने इस मंदिर की बाहरी दीवारें भी आपको बहुत आकर्षित करती हैं ! इन दीवारों पर भी हिन्दू देवी देवताओं की प्रतिमाएं उकेरी गई हैं और साथ साथ फूल पत्ती से भी सजावट की गई है ! ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के मुख्य मंडप और मंदिर की छत पर पहले शिखर हुआ करते थे ! हर कक्ष के ऊपर शिखर लगा हुआ था लेकिन दुश्मनों को इस मंदिर की भनक न लगे इसलिए इन शिखरों को भी वहां से हटा दिया गया ! शायद इस दुश्मन मुग़ल ही रहे होंगे , हालाँकि इस बारे में कोई में लिखित प्रमाण नहीं मिलता कि यहां पहले शिखर हुआ करते थे और जिन्हें हटा दिया गया , लेकिन कुछ जानकारियों के लिए स्थानीय लोग ज्यादा विश्वसनीय होते हैं ! इस मंदिर के मुख्य प्रवेश के सामने ही एक और छोटा सा मंदिर स्थापित है लेकिन उसके विषय में कोई जानकारी नही मिल पाई , न मुझे और न ही ASI को ! तब आपको कैसे दे सकता हूँ ? :-)
मंदिर की परिक्रमा करके आ चुका हूँ लेकिन इतने में यहां बहुत सारे स्कूल के बच्चे आ गए हैं ! कहाँ जब हम यहां पहुंचे थे तो मुश्किल से चार पांच लोग ही थे और अब कम से कम 200 लोग होंगे ! ज्यादातर स्कूल की लड़कियां हैं छोटी छोटी सी , स्कूल यूनिफार्म में ! नीला सूट -सफ़ेद सलवार ! शायद किसी सरकारी स्कूल की लग रही हैं ! बच्चियों की मास्टरनी भी ढीली ढाली सी , जैसे जबरदस्ती यहाँ आना पड़ा हो ! कोई भी ऐसी नहीं लग रही कि आँखों को थोड़ा आराम मिले ! चल कबीरा रात हुई ..... .... कुछ और ठिकाना ढूंढते हैं !!
ये यात्रा वृतांत प्रसिद्ध हिंदी दैनिक "दैनिक जागरण " में दिनांक 27 अगस्त 2017 को प्रकशित भी हुआ और कुछ रूपये भी पारितोषक के रूप में मिले |
These are 100 steps |
Outer Wall of the temple has carvings of Hindu Deities |
Similar to Parliament House |
Main Entrance of the Temple |
Mandap inside the Temple |
Shivilng |
Courtyard has 64 Chambers |
आगे जारी रहेगी:
बहुत ही अच्छा है धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा है धन्यवाद
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