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शनिवार, 9 जुलाई 2016

Before Trek to Satopanth : Badrinath

सतोपंथ जाने से पहले

 अगर आपको ये यात्रा वृतांत शुरू से पढ़ने का मन हो तो आप यहां क्लिक करिये, पहले ही पोस्ट से पढ़ पाएंगे  !!

बद्रीनाथ में ठण्ड देखकर बिल्कुल भी ऐसा एहसास नहीं हो रहा था कि उस वक्त दिल्ली या गाजियाबाद में भयंकर गर्मी पड रही होगी ! पारा अपने रिकॉर्ड तोड रहा था और इंसान पसीने से नहा रहे थे ! अाज यानि 12 जून को अनुकूलन ट्रैकिंग (Acclimatize Trekking) करने के बाद जब वापस उतर रहे थे तब हमने दूसरा रास्ता चुना था और इसी रास्ते पर कोकिला अंबानी का बँगला भी देखा ! हालांकि अंबानी परिवार यहाँ कभी कभी ही अाता होगा लेकिन उनके लोग यहाँ जरूर बने रहते हैं ! दो तीन गाड़ियां भी थी ! जनरेटर भी दिखाई दिया ! अंबानी परिवार बाबा बद्री विशाल का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है !

अागे चलते हैं ! रमेश जी , ऊधमपुर वाले यूँ कहने को 52 वर्ष के हैं लेकिन उनकी चाल देखकर कोई नही कह सकता कि वो अपने जीवन में पांच दशक पार कर चुके होंगे ? वो सबसे अागे चल रहे थे , शायद कढ़ी चावल का भंडारा एक कारण रहा होगा ! सब एक एक कर अाते चले गए और सदगुरु जी के भंडारे में कढ़ी चावल खींचने में लग गए ! बाद में चाय भी उसी भंडारे में पी थी लेकिन इतने कृतघ्न हम नही थे , हैं भी नही ! टीम लीडर अमित तिवारी जी ने कुछ चंदा उनके डोनेट बॉक्स में डाल दिया था , कितना डाला , ये बताने की बात नही होती !


सामने ही बरेली वालों की धर्मशाला है , जहां हम रुके हुये हैं ! वहीं चलते हैं , थोड़ा पैरों को अाराम दे दिया जाए ! बीनू भाई और सुमित नौटियाल जी अभी यहाँ नही पहुंचे हैं लेकिन हाँ , उनका फोन जरूर अा गया है ! वो दोनों बंधु माणा गांव से अागे वसुधारा फॉल देखने गए हैं और लौटने में उन्हें कोई "उर्वशी " मिल गयी है और उसी के चक्कर में लेट हो रहे हैं ! और इधर टीम लीडर अमित तिवारी ने पोर्टरों के सरदार गज्जू को बुला लिया है , कल के सामान की लिस्ट तैयार करने के लिए ! लेकिन उससे पहले ये तय हो जाना भी जरूरी है कि अाज की ट्रैकिंग करने के बाद किस किस में इतनी हिम्मत और हौसला बचा है कि अागे सतोपंथ जाने को तैयार हो ! दो नाम कम हो गए , ऊधमपुर के रमेश जी और दिल्ली से हमारे साथ गए सचिन त्यागी भाई ! रमेश जी ने पता नही क्यूँ हिम्मत हारी जबकि अाज उन्होंने बेहतर तरीके से चढ़ाई चढ़ी लेकिन अाखिर उनका कॉन्फिडेंस डोल गया और उन्होंने मना कर दिया , अब वो भगवान बद्री विशाल के दर्शन करके सुबह वापस हरिद्वार होते हुये उधमपुर चले जाएंगे ! इधर सचिन त्यागी जी के घर से फ़ोन अा गया है कि उनकी कुछ पारिवारिक समस्या है और उन्हें भी वापस जाना पड़ेगा ! ओह , वो भी भगवान के दर्शन करके सुबह दिल्ली वापस ! अफसोस हुअा , सचिन भाई पूरे मऩ से यहाँ अाय थे और उन्होंने सतोपंथ जाने के करीब महीने भर पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी ! लेकिन परिवार पहले !

अब कुल मिलाकर 9 लोग रह गए हैं हम जाने वालों में और 5 पोर्टर होंगे ! तो अब कुल 14 लोगों के लिए 6 दिन का राशन पानी लेना है ! ये काम अमित तिवारी बढ़िया तरीके से कर लेते हैं , तो वो ही कर रहे हैं और उनके साथ संजीव त्यागी जी भी साथ दे रहे हैं ! संजीव जी , इंदिरापुरम गाजियाबाद से गए हैं हमारे साथ ! अमित तिवारी जी चीजों को जितना बेहतर मैनेज करते हैं उतने ही बड़े घुमक्कड़ भी हैं ! असल में इस ग्रुप में मुझे छोड़कर सब एक से एक बड़े घुमक्कड़ ही हैं ! मै एक सीखतर (Learner ) हूँ जो इन बड़े बड़े नामों की छत्रछाया में कुछ सीखना चाहता हूँ ! मै रजाई में घुसा पड़ा हूँ और सामने वाले बैड पर सुशील जी और रमेश जी सो रहे हैं ! बाकी के लोग यानि संदीप पंवार उर्फ जाट देवता , कमल कुमार सिंह , सचिन त्यागी , विकास नारायण सिंह माणा गए हैं ! जबकि अमित भाई और संजीव जी दूसरे कमरे में गजेंद्र सिंह उर्फ गज्जू के साथ लिस्ट बनाने में मशगूल हैं ! गाइड कम पोर्टर गजेंद्र सिंह को पूरी यात्रा में गज्जू ही कहा गया , और बद्रीनाथ से लेकर सतोपंथ तक सब उन्हें गज्जू ही बुलाते रहे तो हम भी इस वृतान्त में उन्हें गज्जू ही लिखेंगे ! ओके ! गज्जू बहुत ही सुलझा हुअा और स्पष्टवादी अादमी है , अापको बिल्कुल भी परेशानी नही होने देगा अापकी ट्रेकिंग में ! उनकी विशेषताओं से समय समय पर परिचित होते रहेंगे !

बीनू भाई और सुमित नौटियाल भी अा गए हैं , बीनू भाई का अपना ट्रांसपोर्ट का काम है जबकि सुमित भाई अपने गृह नगर श्रीनगर (उत्तराखंड ) के NIT में ही इलेक्ट्रिकल इंजीनियर हैं ! दूसरे कमरे में अमित भाई को उर्वशी की पूरी कहानी सुना रहे हैं और अमित भाई पूरे मजे ले लेकर बीनू भाई से उर्वशी की कहानी सुनने में मस्त हैं ! लिस्ट का काम जारी है ! 20 किलो चावल , 5 किलो दाल , चीनी , चाय , 50 पैकेट मैगी , इतना टोमेटो सूप , इतना बऩ अादि, अादि ! जो सुन पाया , जो समझ पाया लिख दिया ! वो जो कर रहे हैं बढ़िया कर रहे हैं ! हमारे यहाँ एक कहावत है ब्रज भाषा में : जाको काम वइये साजे और करे तो डंडा बाजे !!

गज्जू भाई और अमित भाई ने सब काम फिट कर दिया है ! सब चीज धर्मशाला में पहुंच चुकी है और माणा वाले लोग भी वापस अा चुके हैं ! हमारे साथ नीलकंठ के रास्ते पर अनुकूलन ट्रैकिंग के लिए साथ गए विकास नारायण श्रीवास्तव जिन्हें हमने नाम दिया नर नारायण  श्रीवास्तव (ग्वालियर वाले ) ने एक गड़बड़ कर दी थी ! असल में अाज की ट्रैकिंग में उनका प्रेशर बन गया और वो मौका देख के वहीं कहीं नदी के किनारे बैठ लिए ! जब ये बात और लोगों को पता पड़ी तो सब उन पर गुस्सा होने लगे कि नीचे जाने पर सब लोग इसी नदी का पानी पीते हैं और तुम इसे गंदा कर रहे हो !  हालांकि उन्हें अपनी गलती का एहसास हुअा और उन्होंने माफी भी मांगी ! लेकिन बीनू भाई और कमल कुमार सिंह ने उन्हें अाखिर तक इस मामले में बिल्कुल भी नही बख्शा ! शाम हो रही है ! सचिन त्यागी जी और रमेश जी बद्री विशाल के दर्शन को चले गए हैं और उधर से लौटते हुये खाना भी खा अाएंगे और कल सुबह के लिए हरिद्वार तक की टिकट भी बुक कर अाएंगे ! हम भी खा पी के सो जाते हैं ! सुबह चलना है !

अाप तो नही सोये न अभी ? सोना भी मत  ! यात्रा से पहले सतोपंथ की कुछ बात तो करते चलें ? है कि नही ? तभी तो अापको समझने में अासानी होगी ! तो अाइए थोड़ा सा सतोपंथ के बारे में जानकारी लेते चलते हैं ! सतोपंथ , उत्तराखण्ड के चमोली जिले में विश्वविख्यात बद्रीनाथ धाम से करीब 28 किलोमीटर की दुर्गम और कठिन दूरी पर स्थित एक पवित्र ताल है ! ऐसा माना जाता है कि यहाँ एकदशी के दिन तीनों देव भगवान शिव , ब्रह्मा और विष्णु स्नान के लिए अाते हैं लेकिन ये अलग बात है कि हमारे बीनू भाई वहां तीनों अप्सराओं उर्वशी , मेनका और रंभा से मिलने के लिए उतावले रहे ! सतोपंथ पर ऐसे पक्षी पाए जाते हैं जो दुनियाँ में और कहीं नही दिखाई देते , ये पक्षी इस तलाब को बिल्कुल भी गंदा नहीं होने देते और अगर कोई इसमें कूड़ा या कोई तिनका फेंकता है तो माना जाता है कि ये पक्षी तुरंत ही उस तिनके को उठा ले जाते हैं ! लोग कहते हैं कि ये असल में गंधर्व हैं जो इस ताल की साफ सफाई का विशेष ध्यान रखते हैं ! सतोपंथ की समुद्र तल से ऊंचाई ऐसे 4600 मीटर बताई गयी है लेकिन हम अपने साथ जो ऊंचाई नापने का यंत्र लेकर गए , वो 4350 मीटर बता रहा था ! ज्यादा नही हम अापस में 4500 मीटर ऊँचाई मानकर चलेंगे ! यानि लगभग 16000 फुट ! इस रास्ते में अापको बद्रीनाथ जी के अलावा बालाकुन पीक , कुबेर टॉप , नीलकंठ , स्वर्गारोहिणी के अदभुत दर्शन प्राप्त होते हैं जो अापके मन और मष्तिष्क को अभिभूत कर देते हैं !

ये वो ही रास्ता है जहां से पांडव अपने अंतिम सफर पर स्वर्ग जाने के लिए निकले थे और रास्ते में एक एक करके सब अपना शरीर छोड़ते चले गए या यूँ कहिए कि उनके शरीर बर्फ में गलते चले गए और अंत तक  सिर्फ युधिष्ठर ही स्वर्ग के द्वार तक पहुंच पाए ! हाँ , उनके साथ एक कुत्ता भी था जो उन्हें रास्ते में मिला और उनका हमसफर बन गया ! जब स्वर्ग के द्वार पर विमान युधिष्ठर को लेने के लिए अाया तो युधिष्ठर अपने कुत्ते को भी साथ ले जाने लगे लेकिन उन्हें रोक दिया गया ! युद्धिष्ठर ने कहा कि ये कुत्ता मेरे साथ लगभग पूरे रास्ते चला है और इसने रास्ते के हर सुख दुख में मेरा साथ निभाया है , अगर अाप इसे स्वर्ग नही ले जाएंगे तो मै भी नही जाऊँगा ! अाखिर कुत्ते ने अपना असली रूप दिखाया और वो स्वयं धर्मराज के रूप में अा गए ! तब दोनो युद्धिष्ठर और धर्मराज स्वर्ग गए लेकिन इस बीच युद्धिष्ठर की छोटी उंगली गल गयी क्योंकि उन्होंने भी थोड़ा सा तो झूठ बोला ही था ! उनका झूठ याद है न अापको ? अश्वत्थामा मारा गया !!

चलिये अब अगली पोस्ट में अापसे मुलाकात होगी !



ये भोजपत्र का पेड है! लेकिन नर नारायण पता नहीं क्या ढूंढ रहा है उधर
















जाट देवता अपनी जानी पहचानी स्टाइल में













बस यही चीज खतरनाक होती है

                                                                                                                      जारी है :

2 टिप्‍पणियां:

  1. Satopanth jaane ke liye guide kahan se Milenge...aap ne blog me gajju ka jikar Kiya h...Kya wo guide h...hum October m plan ker rhe h satopanth trek...!

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  2. we 8 member team are planing for Satopanth trek in June,2020, it will be very helpful to me if you can send the contact no of guide or porter or any agent at Badrinath,

    Sunil Karmakar
    9433779485

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