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पिछली पोस्ट में अाप धमेक स्तूप के बारे में पढ़ चुके हैं और उसके फोटो भी देख चुके हैं ! असल में धमेक स्तूप अगर अाप बायें से अपनी यात्रा शुरू करते हैं तो ये अापका लगभग अाखिरी पॉइंट होगा , इससे पहले यहाँ की खुदाई में निकले विभिन्न मोनुमेंट्स , मंदिरों के अवशेष, स्कूलों के अवशेष अादि देखने को मिलते हैं ! बहुत सारी चीजें समझ में अाती हैं , बहुत सी सिर के ऊपर से निकल जाती हैं ! सिर के ऊपर से निकलने का कारण है कि हम इतिहास के विशेषज्ञ नही हैं ओर हमारा काम सबकी जांच पड़ताल करना नही होता , हम सिर्फ जाते हैं , टिकट खरीदते हैं , पानी की बोतल भरते हैं (मुफ्त की मिल जाए तो बहुत बढ़िया ) , फिर फोटो खींचते हैं फिर उसे यहाँ चेप देते हैं ! इसे ब्लॉग कहते हैं !
20 रुपये का टिकट लिया है , पहले पानी पियूँगा और अपनी बोतल भी भरूंगा ! 10 रुपये तो वसूल हो गए ! अब जरा खुदाई में मिले इन पत्थरों के हीरे -मोती को भी देख लें ! ये जो पत्थरों के हीरे-मोती मिले हैं वो तीसरी शताब्दी ( BC) से लेकर 12 वीं सदी (AD ) तक के हैं ! इनमें सबसे मुख्य धर्मराजिका स्तूप है ! ये ईंटों की बनी एक गोलाकार संरचना है जिसकी ऊपरी परत बिल्कुल सपाट (flat ) है ! धर्मराजिका स्तूप प्रारंभिक रूप से बड़ा हुअा करता था लेकिन अब इसका यही हिस्सा बाकी रह गया है ! इस स्तूप को बनारस के राजा चेत सिंह ने पूर्ण रूप से नष्ट करवा दिया था ! धर्मराजिका से अागे जाने पर एकाश्म रेलिंग (monolithic Railings ) देखने को मिलती हैं ! चुनार मार्बल से बनी ये रैलिंग्स 1904- 05 की खुदाई में प्राप्त हुई थी !
थोड़ा ओर अागे चलते हैं तो टूटा -फूटा लेकिन सुरक्षित रखा अशोक पिलर भी देखने को मिलता है ! 250 ईस्वी में बने इस पिलर के सबसे ऊपर चार शेर की मूर्ति लगी हुई थी जो अब नही दिखती ! इस पिलर को चारों तरफ एक सीमेंट की झोंपड़ी सी बनाकर सुरक्षित रखा गया है जिसका एक हिस्सा वहाँ के म्यूजियम में रखा है !
अागे मूलगंध कुटी के खंडहर हैं , जहां भगवान बुद्ध साधना किया करते थे ! इस मूलगंध कुटी में छोटे छोटे स्तूप , मंदिर ओर बौद्ध विहारों के अवशेष हैं ! यहाँ एक जो अच्छी बात है वो ये कि हर चीज के ऊपर उस क्षेत्र विशेष का नाम लिखा होता है अऊर वहां कई जगह गोल्डन फॉयल भी लगी हैं , जिन्हें छूना या हटाना मना है , लेकिन रुकता कौन है ?
20 रुपये का टिकट लिया है , पहले पानी पियूँगा और अपनी बोतल भी भरूंगा ! 10 रुपये तो वसूल हो गए ! अब जरा खुदाई में मिले इन पत्थरों के हीरे -मोती को भी देख लें ! ये जो पत्थरों के हीरे-मोती मिले हैं वो तीसरी शताब्दी ( BC) से लेकर 12 वीं सदी (AD ) तक के हैं ! इनमें सबसे मुख्य धर्मराजिका स्तूप है ! ये ईंटों की बनी एक गोलाकार संरचना है जिसकी ऊपरी परत बिल्कुल सपाट (flat ) है ! धर्मराजिका स्तूप प्रारंभिक रूप से बड़ा हुअा करता था लेकिन अब इसका यही हिस्सा बाकी रह गया है ! इस स्तूप को बनारस के राजा चेत सिंह ने पूर्ण रूप से नष्ट करवा दिया था ! धर्मराजिका से अागे जाने पर एकाश्म रेलिंग (monolithic Railings ) देखने को मिलती हैं ! चुनार मार्बल से बनी ये रैलिंग्स 1904- 05 की खुदाई में प्राप्त हुई थी !
थोड़ा ओर अागे चलते हैं तो टूटा -फूटा लेकिन सुरक्षित रखा अशोक पिलर भी देखने को मिलता है ! 250 ईस्वी में बने इस पिलर के सबसे ऊपर चार शेर की मूर्ति लगी हुई थी जो अब नही दिखती ! इस पिलर को चारों तरफ एक सीमेंट की झोंपड़ी सी बनाकर सुरक्षित रखा गया है जिसका एक हिस्सा वहाँ के म्यूजियम में रखा है !
अागे मूलगंध कुटी के खंडहर हैं , जहां भगवान बुद्ध साधना किया करते थे ! इस मूलगंध कुटी में छोटे छोटे स्तूप , मंदिर ओर बौद्ध विहारों के अवशेष हैं ! यहाँ एक जो अच्छी बात है वो ये कि हर चीज के ऊपर उस क्षेत्र विशेष का नाम लिखा होता है अऊर वहां कई जगह गोल्डन फॉयल भी लगी हैं , जिन्हें छूना या हटाना मना है , लेकिन रुकता कौन है ?
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