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शुक्रवार, 24 जून 2016

Bharat Mata Mandir & Ganga Arti : Varanasi

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चिलचिलाती धूप में सिर पर अंगोछा और हाथ में पानी की बोतल ! सबसे जरूरी चीजें हैं , काला चश्मा और हो तो बहुत बढ़िया ! हमारा तो ये है कि काला चश्मा लगा लें तो लोगबाग कहते हैं देखो - मोहरा फ़िल्म का नसरुद्दीन शाह अा गया ! हम कोई करिश्मा - रवीना तो हैं नही कि कोई हमारे लिए गाएगा -​गोरे ​गोरे मुखड़े पै काला काला चश्मा ! काला चश्मा सच में गोरी मैम पर बहुत मस्त लगता है !


चलो यार , यहाँ तो धमेक स्तूप , धर्मराजिका स्तूप  सब देख लिए अब भारत माता मंदिर चलते हैं ! इस मंदिर के बाद बस अाखिर में गंगा की अारती देखनी है ! तो सारनाथ से सीधा कैंट का ऑटो पकड़ते हैं , कैंट मतलब वाराणसी का रेलवे स्टेशन ! सीधा सारनाथ से ही मिल गया , लेकिन उस को पहले ही कह दिया था भाई कहीं दो मिनट रोक के कोल्ड ड्रिंक दिला दियो ! साढ़े चार बज रहे हैं , लकिन लगता नही कि दोपहर गुजर चुकी है , सूरज महाराज पूरे गुस्से में हैं ! इतना गुस्सा ठीक नही है सूर्य देव , अापने उत्तर प्रदेश और बिहार में कई लोगो को अपना शिकार बना लिया है , तेलंगाना में तो अापने एक ही दिन में 60 से ज्यादा लोगो को अपना शिकार बना लिया , ये गलत बात है ! और भी ज्यादा गलत बात ये है कि तुम हमेशा गरीब लोगो को ही अपना शिकार बनाते हो !



जाम ! फिर से ! हो गया काम ! भारत माता मंदिर शाम 5 बजे तक ही खुलता है ! मुश्किल लग रहा है समय से पहुंच पाना ! ऑटो वाला भी पता नही कहां कहां से लेकर अाया  है ! ओह ! सवा पांच बज गए और मंदिर बंद है ! हाँ , लेकिन कुछ लोग अभी बाहर हैं वो बता रहे हैं कि अंदर कोई प्रतिमा , कोई मूर्ति नही है ! बस भारत माता का मैप बना हुअा है ! थोड़ा इतिहास भी तो देख लें , भारत माता मंदिर का !


भारत माता मंदिर , वाराणसी के मुख्य रेलवे स्टेशन के बिल्कुल नजदीक है ! यहाँ के स्टेशन को केंट बोलते हैं ! दस मिनट की वाकिंग डिस्टेंस पर महात्मा गांधी काशी विध्यापीठ का कैंपस है , उसी में भारत माता का मंदिर भी है ! इसकी संरचना मंदिरों जैसी नही बल्कि किसी बढ़िया हवेली जैसी है ! इसे बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने सन 1936 में बनवाया था जिसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया ! ये वास्तव में महात्मा गांधी काशी विध्यापीठ का कैंपस है और यहीं इसी कैंपस में ललित कला महाविद्यालय भी है जहां बहुत बेहतरीन मूर्ति कला के नमूने भी दिखाई देते हैं !


तो चलो अाज भारत माता मंदिर के अंदर नही जा पाए तो कोई बात नही , कम से कम ये मूर्तियां तो देखने को मिली ! दिक्कत ये हुई कि पहले जो ब्लॉग पढ़े थे उनमें भारत माता मंदिर का समय सुबह 9 :30 बजे से लेकर शाम 8 बजे तक का लिखा था और यही गड़बड़ हो गयी ! असल टाइम सुबह साढ़े नौ बजे से शाम पांच बजे तक का है !


अब निकलना है और यहाँ से अब सीधे वाराणसी के घाट देखने चलेंगे ! गंगा के ठंडे ठंडे पानी में स्नान करेंगे और शरीर पर जो गंदगी की परत जमी हुई है इसे थोड़ा हल्का कर लिया जाए ! शानदार नजारा है , हर घाट पर ! मैं अस्सी घाट से गंगा के किनारे पहुंचा और वहीं स्नान करके अागे बढ़ता चला गया ! एक एक घाट को देखता -निहारता दशाश्वमेघ घाट जाऊँगा ! इन्ही घाटों में कइयों पर अारती की तैयारी चल रही है लेकिन मेरी मंजिल अाज शाम की अारती दशाश्वमेघ घाट पर देखने की है ! शानदार और भक्तिमय नजारा है सब तरफ ! छोटे छोटे दिये गंगा की गोद में ऐसे लग रहे हैं जैसे एक अासमान नीचे उतर अाया हो और ये छोटे छोटे दीपक उस अासमान के तारे हों जो टिमटिमा रहे हैं ! दशाश्वमेघ घाट पहुंच गया हूँ ! दिल की गहराइयों को छू जाने वाले भजन सुनकर मन प्रफुल्लित हो रहा है ! दिल कर रहा है यहीं रम जाऊं लेकिन गृहस्थी -परिवार की अपनी जिम्मेदारियां होती हैं , मैं साधू नही हूँ !!


चलता हूँ ! ट्रेन पकड़ के गाजियाबाद  ! राम राम !












अस्सी घाट पर ( At Assi Ghat ) Bank Of Ganges
अस्सी घाट पर ( At Assi Ghat ) Bank Of Ganges
सुबह ए बनारस ! लेकिन मेरे लिए शाम ए बनारस ( Its Subah E Banars but for me Shaam e Banaras )
सुबह ए बनारस ! लेकिन मेरे लिए शाम ए बनारस ( Its Subah E Banars but for me Shaam e Banaras )




​गंगा अारती की तैयारी ( Ready For Gangaa Arti )
​गंगा अारती की तैयारी ( Ready For Gangaa Arti )

​गंगा अारती की तैयारी ( Ready For Gangaa Arti )
जीवन का अंत ! यही सच है !  End of The life and This is Universal Truth
​गंगा अारती की तैयारी ( Ready For Gangaa Arti )









अागे जल्दी ही मिलेंगे , सतोपंथ -स्वर्गारोहिणी की एक पवित्र और खूबसूरत यात्रा के साथ !

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