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बद्रीनाथ और माणा की यात्रा और वसुधारा फॉल के रोमांच की यादें लेकर अब वापस लौटने का समय आ गया था ! बद्रीनाथ बस स्टैंड से जोशीमठ के लिए बहुत सारी जीप मिल जाती हैं ! ऐसे जोशीमठ होते हुए ही आया था लेकिन उस वक्त जोशीमठ में कुछ भी नही देखा था सिर्फ जीप स्टैंड ही देखे थे ! सुबह ठीक 7 बजकर 10 मिनट पर बद्रीविशाल की जय बोलकर वहां से निकल लिए ! 48 किलोमीटर की दूरी में जोशीमठ पहुँचते पहुँचते दो घंटे लग गए और 9 बजे जोशीमठ पहुंचे ! कुछ खा लिया जाए , बस एक कप चाय पी है अभी तक। चाय और दो समोसे से काम चल गया !
जोशीमठ को ज्योतिर्मठ भी कहते हैं बल्कि इसे उल्टा कहा जाए , ज्योतिर्मठ को जोशीमठ भी कहते हैं ! क्योंकि इसकी जो पहिचान है वो मठ की वजह से ही है। 6150 फुट की ऊंचाई पर बसा जोशीमठ हिमालय क्षेत्र की बड़ी बड़ी वादियों का प्रवेश द्वार कहा जा सकता है ! ये भगवान आदि शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है जो उत्तर दिशा में स्थित है ! बाकी के तीन मठ - श्रंगेरी , पुरी और द्वारका हैं। और आजकल जोशीमठ , औली के लिए ज्यादा प्रसिद्ध है। वो ही औली जहां जनवरी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के गेम्स होते हैं ! उन्हें क्या कहते हैं , नाम नही मालूम !! आइये थोड़ा सा घूमते चलते हैं यहां भी , नही तो जोशीमठ और जोशीमठ के लोग कहेंगे कि यहां से निकला था और हमें मिलकर भी नही गया ! जोशीमठ के बच्चे बिलकुल अलग हैं , यहां उन्हें जून के महीने में स्कूल जाना होता है जब सब जगह छुट्टियां होती हैं और इन्हें दिसंबर में छुट्टियां मिलती हैं !
पहले भविष्य केदार मंदिर चलते हैं ! इस मंदिर में भगवान शिव और देवी पार्वती की प्रतिमाएं हैं और ऐसा माना जाता है कि आज के केदारनाथ मंदिर में निवास कर रहे शिव दंपत्ति भविष्य में इस जगह पर विराजमान हो जाएंगे ! लेकिन कब ? इसके लिए एक पाषाण प्रतिमा के दो अलग अलग हिस्से होने का इंतज़ार करना होगा ! असल में एक आधी अलग पाषाण प्रतिमा है और उसको ऐसा कहा जाता है कि ये एक दिन अलग लग हिस्सों में बट जायेगी तब केदारनाथ से भगवान शिव अपने परिवार सहित यहां "शिफ्ट " हो जाएंगे ! लेकिन मुझे ये कोरी धारणा ही ज्यादा लगती है ! आप का मंतव्य आप समझें ! यही धारणा भविष्य बद्री के लिए बना रखी है कि एक दिन प्राकृतिक आपदा के कारण बद्रीनाथ का रास्ता रुक जाएगा और भगवान बद्रीनाथ अपना घर यहां भविष्य बद्री में बना लेंगे जो जोशीमठ से तपोवन वाले रास्ते पर 17 किलोमीटर दूर है !
अगर
जोशीमठ के इतिहास की बात करें तो ये बहुत पुराना स्थान है। आज के जोशीमठ
का पुराना नाम भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय के नाम पर कार्तिकेयपुरा हुआ
करता था फिर ज्योतिर्मठ और फिर जोशीमठ। यहां आपको 8 वीं सदी में भगवान आदि
शंकराचार्य जी द्वारा प्रतिष्ठापित भारत का पुराना वृक्ष देखने को मिलता
है जिसे कल्पवृक्ष कहते हैं।
आगे की बात बाद में करते हैं :
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ये पाषाण जब विभक्त हो जाएगा तब भगवान शिव अपने नए "आवास " पर शिफ्ट होंगे जिसे भविष्य केदार कहा जाएगा |
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ये वो 2300 वर्ष पुराना कल्पवृक्ष |
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ये वो 2300 वर्ष पुराना कल्पवृक्ष |
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यहां लोगों ने भगवान आदि शंकराचार्य जी को मंदिर के नीचे एक गुफा में बंद
किया हुआ है ! यहीं भगवान शंकराचार्य जी ने तपस्या करी थी !! |
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भगवान शंकराचार्य जी |
आगे जारी रहेगी :
आपकी रचना में ज्ञान, सभ्यता और सौंदर्य है। यह मेरे लिए अनुपम है।मेरा यह लेख भी पढ़ें बद्रीनाथ मंदिर का इतिहास
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