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महाबोधि मंदिर के रास्ते पर चलते हुए थोड़ा पहले ही चाइनीज़ मॉनेस्ट्री दिखाई देती है। सड़क के उलटे हाथ पर है और उसके बराबर से ही ताइवान की मॉनेस्ट्री के लिए रास्ता जाता है। भयंकर धूप हो रही थी , पसीने से तरबतर , लेकिन मेरे पास बस आज ही का दिन था इसलिए धूप में ही चलना जरुरी भी हो गया था। पहले चीनी बुद्ध मंदिर में ही घुस गया। ठीक ठाक लोग थे। भीड़ का कोई मतलब नही होता ऐसी जगहों पर।
चीनी बुद्ध , जापानी बुद्ध , भारतीय बुद्ध , थाई बुद्ध , ताइवान के बुद्ध , सब अलग अलग दीखते हैं ! इनकी मूर्तियों से तो मैं पहिचान सकता हूँ कि कौन सी मूर्ति किस देश की है लेकिन इनके रूप में ये अंतर क्यों है ? मुझे नहीं मालुम !! आप लोगों से अनुरोध करता हूँ कि इस विषय में मेरा थोड़ा ज्ञान बढ़ाएं !
दोपहर
के दो या ढाई बज रहे होंगे जिस वक्त में चीनी बुद्ध मंदिर से बाहर निकला।
उसके बराबर वाले रास्ते से ताइवान मंदिर में पहुंचा। बिलकुल पीछे ही है
ताइवान मंदिर , चीनी मंदिर से। गेट खुला हुआ था लेकिन कोई दिखाई ही नही
दिया। मैं आगे बढ़ता गया तो एक भारतीय और एक ताइवान का युवक बाहर आये।
भारतीय ने पूछा - हाँ जी ? मैंने सीधा ही कहा मंदिर घूमने आया हूँ। उसे
पता नही ताइवानी ने क्या कहा और वो मुझे घुमाने लगा। मेरे अलावा कोई भी
नही था वहां जो घूमने के लिए आया हो ? और ऐसा लग रहा था शायद सबसे कम
यात्री , घुमक्कड़ यहीं आते होंगे पूरे बोधगया में। एक दो चार !! ऐसा कुछ
प्रभावशाली नही दिखा , हाँ ताइवान के योद्धा और महिला योद्धा की मूर्ति
जरूर अच्छी लगती है !
आइये फोटो देखते हैं , क्योंकि इसके बारे में लिखने
के लिए बहुत कुछ नही है :
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चीनी मॉनेस्ट्री का प्रवेश द्वार |
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चीनी बुद्ध |
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चीनी बुद्ध |
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ताइवान योद्धा |
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ताइवान महिला योद्धा !! खूबसूरत भी है ? |
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ताइवान के बुद्ध |
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ताइवान के बुद्ध |
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एक फोटू मेरा भी |
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ताइवान के बुद्ध |
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लाफिंग बुद्ध |
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लाफिंग बुद्धा |
यात्रा ज़ारी रहेगी :
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