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मंगलवार, 17 अप्रैल 2012

रिक्त स्थान

गाँव से लेकर शहर तक
बस में , ट्रेन में
नौकरी और पढाई में
बस भीड़ भारी है |



छोटे – ऊंचे
काले -गोरे
हिन्दू -मुस्लिम
सब कतार में हैं
बस जगह मिल जाये ||



मैं भी चला आया
बढ़ चला उधर
जिधर
कतार चली |



कभी स्कूल में भरता था
या अखबार में देखता था
आज उसी रिक्त स्थान में
स्वयं को भरने
कतार में खड़ा हूँ मैं !!

12 टिप्‍पणियां:

  1. कोमल भावो की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..सुन्दर ..

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद , श्री भास्कर जी ! आपको मेरे शब्द पसंद आये , बहुत बहुत आभार ! आगे भी सहयोग देते रहे !

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  3. बहुत बहुत आभार आदरणीय निशा जी मित्तल ! मेरे शब्दों तक आने और उत्साहित करने के लिए ! मुझे आशा थी आपका आशीर्वाद अवश्य ही मिलेगा ! धन्यवाद

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  4. जीवन का सत्य लिखा है ... इनमें उलझ के रह जाता है इन्सान ...

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  5. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय श्री सत्यशील अगरवाल जी ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद

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  6. बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय श्री दिगंबर जी ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद आपका

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  7. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार श्री संजय जी आपका ! हौसलाफजाई बनाये रखियेगा ! धन्यवाद

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  8. उत्तर
    1. ​बहुत बहुत आभार आपका श्री राकेश श्रीवास्तव जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद

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