हो सकता है आपको ये पोस्ट किसी मतलब की न लगे , इसकी उपयोगिता न लगे लेकिन मेरे लिए ये एक शुरुआत है , शुरुआत है एक लम्बे सफर की ! नई दिल्ली से तिरुवनंतपुरम तक का सफर और वो भी पैसेंजर ट्रेन से। आसान नहीं होगा और एक बार में भी नहीं होगा , असंभव तो नहीं लेकिन मेरे जैसे नौकरी पेशा आदमी के लिए एक साथ इसे पूरा कर पाना कठिन तो होगा। मैं इस सफर में आपको नई दिल्ली से तिरुवनंतपुरम तक जाने वाली केरला ( 12626 ) एक्सप्रेस के रूट से लेकर चलूँगा ! केरला एक्सप्रेस नई दिल्ली से तिरुवनंतपुरम तक कुल 3035 किलोमीटर की दूरी तय करती है और 42 स्टॉप लेती है ! नई दिल्ली से सुबह 11:25 बजे शुरू होकर तीसरे दिन लगभग दोपहर तीन बजे तिरुवनंतपुरम पहुँचती है लेकिन हम इस दूरी को कई चरणों में पूरी करेंगे और इसमें समय लगेगा -छह महीने , एक साल या दो साल :) नहीं मालूम ! क्योंकि इसका कोई पूर्व निर्धारित प्रोग्राम नहीं रहेगा , जब भी और जितना भी समय मिलेगा , यात्रा करी जायेगी। ट्रेन से सिर्फ यात्रा ही नहीं होगी बल्कि इस रूट पर आने वाले लगभग सभी दर्शनीय स्थानों तक पाँव रखने की कोशिश होगी ! जहां तक मैं नहीं पहुँच पाऊंगा वहां अपने किसी ब्लॉगर मित्र की पोस्ट का लिंक दूंगा लेकिन इतना पक्का है कि आपको उस जगह के विषय में पढ़ने को जरूर मिलेगा !
पहले भाग में आप नई दिल्ली से मथुरा तक की यात्रा करेंगे ! दिल्ली के विषय में आप सब कुछ जानते हैं और अगर नहीं जानते तो हम काहे के लिए बैठे हैं , हमें पूछिए ! हम नहीं बता पाएंगे तो किसी और से पूछ के बताएँगे लेकिन आपकी शंका का समाधान जरूर होगा।
अच्छा हाँ , ऐसा मत सोच लीजियेगा कि ये यात्रा सस्ती पड़ेगी , बिल्कुल नहीं। हालाँकि ट्रेन यात्रा तुलनात्मक रूप से सस्ती होती है और वो भी पैसेंजर ट्रेन से लेकिन ये चक्र कुछ इस तरह से घूम रहा है कि यात्रा महँगी होती जायेगी। उदहारण देता हूँ : मान लीजिये मैंने पहली बार में दिल्ली से आगरा तक की यात्रा की और मुझे दूसरे चरण में आगरा से झाँसी तक की यात्रा करनी है तो पहले मुझे आगरा से एक्सप्रेस ट्रेन से ग़ाज़ियाबाद लौट के आना पड़ेगा और फिर किसी और दिन गाज़ियाबाद से आगरा जाना होगा , तब मुझे वहां से आगरा से झाँसी तक चलने वाली पैसेंजर ट्रेन मिल पायेगी ! तो हुआ न हर मामले में डबल !! एक के साथ एक फ्री होता तो मौजा आ जाता !!
नई दिल्ली , भारत की राजधानी ! सन 1911से भारत की राजधानी है लेकिन उससे पहले न जाने कितनी बार लूटी गई , खरोंची गई , बिगाड़ी गई , संवारी गई ! लेकिन अब चमकदार सी लगती है , अहा पूरी बात नहीं लिखी । ये चमकदार लगती है जब आप सिर्फ इसका क्रीम -पाउडर से सजा हुआ चेहरा देखते हैं तब , अगर इसके चेहरे से ये क्रम पाउडर की परत हटा दें तो ये आपको डराएगी , आपको आपके शहर और गाँव से भी बदतर लगेगी। लेकिन जो है सो है ही भैया , न मैं कुछ कर सकता हूँ और अगर आप कुछ कर सकते हैं तो जरूर करियेगा। अच्छा हाँ , दिल्ली जैसी भी है अपुन ने घूमी बहुत है और अभी बहुत बाक़ी भी है बीड़ू ! तो जो देखी है , जितनी देखी है आप भी यहां चटका लगाओ और आप भी देख लो ! कौन सा मैंने ही ठेकेदारी ले रखी है दिल्ली देखने की , आप भी देख लो जी !!
ये शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन है , नई दिल्ली से बिल्कुल अगला स्टेशन। एक्सप्रेस ट्रेन का कोई आधिकारिक ठहराव नहीं है लेकिन लगभग वो हर ट्रेन रूकती है जो नई दिल्ली आती है। एक तरह से नई दिल्ली का आउटर कह सकते हैं आप। कनाट प्लेस पास ही है और थोड़ा पैदल चलकर आप बाराखंभा मेट्रो स्टेशन पहुँच जाएंगे। रास्ते में मेट्रो भवन भी आएगा। शाम को अच्छी खासी भीड़ भाड़ रहती है इस स्टेशन पर , गाजियाबाद -मेरठ -अलीगढ की तरफ से जो लोग दिल्ली नौकरी के लिए जाते हैं वो और फरीदाबाद -मथुरा तक लोग भी यहां अपनी अपनी ट्रेन का इंतज़ार करते मिलेंगे। मतलब दोनों तरफ के लिए कॉमन स्टेशन है ! फल सही रेट में मिल जाते हैं स्टेशन के बाहर और हाँ , कचौड़ी खाना मत भूलियेगा यहां ! अच्छी बनाता है !!
तिलक ब्रिज है जी ये। ये भी कॉमन स्टेशन है दोनों तरफ के लिए। सुबह -शाम भीड़ रहेगी , बाकी टाइम ठीक ठाक। यहां से दिल्ली की प्रसिद्द जगह ITO बिल्कुल पास में ही है। ITO वो ही जगह है जहां टीवी चैनलों के रिपोर्टर अपना तामझाम लेकर कभी दिल्ली का पॉलुशन दिखाते हैं कभी कुछ और। पास में ही प्रगति मैदान है जहां बड़े बड़े मेले लगते हैं , कभी किताबों का मेला तो कभी टेक्नोलॉजी की exhibition । प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन भी है ब्लू लाइन मेट्रो का। ITO पर हैं तो लस्सी जरूर पिएं ! अच्छी मिलती है 20 रूपये में ! आसपास Institute of Engineers & ICAW का ऑफिस भी है। दिल्ली पुलिस का मुख्यालय भी यहीं है जिसकी दीवार पर गाँधी बाबा की पेंटिंग बहुत आकर्षक लगती है। वो दूर ऊँची सी बिल्डिंग का पूछ रहे हैं आप ? वो DDA की बिल्डिंग है सरकार और इसके पास जो रोड जा रही है वो राजघाट को जाती है।
निजामुद्दीन पहुँच गए जी। हज़रत निजामुद्दीन ! निजामुद्दीन औलिया की दरगाह है यहां और भी दो -तीन मकबरा दिखाई देते हैं ट्रेन से। पता नहीं क्या है ? शायद हुमाऊं का मकबरा होगा ! तो जी , ज्यादातर राजधानी और दूसरी गाड़ियां जो भोपाल -मुंबई की तरफ की हैं वो यहीं से शुरू होती हैं। दिल्ली के तीन बड़े स्टेशन में से एक है - नई दिल्ली , पुरानी दिल्ली ( दिल्ली जंक्शन ) और हज़रत निजामुद्दीन। और भी हैं लेकिन उनका जिक्र नहीं करेंगे। आइये ट्रेन आगे बढ़ चली है और ओखला पहुँच गई है।
ओखला , फल और सब्जी मंडी के लिए जाना जाता है लेकिन ये एक बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया भी है। छोटी -मोटी सैकड़ों कंपनियां हैं इधर। इसके अलावा पास में ही जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी है जहां से मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की है।
तुगलकाबाद ऐतिहासिक जगह है। तुगलकाबाद फोर्ट है पास में ही , हालाँकि मैं नहीं जा पाया हूँ अभी तक। अच्छा हाँ , ये दिल्ली का आखिरी स्टेशन है और इसके बाद हम हरियाणा में प्रवेश कर जायेंगे। इसे लोग बदरपुर बॉर्डर भी बोलते हैं। अरे ये तो बताना भूल ही गया कि हम कौन सी ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं !! ये दिल्ली -आगरा पैसेंजर( 51902 ) है जो दिल्ली जंक्शन से सुबह सात बजे चलती है। तुगलकाबाद का नाम आपने ट्रेनों के इंजन पर खूब लिखा देखा होगा , तो जी ये वो ही तुगलकाबाद है। अरे अरे भागो , ट्रेन चल पड़ी है !!
फरीदाबाद आ गया बात करते करते। असल में मैं बहुत बातूनी हूँ , बातूनी समझते हैं न आप ? तो जी फरीदाबाद के बारे में क्या कहें , एस्कॉर्ट की कंपनी है यहां ! अरे नहीं समझे -अमिताभ बच्चन की बेटी है श्वेता और श्वेता जी की शादी हुआ है नंदा परिवार में और नंदा परिवार की ही कंपनी है एस्कॉर्ट !! अब ये तो नहीं बताना है कि इसी परिवार में राजकपूर की बहन कृष्णा कपूर का विवाह हुआ है !
फरीदाबाद का ही छोटा सा स्टॉप है न्यू टाउन ! तो जो बात फरीदाबाद के लिए लिखी गई हैं वो ही यहां के लिए भी मान्य होंगी !
बल्लभगढ़ भी ज्यादा अलग नहीं है फरीदाबाद से ! फरीदाबाद का ही टाउन है और बहुत सी कंपनियां हैं यहां भी ! मेट्रो भी पहुँच गई अब तो बल्लभगढ़ तक ! जय श्री राम !
असावटी छोटा सा गाँव है जहां से सैकड़ों दूधिया लोग , यहां से दिल्ली और फरीदाबाद के लिए दूध लेकर जाते हैं
पलवल अब शायद जिला बन गया है ! पहले ये भी फरीदाबाद जिले में ही आता था ! आसपास बड़ी बड़ी कम्पनियाँ हैं जिनमें इंडिया आयल कारपोरेशन का गैस फिलिंग स्टेशन रेलवे लाइन से ही दिखाई देता है ! थोड़ी दूर पर ही राइट साइड में NH -2 निकल रहा है !
अब आगे रुंधी , शोलका , बनचारी और होडल जैसे स्टेशन आये और चुपचाप निकल गए !
कोसी कलां है ये , मतलब हरियाणा खत्म और उत्तर प्रदेश शुरू ! मथुरा जनपद शुरू हो गया है ! कोसी कलां भी इंडस्ट्रियल एरिया है जहां पशुपति फैब्रिक्स , JSW पाइप्स लिमिटेड जैसी बड़ी कम्पनियाँ हैं ! कोसी कलां पार करते ही NH -2 सीधे हाथ से उल्टे हाथ की तरफ हो जाता है !
छाता ! umbrella वाला नहीं है , छाता ही है ! छोटा सा टाउन है जहां Ginni Fillament सहित कुछ कम्पनियाँ हैं जिनमें से एक में मैंने भी दो साल नौकरी की है , प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में ! हालाँकि अब कंपनियों से ज्यादा यहां इंजीनियरिंग कॉलेज हो गए हैं ! सभी इंजीनियरिंग कॉलेज हाईवे के किनारे पर ही हैं और अब यहां हाईवे स्टेशन के बिल्कुल नजदीक आ जाता है !
वृन्दावन रोड , नाम से ही समझ आ जाता है कि यहीं कहीं आसपास से वृन्दावन के लिए रोड निकलती होगी ! वृन्दावन को परिभाषित करने की जरुरत शायद नहीं है ! वैसे स्थानीय लोग इस जगह को , इस स्टेशन को छटीकरा बोलते हैं ! छटीकरा पास में ही एक गाँव है ! वृन्दावन के विषय में पढ़ने और जानने के इच्छुक हैं तो लगाइये यहां चटका !
भूतेश्वर को आप मथुरा शहर का तीसरा स्टेशन कह सकते हैं ! मथुरा जंक्शन , मथुरा छावनी और भूतेश्वर ! तीन स्टेशन हैं मथुरा में !
आ गया मथुरा ! मथुरा जंक्शन ! NCR का एक मुख्य स्टेशन ! कुछ को छोड़कर लगभग सभी ट्रेन रूकती हैं यहां ! भगवान् श्री कृष्णा की जन्मस्थली मथुरा में आप सब लोगन को भौत भौत स्वागत है ! और कछु जानवे की इच्छा है रई होइ तो जा लिंक पै क्लिक कर सकत हो !!
जय श्री कृष्णा !! राधे राधे
पहले भाग में आप नई दिल्ली से मथुरा तक की यात्रा करेंगे ! दिल्ली के विषय में आप सब कुछ जानते हैं और अगर नहीं जानते तो हम काहे के लिए बैठे हैं , हमें पूछिए ! हम नहीं बता पाएंगे तो किसी और से पूछ के बताएँगे लेकिन आपकी शंका का समाधान जरूर होगा।
अच्छा हाँ , ऐसा मत सोच लीजियेगा कि ये यात्रा सस्ती पड़ेगी , बिल्कुल नहीं। हालाँकि ट्रेन यात्रा तुलनात्मक रूप से सस्ती होती है और वो भी पैसेंजर ट्रेन से लेकिन ये चक्र कुछ इस तरह से घूम रहा है कि यात्रा महँगी होती जायेगी। उदहारण देता हूँ : मान लीजिये मैंने पहली बार में दिल्ली से आगरा तक की यात्रा की और मुझे दूसरे चरण में आगरा से झाँसी तक की यात्रा करनी है तो पहले मुझे आगरा से एक्सप्रेस ट्रेन से ग़ाज़ियाबाद लौट के आना पड़ेगा और फिर किसी और दिन गाज़ियाबाद से आगरा जाना होगा , तब मुझे वहां से आगरा से झाँसी तक चलने वाली पैसेंजर ट्रेन मिल पायेगी ! तो हुआ न हर मामले में डबल !! एक के साथ एक फ्री होता तो मौजा आ जाता !!
नई दिल्ली , भारत की राजधानी ! सन 1911से भारत की राजधानी है लेकिन उससे पहले न जाने कितनी बार लूटी गई , खरोंची गई , बिगाड़ी गई , संवारी गई ! लेकिन अब चमकदार सी लगती है , अहा पूरी बात नहीं लिखी । ये चमकदार लगती है जब आप सिर्फ इसका क्रीम -पाउडर से सजा हुआ चेहरा देखते हैं तब , अगर इसके चेहरे से ये क्रम पाउडर की परत हटा दें तो ये आपको डराएगी , आपको आपके शहर और गाँव से भी बदतर लगेगी। लेकिन जो है सो है ही भैया , न मैं कुछ कर सकता हूँ और अगर आप कुछ कर सकते हैं तो जरूर करियेगा। अच्छा हाँ , दिल्ली जैसी भी है अपुन ने घूमी बहुत है और अभी बहुत बाक़ी भी है बीड़ू ! तो जो देखी है , जितनी देखी है आप भी यहां चटका लगाओ और आप भी देख लो ! कौन सा मैंने ही ठेकेदारी ले रखी है दिल्ली देखने की , आप भी देख लो जी !!
ये शिवाजी ब्रिज रेलवे स्टेशन है , नई दिल्ली से बिल्कुल अगला स्टेशन। एक्सप्रेस ट्रेन का कोई आधिकारिक ठहराव नहीं है लेकिन लगभग वो हर ट्रेन रूकती है जो नई दिल्ली आती है। एक तरह से नई दिल्ली का आउटर कह सकते हैं आप। कनाट प्लेस पास ही है और थोड़ा पैदल चलकर आप बाराखंभा मेट्रो स्टेशन पहुँच जाएंगे। रास्ते में मेट्रो भवन भी आएगा। शाम को अच्छी खासी भीड़ भाड़ रहती है इस स्टेशन पर , गाजियाबाद -मेरठ -अलीगढ की तरफ से जो लोग दिल्ली नौकरी के लिए जाते हैं वो और फरीदाबाद -मथुरा तक लोग भी यहां अपनी अपनी ट्रेन का इंतज़ार करते मिलेंगे। मतलब दोनों तरफ के लिए कॉमन स्टेशन है ! फल सही रेट में मिल जाते हैं स्टेशन के बाहर और हाँ , कचौड़ी खाना मत भूलियेगा यहां ! अच्छी बनाता है !!
तिलक ब्रिज है जी ये। ये भी कॉमन स्टेशन है दोनों तरफ के लिए। सुबह -शाम भीड़ रहेगी , बाकी टाइम ठीक ठाक। यहां से दिल्ली की प्रसिद्द जगह ITO बिल्कुल पास में ही है। ITO वो ही जगह है जहां टीवी चैनलों के रिपोर्टर अपना तामझाम लेकर कभी दिल्ली का पॉलुशन दिखाते हैं कभी कुछ और। पास में ही प्रगति मैदान है जहां बड़े बड़े मेले लगते हैं , कभी किताबों का मेला तो कभी टेक्नोलॉजी की exhibition । प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन भी है ब्लू लाइन मेट्रो का। ITO पर हैं तो लस्सी जरूर पिएं ! अच्छी मिलती है 20 रूपये में ! आसपास Institute of Engineers & ICAW का ऑफिस भी है। दिल्ली पुलिस का मुख्यालय भी यहीं है जिसकी दीवार पर गाँधी बाबा की पेंटिंग बहुत आकर्षक लगती है। वो दूर ऊँची सी बिल्डिंग का पूछ रहे हैं आप ? वो DDA की बिल्डिंग है सरकार और इसके पास जो रोड जा रही है वो राजघाट को जाती है।
निजामुद्दीन पहुँच गए जी। हज़रत निजामुद्दीन ! निजामुद्दीन औलिया की दरगाह है यहां और भी दो -तीन मकबरा दिखाई देते हैं ट्रेन से। पता नहीं क्या है ? शायद हुमाऊं का मकबरा होगा ! तो जी , ज्यादातर राजधानी और दूसरी गाड़ियां जो भोपाल -मुंबई की तरफ की हैं वो यहीं से शुरू होती हैं। दिल्ली के तीन बड़े स्टेशन में से एक है - नई दिल्ली , पुरानी दिल्ली ( दिल्ली जंक्शन ) और हज़रत निजामुद्दीन। और भी हैं लेकिन उनका जिक्र नहीं करेंगे। आइये ट्रेन आगे बढ़ चली है और ओखला पहुँच गई है।
ओखला , फल और सब्जी मंडी के लिए जाना जाता है लेकिन ये एक बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया भी है। छोटी -मोटी सैकड़ों कंपनियां हैं इधर। इसके अलावा पास में ही जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी है जहां से मैंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की है।
तुगलकाबाद ऐतिहासिक जगह है। तुगलकाबाद फोर्ट है पास में ही , हालाँकि मैं नहीं जा पाया हूँ अभी तक। अच्छा हाँ , ये दिल्ली का आखिरी स्टेशन है और इसके बाद हम हरियाणा में प्रवेश कर जायेंगे। इसे लोग बदरपुर बॉर्डर भी बोलते हैं। अरे ये तो बताना भूल ही गया कि हम कौन सी ट्रेन से यात्रा कर रहे हैं !! ये दिल्ली -आगरा पैसेंजर( 51902 ) है जो दिल्ली जंक्शन से सुबह सात बजे चलती है। तुगलकाबाद का नाम आपने ट्रेनों के इंजन पर खूब लिखा देखा होगा , तो जी ये वो ही तुगलकाबाद है। अरे अरे भागो , ट्रेन चल पड़ी है !!
फरीदाबाद आ गया बात करते करते। असल में मैं बहुत बातूनी हूँ , बातूनी समझते हैं न आप ? तो जी फरीदाबाद के बारे में क्या कहें , एस्कॉर्ट की कंपनी है यहां ! अरे नहीं समझे -अमिताभ बच्चन की बेटी है श्वेता और श्वेता जी की शादी हुआ है नंदा परिवार में और नंदा परिवार की ही कंपनी है एस्कॉर्ट !! अब ये तो नहीं बताना है कि इसी परिवार में राजकपूर की बहन कृष्णा कपूर का विवाह हुआ है !
फरीदाबाद का ही छोटा सा स्टॉप है न्यू टाउन ! तो जो बात फरीदाबाद के लिए लिखी गई हैं वो ही यहां के लिए भी मान्य होंगी !
बल्लभगढ़ भी ज्यादा अलग नहीं है फरीदाबाद से ! फरीदाबाद का ही टाउन है और बहुत सी कंपनियां हैं यहां भी ! मेट्रो भी पहुँच गई अब तो बल्लभगढ़ तक ! जय श्री राम !
असावटी छोटा सा गाँव है जहां से सैकड़ों दूधिया लोग , यहां से दिल्ली और फरीदाबाद के लिए दूध लेकर जाते हैं
पलवल अब शायद जिला बन गया है ! पहले ये भी फरीदाबाद जिले में ही आता था ! आसपास बड़ी बड़ी कम्पनियाँ हैं जिनमें इंडिया आयल कारपोरेशन का गैस फिलिंग स्टेशन रेलवे लाइन से ही दिखाई देता है ! थोड़ी दूर पर ही राइट साइड में NH -2 निकल रहा है !
अब आगे रुंधी , शोलका , बनचारी और होडल जैसे स्टेशन आये और चुपचाप निकल गए !
कोसी कलां है ये , मतलब हरियाणा खत्म और उत्तर प्रदेश शुरू ! मथुरा जनपद शुरू हो गया है ! कोसी कलां भी इंडस्ट्रियल एरिया है जहां पशुपति फैब्रिक्स , JSW पाइप्स लिमिटेड जैसी बड़ी कम्पनियाँ हैं ! कोसी कलां पार करते ही NH -2 सीधे हाथ से उल्टे हाथ की तरफ हो जाता है !
छाता ! umbrella वाला नहीं है , छाता ही है ! छोटा सा टाउन है जहां Ginni Fillament सहित कुछ कम्पनियाँ हैं जिनमें से एक में मैंने भी दो साल नौकरी की है , प्रोजेक्ट इंजीनियर के रूप में ! हालाँकि अब कंपनियों से ज्यादा यहां इंजीनियरिंग कॉलेज हो गए हैं ! सभी इंजीनियरिंग कॉलेज हाईवे के किनारे पर ही हैं और अब यहां हाईवे स्टेशन के बिल्कुल नजदीक आ जाता है !
भूतेश्वर को आप मथुरा शहर का तीसरा स्टेशन कह सकते हैं ! मथुरा जंक्शन , मथुरा छावनी और भूतेश्वर ! तीन स्टेशन हैं मथुरा में !
आ गया मथुरा ! मथुरा जंक्शन ! NCR का एक मुख्य स्टेशन ! कुछ को छोड़कर लगभग सभी ट्रेन रूकती हैं यहां ! भगवान् श्री कृष्णा की जन्मस्थली मथुरा में आप सब लोगन को भौत भौत स्वागत है ! और कछु जानवे की इच्छा है रई होइ तो जा लिंक पै क्लिक कर सकत हो !!
जय श्री कृष्णा !! राधे राधे
धन्य है आपकी लगन, आपने अपने ब्लॉग के लिए सामान्य यात्री गाडी से अपनी यात्रा शुरू कर दी। बहुत क्ष्रमपूर्ण व खर्चीली प्रक्रिया है। फिर भी आपके लगन व धैर्य को शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं