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आज 29 जनवरी है , इस जैसलमेर यात्रा का हमारा आखिरी दिन और हमारी ट्रेन 5 बजे है तो हमारे पास लगभग पूरा दिन है कहीं भी जाने को लेकिन हम इतना भी दूर नहीं जाना चाहते कि पास का कोई स्थान रह जाए ! हाँ , एक बात बतानी भूल गया ! हम जब यहाँ गाज़ियाबाद से गए थे तो हमारे कार्यक्रम में "तनोट माता मंदिर " जाना शामिल था लेकिन जब जैसलमेर पहुंचकर बस की टाइमिंग पता करी तो वो हमारे हिसाब से फिट नहीं हो रही थी इसलिए तनोट नहीं जा सके ! मुझे गाज़ियाबाद से जाने तक इतना मालुम था कि एक बस सुबह सात बजे जैसलमेर से जाती है जो तनोट से शाम 4 बजे चलकर वापस आ जाती है लेकिन जब बस स्टैंड पहुंचा जानकारी के लिए तो इसका उल्टा मिला ! एक ही बस है जो शाम को तनोट जाती है और रात में वहीँ रूकती है , फिर सुबह तनोट से जैसलमेर के लिए चलती है ! समय देखने के लिए फोटो पर निगाह डालें !
आइये फोटो देखते हुए भारतीय सेना के महान जांबाजों को नमन करते जाएँ:
गड़ीसर लेक से बोटिंग करने के बाद अँधेरा घिरने लगा था और अब इतना समय नहीं था कि कहीं घूमा जाए , तो वापस चल दिए अपने होटल लेकिन रुकने के लिए नहीं , बदलने के लिए ! आपको पता है होटल बदलने की कहानी !! अब माहेश्वरी धर्मशाला में शिफ्ट कर लिया ! साफ़ सुथरा कमरा था और लगभग सस्ता था ! वहीँ हमारे घुमक्कड़ मित्र नरेश चौधरी के इंडियन आर्मी में कार्यरत भाई कृष्ण वीर जी अपनी धर्मपत्नी के साथ मिलने आये ! अच्छा लगा , वो भी इंजीनियर हैं !! बहुत सारा खाने -पीने का सामान लेकर आये बच्चों के लिए !! शुक्रिया नरेश भाई और आभार कृष्णवीर जी , समय निकालने के लिए !
आज 29 जनवरी है , इस जैसलमेर यात्रा का हमारा आखिरी दिन और हमारी ट्रेन 5 बजे है तो हमारे पास लगभग पूरा दिन है कहीं भी जाने को लेकिन हम इतना भी दूर नहीं जाना चाहते कि पास का कोई स्थान रह जाए ! हाँ , एक बात बतानी भूल गया ! हम जब यहाँ गाज़ियाबाद से गए थे तो हमारे कार्यक्रम में "तनोट माता मंदिर " जाना शामिल था लेकिन जब जैसलमेर पहुंचकर बस की टाइमिंग पता करी तो वो हमारे हिसाब से फिट नहीं हो रही थी इसलिए तनोट नहीं जा सके ! मुझे गाज़ियाबाद से जाने तक इतना मालुम था कि एक बस सुबह सात बजे जैसलमेर से जाती है जो तनोट से शाम 4 बजे चलकर वापस आ जाती है लेकिन जब बस स्टैंड पहुंचा जानकारी के लिए तो इसका उल्टा मिला ! एक ही बस है जो शाम को तनोट जाती है और रात में वहीँ रूकती है , फिर सुबह तनोट से जैसलमेर के लिए चलती है ! समय देखने के लिए फोटो पर निगाह डालें !
तो अब तय हुआ कि जैसलमेर से लगभग 10 किलोमीटर दूर , जैसलमेर -जोधपुर रोड पर स्थित भारतीय सेना के गर्व के क्षणों को परिभाषित और प्रदर्शित करने वाले "जैसलमेर वॉर मेमोरियल ( JWM) " को देखने और अपने सैनिकों की महान वीरगाथाओं से परिचित होने चलते हैं ! ऑटो लिया , तीन सौ रूपये में और करीब 10 बजे मेमोरियल पहुँच गए ! शानदार जगह है तो थोड़ा परिचय भी जरुरी हो जाता है इस जगह का ! है न ?
जैसलमेर वॉर मेमोरियल ( JWM ) भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास और भारतीय सैनिकों की वीरगाथाओं को प्रदर्शित करने का एक ऐसा स्थान बन गया है जहां आपका सीना गर्व से 56 " का हो जाता है ! 24 अगस्त 2015 में तैयार हुआ ये म्यूजियम 1965 के युद्ध की Golden Jubilee के रूप में भी देखा जा सकता है ! यहां इंडियन आर्मी हॉल और लोंगेवाला हॉल नाम से दो हॉल हैं जिनमें इंडियन आर्मी के जवान और अधिकारियों की वीरगाथाएं प्रदर्शित की गई हैं ! यहाँ परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के नाम उनकी तस्वीरों के साथ लिखे गए हैं ! पास में ही एक हॉल है जहां 20 मिनट की एक फिल्म चलती है भारतीय सेना के वीर जवानों की बहादुरी के किस्से दिखाती है ये फिल्म ! 20 रूपये का टिकट है और हाँ एक Souvenir Shop भी है जहाँ से आप भारतीय सेना के प्रतीक चिन्ह जैसे Cap , Key Rings , T-Shirts , Stickers खरीद सकते हैं !
यहां पूरे स्मारक में पाकिस्तान से लड़ाई में जीते गए उसके टैंक रखे गए हैं ! भारतीय सेना के टैंक भी प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं ! ऐसी जगह हो तो हर किसी टैंक के सामने फोटो खिचाने का मन करता है ! सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुले रहने वाले इस संग्रहालय में खूब भीड़ बनी रहती है ! तो अगर आप जैसलमेर जाएँ तो एक बार यहाँ जरूर जाएँ ! 12 बजने को हैं और अभी सालिम सिंह की हवेली भी देखने जाना है तो अब निकलते हैं !!
जैसलमेर वॉर मेमोरियल ( JWM ) भारतीय सेना के गौरवशाली इतिहास और भारतीय सैनिकों की वीरगाथाओं को प्रदर्शित करने का एक ऐसा स्थान बन गया है जहां आपका सीना गर्व से 56 " का हो जाता है ! 24 अगस्त 2015 में तैयार हुआ ये म्यूजियम 1965 के युद्ध की Golden Jubilee के रूप में भी देखा जा सकता है ! यहां इंडियन आर्मी हॉल और लोंगेवाला हॉल नाम से दो हॉल हैं जिनमें इंडियन आर्मी के जवान और अधिकारियों की वीरगाथाएं प्रदर्शित की गई हैं ! यहाँ परमवीर चक्र और महावीर चक्र विजेताओं के नाम उनकी तस्वीरों के साथ लिखे गए हैं ! पास में ही एक हॉल है जहां 20 मिनट की एक फिल्म चलती है भारतीय सेना के वीर जवानों की बहादुरी के किस्से दिखाती है ये फिल्म ! 20 रूपये का टिकट है और हाँ एक Souvenir Shop भी है जहाँ से आप भारतीय सेना के प्रतीक चिन्ह जैसे Cap , Key Rings , T-Shirts , Stickers खरीद सकते हैं !
यहां पूरे स्मारक में पाकिस्तान से लड़ाई में जीते गए उसके टैंक रखे गए हैं ! भारतीय सेना के टैंक भी प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं ! ऐसी जगह हो तो हर किसी टैंक के सामने फोटो खिचाने का मन करता है ! सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक खुले रहने वाले इस संग्रहालय में खूब भीड़ बनी रहती है ! तो अगर आप जैसलमेर जाएँ तो एक बार यहाँ जरूर जाएँ ! 12 बजने को हैं और अभी सालिम सिंह की हवेली भी देखने जाना है तो अब निकलते हैं !!
आइये फोटो देखते हुए भारतीय सेना के महान जांबाजों को नमन करते जाएँ:
Arun Khetrapal |
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