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होटल की कहानी ने दिमाग तो खराब किया लेकिन अंत भला तो सब भला ! जिंदगी में कुछ समझौते भी करने पड़ जाते हैं और मुझे लगता है कि ख़ुशी पाने के लिए ये जरुरी है कि आप अपने आपको " समस्याओं के जंगल " से मौका पड़ने पर बाहर निकालते रहें ! जैसे क्रिकेट के फील्ड में आप तीस गज़ के घेरे में होते हैं तो चौके छक्के खूब मारते हैं और जैसे ही आप वहां से , मतलब एक घेरे से बाहर निकलते हैं तब आप बाउंड्री की तरफ जाती हुई बॉल को रोकने का अच्छा प्रयास करते हैं और आप बॉल को बाउंड्री लाइन से पहले रोक भी लेते हैं !
मेरा कहने का मतलब बस इतना सा है कि कोई भी बात - आपसे , आपकी पहिचान से, आपके अस्तित्व से बड़ी नहीं हो सकती और आप हैं तो समस्याएं भी हैं और समस्याओं के लिए , उनके निदान के लिए तो हम सब कोशिश करते ही हैं ! ज्यादा तो नहीं हो गया उपदेश ? वैसे ऐसा जानबूझकर नहीं लिखा , लिखता चला गया ! असल में मूड इस तरह का बन गया ! आज हमारे यहां मैकेनिकल इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष के छात्रों का अंतिम दिन है , तो वो सब अपनी शर्ट पर मुझसे " शुभकामना सन्देश " लिखवाने आये थे , तो उन्हें अंतिम प्रवचन दे दिया , कि कितनी भी कठिनाई आये , हिम्मत मत हारना ! और वही रिदम लिखने में भी आ गई ! चलो वैसे बता दूँ कि मैं एकमात्र ऐसा रहा जिसने हिंदी में शुभकामना सन्देश लिखा :-) इस शर्ट को बच्चे ताउम्र संभाल के रखते होंगे !!
शाम घिरने को है , सुहानी शाम ! जैसलमेर की जमीन पर , रेतीली नहीं , मेरे देश , मेरे वतन की आखरी जमीन जिसके बाद करीब 200 किलोमीटर दूर पाकिस्तान शुरू हो जाता है (कुछ जगह और भी नजदीक हैं ) ! जैसलमेर 1998 से दिमाग में था , जबसे सनी देओल की बॉर्डर फिल्म आई थी और आज भी याद है कि मथुरा के रूपम सिनेमा हॉल में देखी थी , पहले ही दिन ! ओये तू गुलाम दस्तगीर है न ........ ..... लाहौर का मशहूर गुंडा :-) !! हालाँकि वो रणक्षेत्र यहां से बहुत दूर है , लोंगेवाला और तनोट ! हम जैसलमेर में हैं आज और जैसलमेर का किला देखने जाना चाहते हैं , जिसे सोनार किला मतलब गोल्डन फोर्ट भी कहते हैं !
जैसलमेर फोर्ट , वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है और दुनियां के सबसे बड़े संरक्षित किलों में से एक है ! जैसलमेर फोर्ट को 1156 ईसवी में राजपूत राजा रावल जैसल ने बनवाया था और उसी से इस शहर का नाम भी जैसलमेर हुआ ! और आप ये देख सकते हैं कि पूरा जैसलमेर शहर ही इस किले के चारों तरफ में बसा हुआ है ! जैसलमेर की धरती से करीब 30 मीटर ऊंचाई पर , त्रिकुटा की पहाड़ियों पर बना ये फोर्ट और ये शहर पुराने जमाने में "सिल्क रूट " से व्यापार करने वालों के लिए एक स्टे पॉइंट हुआ करता था ! इस क़िले का पत्थर ऐसा है कि जब इस पर सूरज की किरणें पड़ती हैं तो इसका रंग सोने जैसा चमकने लगता है , इसीलिए इस किले को "सोनार क़िला " या Golden Fort कहते हैं ! इस किले को त्रिस्तरीय सुरक्षा दीवारों के साथ बनाया गया था ! लेकिन इस सबके बावजूद अलाउद्दीन खिलजी ने 13 वीं शताब्दी में इस पर विजय प्राप्त कर ली और करीब नौ साल तक अपने कब्जे में रखा ! उसके बाद हुमायूं और अकबर ने भी इस पर अपना राज्य स्थापित किया और आखिर रावल को अपनी पुत्री का विवाह अकबर के साथ करके ही अपने किले को बचाना पड़ा ! भले इस में रावल रहे लेकिन असली स्वामित्व मुगलों का ही रहा और ये 1762 तक मुगलों के ही कंट्रोल में रहा , फिर महारावल मूलराज ने इसे अपने कब्जे में लिया ! और फिर आगे सन 1820 में मूलराज के नाती गज सिंह ने इस किले की बागडोर संभाली ! अगर आप जैसलमेर में हैं तो आपको कई जगह महारावल गज सिंह की तसवीरें दुकानों और रेस्टॉरेंट्स में लगी मिलेंगी !
इस किले के अंदर लक्ष्मीनारायण मंदिर के साथ, सात जैन मंदिर भी हैं ! पांच मंजिल के इस किले को बेहतरीन तरीके से सजाया संवारा गया है और बालकनी तथा खिड़कियों में जो पत्थर लगाया गया है वो दर्शनीय है ! हम शाम को गए थे और तब तक धूप वापस जा चुकी थी , दिन के समय में जाने की कोशिश करियेगा , क्योंकि तब आपको इसकी बाहरी दीवारें सोने जैसे चमकती दिखाई देंगी , हालाँकि किला सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है ! आप आराम से पैदल पैदल घूमिये , हनुमान सर्किल से अंदर मार्किट की तरफ होते हुए जाइये , पुरानी हवेलियां भी दिखाई देंगी ! लेकिन हाँ , टिकट लगता है , लेकिन कितने का है , अब याद नहीं ! हाँ , कुछ महंगा है शायद 100 रूपये का ! तो जाने का प्लान बनाइये और तब तक मेरे फोटो भी देखते जाओ :
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जैन मंदिर( Jain Temple inside Jaisalmer Fort ) |
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Two Future vagabond |
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शानदार बालकनी |
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महारावल योगी इन देशी चप्पल ( Maharawal Yogi in Sleepers ) :-) |
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महारावल जैसल |
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छोटा रावल इन एक्शन |
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This is Jaisalmer City |
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शायद जैसलमेर का नक्शा होगा |
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गजटेड ऑफिसर्स तो जानता हूँ , गजटेड हनुमान जी से पहली बार मिला
ज़ारी रहेगी : | |
Achha likha hai aap ne
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