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मंगलवार, 7 जून 2016

Attractions of Sarnath : Varanasi

इस यात्रा वृतांत को शुरू से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करिये !  सीधे बनारस की और पोस्ट तक जाने के लिए यहाँ हिट करिये !


लखनिया दरी फॉल से लौटते हुए टैम्पो ड्राइवर कम गाइड से गहरी वाली दोस्ती हो गयी और उसने अपने एक एक राज खोलकर रख दिए ! इस जगह पर चार पांच साल पहले खूब लूट पाट होती थी और महिलाओं के साथ वहां के लोकल लोग दुर्व्यवहार भी कर देते थे जिस वजह से लोगों का आना -जाना बहुत कम हो गया ! प्रशासन ने सुध ली और हालात सुधरने लगे और अब आप वहाँ बिना किसी डर , बिना किसी खौफ के जा सकते हैं ! रास्ता चलते चलते उस आदमी ने भी अपनी जिंदगी के भी कुछ अंश साझा कर दिए ! पहले वो भी यहीं लूटपाट किया करता था , सौ रूपये मिल गए तो भी काम चल जाएगा , चार लोगों के हिस्से कुछ न कुछ जरूर आ जाएगा और सूखी रोटी का इंतज़ाम हो जाएगा उसके बच्चों के लिए , जिन्हें वो पानी में गलाकर खा लेंगे और जिन्दा तो रहेंगे !! क्या गलती थी उसकी ? हमारे नेता -अधिकारी चुपचाप करोड़ों लूट जाते हैं वो अपने बच्चों की रोटी की खातिर चोरी कर रहा था , लूट रहा था ! आंसू आ गए उसके और मेरे भी ! बोला -सर आप डरियेगा मत ! अब टैम्पो चलाता हूँ और बच्चों को बढ़िया तरह से पाल रहा हूँ ! इसी बात पर खुश होकर हम दोनों ने मस्त कोल्ड ड्रिंक पिया और फिर गरमागरम चाय भी पी ! उसी दूकान पर जो वहां सड़क के किनारे ही है !


चलता हूँ अब यहाँ से , अभी सारनाथ जाना है ! उस टैम्पो / ऑटो वाले ने हमें अदलहाट लाकर छोड़ दिया और दूसरे टेम्पो में बिठा दिया , ये नारायण पुर तक जाएगा फिर वहां से देखेंगे ! अरे ये क्या - उस आदमी के आंसू अब भी निकल रहे हैं , मानवता कहती है मैं उसे पूछूं कि क्यों ? क्या हुआ ? दोबारा जरूर आना सर जी ! अपने बच्चों के साथ ! मैं इतने में ही ले चलूँगा आपको ! 


नारायणपुर से टेंडुआ मोड़ आ गए ! अब देखते हैं सारनाथ कैसे जाते हैं ! रामनगर पहुँच गए हैं लेकिन आगे कोई एक्सीडेंट हुआ है , रोड जाम हुई पड़ी है ! ऑटो वालों का ये सही रहता है कि कहीं से भी निकाल लेते हैं अपने ऑटो को ! इधर उधर गांवों से होता हुआ उसने पुल पार करके पड़ाव तक पहुंचा दिया ! दूसरा ऑटो मिल गया ! बनारस -गोरखपुर लाइन का फाटक बंद है ! थोड़ी देर लगेगी, गर्मी का पूरा रुतबा बना हुआ है ! आधा घण्टा लगा होगा सारनाथ के मंदिर , बौद्ध मंदिर नजर आने लगे हैं ! लेकिन उस खाली खोपड़ी के ऑटो ड्राइवर ने सारनाथ रेलवे स्टेशन पर जाकर रोक दिया , मैंने कहा भाई मुझे रेलवे स्टेशन नहीं जाना , आखिर वो पीछे लौटा और मुझे चाइना के मंदिर पर उतार दिया ! 


सारनाथ , वाराणसी से करीब 12 किलोमीटर दूर एक बौद्ध स्थल है , जहाँ कहीं गंगा और गोमती नदियों का संगम होता है , लेकिन मैंने देखा नहीं ! लेकिन सारनाथ इस वजह से प्रसिद्द नहीं है बल्कि इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि यहीं गौतम बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के बाद अपना ट्यूशन देना स्टार्ट किया था और उन्हें सबसे पहले पांच स्टूडेंट मिले थे ! और बौद्ध संघ की स्थापना भी यहीं हुई थी ! लेकिन इसके अलावा जो महत्वपूर्ण बात ये है कि यहाँ से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक गाँव सिंहपुर जैन समाज के ग्यारहवें तीर्थंकर श्रेयन सनथ का जन्मस्थान भी है लेकिन सभी इमारतें चिल्ला - चिल्लाकर कहती हैं कि ये जगह बौद्ध धर्म को ही समर्पित है ! बस तीर्थंकर जी का एक मंदिर ही है ! 


सारनाथ आधुनिक नाम है इस जगह का ! सबसे पहले मृगदावा जिसका मतलब होता है हिरन पार्क (Deer Park ) , फिर मृगदया फिर ऋषिपत्तन और फिर इसीपतना कहा गया ! इसीपतना पाली भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है जहां पवित्र आदमी अवतरित हुआ हो ! 


सबसे पहले चीन के बौद्ध मंदिर में गया था और बस पांच मिनट रूककर वापस आ गया ! अब थोड़ा आगे चलता हूँ ! यहां मूलगंध कुटी विहार है ! ये असल में महाबोधि सोसाइटी द्वारा बनवाया गया आधुनिक बौद्ध मंदिर है ! इसकी बेहतरीन सरंचना को जापान के चित्रकार कोसेत्सु नोसु की रचनाओं पर सुशोभित किया गया है ! 




पोस्ट लम्बी होती जा रही है इसलिए आज यहीं विराम देता हूँ ! आगे जल्दी ही मिलूंगा : 




















































































                                                                                                                   जारी रहेगी  :



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