जब दो महीने पहले रेल में आरक्षण कराकर उसे यात्रा करने से सिर्फ सात दिन पहले कैंसल कराना पड़ता है तो दोहरी मार झेलनी पड़ जाती है ! एक तो कैंसिल कराने में भी पैसा कटता है और फिर दूसरा ऑप्शन देखना पड़ता है ! पहले 23 जनवरी को हज़रत निजामुद्दीन से उदयपुर जाने वाली 12963 , मेवाड़ एक्सप्रेस ट्रेन में चित्तौड़गढ़ तक का प्रोग्राम था और फिर आगे पुष्कर , जोधपुर और जैसलमेर तक जाना था और वापसी में 30 जनवरी को जैसलमेर -दिल्ली एक्सप्रेस से दिल्ली लौटना था लेकिन कॉलेज में क्लास 18 जनवरी से ही शुरू हो गयीं और पूरा प्रोग्राम छुट्टी न मिल पाने की वजह से धरा का धरा रह गया ! और आखिर में सात दिन का कार्यक्रम केवल 23 जनवरी से लेकर 26 जनवरी तक सिमट गया ! इधर से चित्तौड़गढ़ जाने के प्रोग्राम में कोई बदलाव नही हुआ था लेकिन उधर से देखा तो मेवाड़ एक्सप्रेस 26 जनवरी कोहरे की वजह से रद्द कर दी गयी हालाँकि उन दिनों कोहरा बिल्कुल नही पड़ रहा था ! इस बार पता नहीं मौसम को क्या हुआ - न ज्यादा कोहरा पड़ा और न वो कड़ाके वाली ठण्ड पड़ी !! हार थककर रतलाम से नीमच -कोटा होते हुए आगरा फोर्ट आने वाली हल्दीघाटी पैसेंजर ट्रेन में रिजर्वेशन लिया ! इसका कारण भी था कि कम से कम अगर कहीं घूम नहीं पाउँगा तो अपना पसंदीदा काम , स्टेशन के फोटो खीचना तो हो ही जाएगा !
चित्तौड़गढ़ के बारे में आप पहले पढ़ चुके हैं इसलिए इस यात्रा को चित्तौड़गढ़ के बजाय उससे कोटा की तरफ के पहले स्टेशन चंदेरिया से शुरू करूँगा ! और इस यात्रा में जो मुख्य जगह आती जाएंगी आपको उनसे परिचित कराता जाऊँगा ! चंदेरिया में बिरला सीमेंट वर्क्स (BCW ) और चेतक सीमेंट वर्क्स (CCW ) दो सीमेंट कम्पनियाँ हैं !
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रेलवे स्टेशन से दिखाई देता चेतक सीमेंट वर्क्स कारखाना |
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यहां इस स्टेशन के पास ही "हिंदुस्तान ज़िंक लिमिटेड " फैक्ट्री है ! शायद ये नाम वहीँ से आया होगा |
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राजस्थान भी हरा भरा है कहीं कहीं |
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ये मुंह फाड़े मुझे देख रहा था मैंने इसे ही क्लिक मार दिया |
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टूटी हुई पानी की टंकी का सही उपयोग |
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भीमलात नदी ! नाम कुछ अजीब नही है ? |
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इस
मंदिर पर ट्रेन का कोई स्टॉप नही है लेकिन ट्रेन रूकती जरूर है ! ड्राइवर
और गार्ड प्रसाद चढ़ाते हैं और गाडी चला देते हैं ! दोनों तरफ से ! लेकिन
शायद एक्सप्रेस ट्रेन नही रूकती !! |
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कितने श्रीनगर हैं हिंदुस्तान में ? कश्मीर , उत्तराखंड और अब राजस्थान में ! |
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बूंदी में किलों के अलावा लंगूर भी बहुत हैं |
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यहां
पहुँचते पहुँचते रात हो गयी ! गुरला या गुड़ला चित्तौड़गढ़ से कोटा आते समय
भी पड़ता है और फिर जब ट्रेन कोटा से आगरा की तरफ चलती है तब भी इधर आकर
लौटती है | | |
यात्रा जारी रहेगी :
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