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बुधवार, 26 नवंबर 2014

भारत में ममी

जब भी ममी की बात चलती है हमारा दिमाग स्वतः ही मिश्र यानि इजिप्ट की तरफ घूम जाता है ! लेकिन भारत में भी ममी मिलती हैं और खूबसूरत और अचम्भे वाली बात ये है कि इन ममियों को किसी ने भी तैयार नहीं किया है जैसा कि मिश्र में होता रहा है !

ममी की अगर परिभाषा दी जाए तो कहा जा सकता है कि ममी किसी मृत व्यक्ति या जानवर के शरीर को सैकड़ों वर्षों तक सुरक्षित रखने की एक कला है ! कृत्रिम रूप से ममी , किसी विशेष केमिकल से बनाई जाती हैं जबकि प्राकृतिक ममी बहुत ज्यादा सर्द या बहुत कम आद्रता के कारण भी बन जाती हैं ! कृत्रिम रूप से बनाई गयी सबसे पहली ममी चिली देश की कैमरोंस घाटी की चिंचोरो ममियों में एक बच्चे की ममी है जो लगभग 5050 BCE की है जबकि प्राकृतिक रूप से सबसे पुरानी ममी एक मानव सिर की है जो लगभग 6000 वर्ष पुरानी है ! ये ममी 1936 में साउथ अमेरिका में प्राप्त हुई ! जानवरों की ममियां बनाने का भी रिवाज़ पुराने समय में रहा है ! लगभग 10 लाख से भी ज्यादा जानवरों की ममियां मिश्र में मिली हैं जिनमें से अधिकांश बिल्लियों की हैं ! इससे ये निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मिश्र में घर घर में ममी बनाने की कला का ज्ञान था !
तुतेनख़ामेन की ममी अब तक की सबसे प्रसिद्द ममी कही जाती है और सबसे बेहतर भी ! अंग्रेजी का ममी शब्द मध्यकालीन लैटिन शब्द मूमिया से लिया गया है फिर ये परिष्कृत होकर फ़ारसी शब्द मोम में जा मिला और अंत में ममी हो गया ! ममी का पहला वैज्ञानिक परीक्षण 1901 में हुआ और पहला एक्सरे सं 1903 में किया गया ! तब से इस दिशा में बहुत प्रगति हुई है और अब ये भी बताया जा सकता है कि ममी की मरते समय उम्र कितनी थी और उसकी मौत कैसे हुई होगी !

यूँ ममी पूरी दुनिया में हर महाद्वीप में मिलती हैं लेकिन सबसे ज्यादा प्रसिद्द मिश्र की हैं लेकिन हमें बात करनी है भारत में पाई गयी ममियों के विषय में ! भारत के खूबसूरत राज्य हिमाचल प्रदेश के ग्यु गाँव में लगभग 550 वर्ष पुरानी प्राकृतिक ममी है जो 45 वर्षीय सांगा तेनज़िन नाम के एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु की बताई जाती है ! ग्यु गाँव हिमाचल के लाहौल स्पीति में लगभग 10,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है जो शिमला से लगभग 350 किलोमीटर की दूरी पर भारत -तिब्बत सीमा पर स्थित है ! ऐसा कहा जाता है कि 1975 में आये भूकम्प से इस गाँव के आठों स्तूप तहस नहस हो गए और उनमें से एक स्तूप से ये ममी निकल आई ! इस ममी पर कोई भी केमिकल नहीं लगाया गया है यानी ये प्राकृतिक रूप से सुरक्षित ममी है जो शायद ज्यादा ठण्ड की वज़ह से सुरक्षित रह पाई ! ये ममी ध्यान की मुद्रा में है ! आश्चर्य की बात ये भी है कि इस ममी के सर पर बाल भी हैं !

इसके अलावा एक ममी गोवा में भी मिलती है ! ये ममी संत फ्राँसिस ज़ेवियर की है ! फ्रांसिस ज़ेवियर एक मिशनरी थे ! चीन जाते समय 2 दिसम्बर 1552 को इनकी मृत्यु हो गयी ! पहले इनके मृत शरीर को पुर्तगाल ले जाया गया और फिर दो साल बाद फिर से गोवा भेजा गया ! कुछ लोग मानते हैं कि ये ममी वास्तव में श्रीलंका के एक बौद्ध भिक्षु की है लेकिन उनके इस दावे को लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं ! संत फ्रांसिस ज़ेवियर की ममी को भी प्राकृतिक बताया जाता है , ये ममी गोवा के बैसिलिका ऑफ़ बोम जीसस नाम के चर्च में रखी हुई है ! ये चर्च गोवा और भारत के सबसे पुराने चर्चों में माना जाता है ! संत फ्रांसिस ज़ेवियर की ममी को हर दस वर्ष बाद आम लोगों के देखने के लिए प्रदर्शित किया जाता है , पिछली बार इसे सन 2004 में खोला गया था और इस बार ये नवम्बर 2014 में आम लोगों के दर्शनार्थ रखी गयी है जिसको देखने बहुत से ईसाई और अन्य लोग आते हैं !


आइये इण्टरनेट से संकलित किये गए फोटो देखते हैं :


हिमाचल के ग्यु गाँव में मिली ममी

संत ज़ेवियर की ममी का बॉक्स
मिश्र में प्राप्त एक सुरक्षित ममी





​गोवा का बैसिलिका ऑफ़ बोम जीसस चर्च


​गोवा का बैसिलिका ऑफ़ बोम जीसस चर्च




​गोवा का बैसिलिका ऑफ़ बोम जीसस चर्च

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