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हौज़
ख़ास देश विदेश में आई आई टी के कारण ज्यादा फेमस है लेकिन इसी हौज़ ख़ास में
देखने को , वीकेंड बिताने को बहुत कुछ है ! हौज़ ख़ास तक मेट्रो लीजिये या
फिर ग्रीन पार्क तक बस या टैक्सी जैसा मन करे वो लीजिये और एक दिन बढ़िया
तरह से एन्जॉय करिये !
हौज़ मतलब पानी का
टैंक या छोटी सी झील और ख़ास मतलब ख़ास लोगों के लिए ! ख़ास मतलब रॉयल , शाही
लोगों के लिए ! साउथ दिल्ली के केंद्र में स्थित हौज़ ख़ास में आपको शहरी और
ग्रामीण दौनों तरह का जीवन देखने को मिलेगा हालाँकि ग्रामीण जीवन ऐसा नहीं
कि आप हौज़ ख़ास गाँव देख लें और ये अनुमान लगा लें कि उत्तर प्रदेश और बिहार
के गाँव भी ऐसे ही होते होंगे ! हालाँकि मैं जब उस रास्ते पर पैदल पैदल
जा रहा था तो वहां एक कूड़ा करकट इकठ्ठा करने का घर सा बना हुआ है , कुछ लोग
उस गंदे कूड़े को नंगे हाथों से उठाकर ट्रक में भर रहे थे , कितनी भयंकर
बदबू आ रही , राम राम ! कैसे कर लेते हैं वो ऐसा ? पेट की खातिर ? क्या और
कोई तकनीक नहीं ! इतनी बुरी सड़ांध तो मेरे उत्तर प्रदेश के गाँव से भी
नहीं उठती होगी, पॉलिटिक्स की सड़ांध की बात नहीं कर रहा हूँ !
हौज़ ख़ास
को सीरी फोर्ट में रहने वाले लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए अल्लाउद्दीन
ख़िलजी ने 1296 ईस्वी से 1316 ईस्वी के बीच बनवाना शुरू किया था ! वो झील
अभी तक जिन्दा है लेकिन उसके आसपास ज्यादातर या तो खँडहर हो चूका है या
फिर कब्जाया जा चूका है लेकिन जो कुछ भी बचा है उसे ASI पूरी तरह संजोये
रखना चाहती है ! हौज़ ख़ास गाँव और अन्य किसी गाँव में थोड़ा अंतर है ! अंतर
ये है कि हौज़ ख़ास गाँव में आपको बीना रमानी जैसे डिज़ाइनर के बुटीक और टॉप
लेवल के रेस्टोरेंट्स दिखेंगे , मॉडर्न लोग दिखेंगे ! फोटो शूट कराती मॉडल
भी मिल सकती है ! मैं सौभाग्यशाली रहा क्यूँकि मैंने पहली बार ओपन में किसी
महिला मॉडल का फोटोशूट होते हुए देखा , वो भी इतने कम कपड़ों में ! उस वक्त कुछ पल के लिए मुझे लगा कि मैं शायद हिंदुस्तान से बाहर हूँ ! यहाँ मेरी मानसिकता गलत नहीं है , बल्कि मेरी मानसिकता गाँव की है ! खैर !
इसी हौज़ ख़ास गाँव के शुरू होने पर डियर पार्क और रोज़ गार्डन हैं ! डियर पार्क में आपको हिरन मस्ती करते हुए बहुत नजदीक से देखने को मिलेंगे ! इस डियर पार्क का नाम मशहूर समाज सेवी आदित्य नाथ झा के नाम पर ए. एन. झा डियर पार्क है ।
लेकिन अगर आप डियर पार्क के बिलकुल अपोजिट रोज़ गार्डन में ये सोचकर जा रहे
हैं कि वहाँ सारे तरह तरह के गुलाब मिलेंगे तो फिर आपको निराशा होगी !
हाँ , वैसे घूमने लायक जगह तो है ये ! और जब गाँव को पार करते हैं तो लगभग आखिरी छोर पर है मशहूर हौज़ ख़ास झील और हौज़ ख़ास कॉम्प्लेक्स और उससे लगी हुई मीनारें और गुम्बद !
इसी रास्ते पर जगन्नाथ जी को समर्पित श्री नीलाचल सेवा संघ द्वारा निर्मित खूबसूरत मंदिर भी है ! आइये फोटो देखते हैं :
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नीलचला मंदिर |
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नीलचला मंदिर की ऊपरी मंजिल |
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रात के समय प्रकश में नहाया नीलचला मंदिर |
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डियर पार्क |
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डियर पार्क में बहुत नजदीक से हिरणों को देखा जा सकता है |
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डियर पार्क में एक गमला टाइप कुछ लगा रखा है |
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डियर पार्क के सामने ही है रोज़ गार्डन |
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ये भी रोज़ गार्डन है |
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हौज़ ख़ास कॉम्प्लेक्स |
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इस कॉम्प्लेक्स में बच्चे म्यूजिक की प्रैक्टिस के लिए आते हैं , एक क्लिक |
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हौज़ ख़ास |
जल्दी ही मिलेंगे एक और यात्रा वर्णन के साथ
Waah bahut khub. I am staying in Delhi from last 7 years, but never get the time to visit Hauz Khas, Good to visit through your lenses :)
जवाब देंहटाएंऐसा होता है श्री अलोक जी कि हम दूर दूर की जगहों को घूम आते हैं लेकिन पड़ोस में स्थित जगहों को छोड़ देते हैं ! हमारे गाँव में एक कहावत है "घर कौ जोगी जोगना आन गाँव कौ सिद्ध " ! आशा है आप एक बार जरूर जाएंगे ! बहुत बहुत आभार आपका मेरे शब्दों को मान सम्मान देने के लिए
हटाएंNice post, Yogendra!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका मेरे शब्दों को मान सम्मान देने के लिए ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद
हटाएंउपयोगी जानकारी सचित्र आभार योगी जी
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीया निशा जी मित्तल , संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद
हटाएंबहुत सुन्दर जानकारी वह भी सचित्र उपलब्ध करनाने के लिए बहुत बहुत आभार श्री सारस्वत जी
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्री लक्ष्मण प्रसाद जी बहुत बहुत आभार आपका मेरे शब्दों को मान सम्मान देने के लिए !संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद
हटाएंबहुत सुन्दर जानकारी वह भी सचित्र उपलब्ध करनाने के लिए बहुत बहुत आभार श्री सारस्वत जी
जवाब देंहटाएंआदरणीय श्री लक्ष्मण प्रसाद जी बहुत बहुत आभार आपका मेरे शब्दों को मान सम्मान देने के लिए !संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद
हटाएंacha hai
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका
हटाएंदिल्ली के पास रहते हुए भी कभी इतने करीब से होज़-ख़ास को नहीं देखा ... बहुत कुछ है देखने को जो समय की रफ़्तार में खो सा रहा है ... शुक्रिया आपका दुबारा मुलाक़ात कराने का ...
जवाब देंहटाएंऐसा होता है श्री दिगंबर जी कि हम दूर दूर की जगहों को घूम आते हैं लेकिन पड़ोस में स्थित जगहों को छोड़ देते हैं ! हमारे गाँव में एक कहावत है "घर कौ जोगी जोगना आन गाँव कौ सिद्ध " ! आशा है आप एक बार जरूर जाएंगे ! बहुत बहुत आभार आपका
हटाएंBahut bahut dhanyabad yogendra ji mujhe yaisa lagta hai ki ap yek achha guide line mil gye sukriya apka punah mulakat karane ka .
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मित्रवर आपका ! संवाद बनाये रखियेगा
हटाएंNice clicks
जवाब देंहटाएंThanx a lot !
हटाएंज्ञानवर्धक जानकारी और सुन्दर चित्र...दिल्ली के एक नये दर्शनीय स्थल से रूबरू करने के लिए धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार श्री वाणभट्ट जी ! आपने मेरे प्रयासों को सराहा ! संवाद बनाये रखियेगा ! अनेक अनेक धन्यवाद आपका
हटाएंयोगी जी दिल्ली की संस्कृति व दार्शनिक स्थानो की यात्रा कराने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका ! आप अपना नाम लिखते तो और भी अच्छा लगता ! संवाद बनाये रखियेगा ! बहुत बहुत शुक्रिया
हटाएंबहुत बहुत आभार श्री राजेंद्र कुमार जी आपका , आपने मेरे शब्दों को चर्चा मंच में स्थान दिया ! संवाद बनाये रखियेगा , अतिशय धन्यवाद
जवाब देंहटाएंThanks for sharing those facts. Hauz Khas is a beautiful place. Beautiful shots too.
जवाब देंहटाएंThank u so much Saru singhal ji for your kind and appreciative visit to my blog. pl. keep visiting .
हटाएंaap bade saubhagyashalee hain ... apne pitaji ke sapne ko sakar kar rahe hain aur ham sabhi mitr bhi utane hee saubhgyashalee hain jo aapkee ankhon se bahut saare jagahon, imarton, paryatan sthalon ko dekh le rahe hain... Thanks a lot!
जवाब देंहटाएंआपके उत्साहित करने वाले शब्दों से बल मिलता है आदरणीय श्री जवाहर सिंह जी ! संवाद और आशीर्वाद बनाये रखियेगा ! बहुत बहुत धन्यवाद
हटाएंWow..... Nice post yogi ji!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार भवानी जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद
हटाएंयोगी जी दिल्ली के दार्शनिक स्थानो की यात्रा कराने के लिए आभार.............
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका श्री शुक्ला जी ! संवाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद
हटाएंsunder jaankaari evam sunder tasveeron se saji post.
जवाब देंहटाएंबहुत आभार राकेश जी !संवाद बनाये रखियेगा
जवाब देंहटाएंसुंदर वर्णन। लेकिन बहुत संक्षिप्त।
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