इस ब्लॉग में आप भारत वर्ष के नए नए स्थानों के विषय में लगातार पढ़ेंगे | घुमक्कडी का मतलब होता है बिना कुछ सोचे समझे झोला उठाये कहीं भी निकल पड़ना ! कहीं भी खा लेना और कहीं भी सो जाना ! इसलिए जिन्हें डनलप के गद्दे पर ही नींद आने की आदत हो गयी है वो घुमक्कडी का ख्वाब न पालें , हाँ वो टूरिस्ट जरूर हो सकते हैं ! तो आइये , देश को करीब से देखिये और महसूस करिये ....मेरे साथ !
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सोमवार, 26 मार्च 2012
ज़िन्दगी …………………एक पहेली
हमने पूछा ज़िन्दगी से बता ए ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी क्या है ?
वो बोली मत पूछ बन्दिगी से
कि बता ए बन्दिगी ये बन्दिगी क्या है ||
ज़िन्दगी जवानी है ज़िन्दगी एक कहानी है |
रुक जाये तो बर्फ है बह जाये तो पानी है ||
किसी को सुकून दूं मैं ये मेरी भाषा नहीं है
ये मेरा आगाज़ है , मेरी पूर्ण परिभाषा नहीं है
किसी के लिए काँटा हूँ किसी के लिए फूल हूँ मैं |
किसी के सिर का ताज हूँ किसी के पाँव की धूल हूँ मैं ||
हमने कहा
अच्छा चलें ! ज़िन्दगी जी विदा दीजिये |
( हम ज़िन्दगी से मिलने गए हुए थे )
वो बोली ! कहाँ चले ?
पहले मेरी सहेली ‘ मौत ‘ से तो मिल लीजिये ||
हमने कहा आज जाना ज़िन्दगी क्या है ?
ज़िन्दगी तो एक पहेली है |
आप से तो सुन्दर आपकी सहेली है ||
सारस्वत जी, आप का ब्लॉग देखा, बहुत अच्छा लगा | आप के यायावरी के आलेख और कविताएँ बेहद पठनीय हैं | इस श्रमशील कार्य के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !
Are vah Yogi ji apne to kamal kar di apki ye kavitaye mere DIL ko chhu liya hai ap jab bhi nai kavita likhen ap mujhe jarur bhejhen. bahut bariya.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
हटाएंसारस्वत जी,
जवाब देंहटाएंआप का ब्लॉग देखा, बहुत अच्छा लगा | आप के यायावरी के आलेख और कविताएँ बेहद पठनीय हैं | इस श्रमशील कार्य के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ !
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्री संतलाल करुण जी ! मेरे प्रयास को आपने समर्थन दिया ! आशीर्वाद बनाये रखियेगा ! धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbahut bahut aabhaar shri santlaal karun ji ! aashirwad banaye rakhiyega ! dhanywad
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद आपका श्री राकेश श्रीवास्तव जी ! संवाद बनाये रखियेगा
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