मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

स्थानीश्वर मंदिर : कुरुक्षेत्र



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हर्ष का टीला और शेख चिल्ली का मक़बरा देखने में इतना समय गया कि अँधेरा सा होने लगा ! भूल ही गया कि बाहर ऑटो वाला भी खड़ा है और मेरा इंतज़ार कर रहा है ! पैदल पैदल घूमते हुए देर हो गयी और आसपास नजारा भी ऐसा था जिसे देखने में मन लग रहा था ! बाहर आकर तुरंत ही स्थानीश्वर मंदिर चल दिया !


स्थानीश्वर मंदिर बहुत ही सुंदर बना हुआ है ! समय की कमी के कारण पूजा पाठ और दर्शन तो नही कर पाया किन्तु बाहर से फोटो जरूर खींचे ! स्थानीश्वर महादेव मंदिर जैसा कि नाम से लग रहा है भगवान शिव को समर्पित है ! ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए पांडवों ने भगवन श्री कृष्णा के साथ यहां शिव की उपासना की थी और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था ! इसी मंदिर के पास सिखों के नौवें गुरु , गुरु तेगबहादुर जी की स्मृति में एक गुरुद्वारा भी है ! गुरु तेगबहादुर ने यहां एक रात अपना ठिकाना बनाया था ! ऐसा कहा जाता है कि जब तक आप इस मंदिर के दर्शन नही कर लेते तब तक आपकी कुरुक्षेत्र यात्रा संपन्न नही मानी जाती ! इस मंदिर के नाम से ही इस स्थान का नाम स्थानीश्वर या थानेश्वर पड़ा ! सर्वप्रथम यहां भगवान शिव ने लिंगम के रूप में आराधना करी थी ! यहीं इसी जगह पर महाभारत के नायक "कुरु " ने यमुना किनारे तपस्या करी थी और इसी ताकत के बलबूते उन्होंने यहां कई योद्धाओं के प्राण ले लिए ! 
 
 
 

मंगलवार, 15 दिसंबर 2015

हर्ष का टीला : कुरुक्षेत्र

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पिछली पोस्ट शेख चिल्ली के मकबरे की थी जिसमें आपने शेख चिल्ली और उसकी पत्नी के मकबरे को देखा था ! पिछली पोस्ट में श्री हर्षवर्धन जोग साब ने अपनी टिप्पणी में एक बहुत सही बात लिखी थी कि हमारे उत्तर भारत में शेख चिल्ली का मतलब अपनी नादानियों और ऊट पटांग हरकतों से लोगों को हसाने वाले एक कॉमिक करैक्टर से होता है ! या ऐसे व्यक्ति से मतलब है जो दिन में भी सपने देखता हो , या बड़े बड़े हवाई ख्वाब बनाता हो ! कभी कभी ऐसे आदमी को हम कह भी देते हैं - अब चल भी शेख चिल्ली की औलाद ! शेख चिल्ली की औलाद मतलब उसकी तरह ही दिन में ख्वाब देखने वाला प्राणी ! धन्यवाद जोग साब !


मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

शेख चिल्ली का मक़बरा : कुरुक्षेत्र

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ज्योतिसर देखने के बाद उसी रास्ते पर ज्योतिसर से बिलकुल पास ही पड़ने वाले गीता मंदिर जाने का कार्यक्रम था लेकिन जब वहां पहुंचा तब वो मंदिर बंद था ! अब ये शाम को चार बजे खुलेगा और अभी बजे हैं तीन ! यानि पूरा एक घण्टा इंतज़ार करना पड़ेगा , ये संभव नही क्योंकि आज ही वापस लौटना है और अभी बहुत कुछ देखना बाकी है ! इधर उधर के फोटो लिए और चलते बने ! यहां इस मंदिर प्रांगण में पीछे की तरफ गौशाला है जिसमें सौ से ज्यादा गायें बंधी हुई थीं ! मुख्य मंदिर की ईमारत बहुत ही खूबसूरत बनी हुई है और इसी से इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता है ! मुख्य दरवाज़े तक दोनों तरफ सीढ़ियां बनी हुई हैं और बीच में कुछ अलग अलग साइज के पत्थर लगे हुए हैं जिनमें लाइट लगाई हुई हैं ! कल्पना करिये कि रात के अँधेरे में ये कितनी खूबसूरत लगती होंगी ! निर्माण कार्य अभी चल रहा है !!


बुधवार, 2 दिसंबर 2015

ज्योतिसर :कुरुक्षेत्र

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ब्रह्म सरोवर और उसके आसपास के स्थानों को देखने के बाद अब सीधा ज्योतर्सर के लिए जाना था ! और इसके लिए मुख्य सड़क तक आना था जहां से ऑटो या बस मिल सके ! कुरुक्षेत्र रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर , कुरुक्षेत्र -पेहोवा रोड पर एक छोटी सी जगह है ज्योतिरसर ! कुरुक्षेत्र में आपको अलग अलग समाज की धर्मशालाएं दिखाई देती हैं ! जितनी भी दिखीं उनमें "जाट धर्मशाला " बहुत ही बड़ी है ! बहुत लम्बी चौड़ी ! और भी धर्मशालाएं हैं ! जाट धर्मशाला के पास में ही बिरला गीता मंदिर भी है , लेकिन जा नही पाया !

मुख्य रोड पर आकर दो चार ऑटो वालों को रोका और पूछा -ज्योतिरसर ? आगे बढ़ा ले जाते ! कोई जवाब नही ! एक बुजुर्ग बोले - बस से चले जाओ , बस भी जाती है ! अब बस भी लिस्ट में शामिल हो गयी लेकिन इसी बीच एक ऑटो आया और उससे बात हुई तो बोला इधर से तो आप पहुँच जाओगे लेकिन फिर लौटने में परेशानी होगी और देर भी होगी ! बात करते करते उससे ज्योतिरसर के अलावा "शेख चिल्ली का मक़बरा " "हर्ष का टीला "और भद्रकाली मंदिर देखने का किराया 200 रुपया तय हुआ और निकल गए ज्योतिरसर की तरफ !



 भगवद् गीता के जन्म का साक्षी वट वृक्ष