गुरुवार, 18 सितंबर 2014

कुछ सटीक व्यंग्य पार्ट -II

संगम

राजनीति में  न कोई दोस्त
न कोई दुश्मन होता है  |
जिस पार्टी से मिल जायें
एम.एल.ए, एम.पी
उसी से संगम होता है ||

वोट

नेता आते , सभाएं करते
घूम घूम कर मांगते वोट
जब संसद में चुनकर जाते
दोनों हाथों से कमाते नोट  |
देखकर इनकी करतूतें
आंसू टपकाती जनता
दिल को लगती गहरी चोट  ||

इलैक्शन

जब - जब आता मौसम
इलैक्शन का
तब - तब गहराता मुद्दा
कैंडीडेट सलेक्शन का |
कोई मंत्री का भाई होता
कोई भतीजा बनता
दूर के कनेक्शन का  ||

वादा

नेता जी को एक आदमी ने
सड़क , बिजली और पानी का
उनका पिछला वादा याद दिलाया
नेता जी बोले
हम वादा करते हैं
मुकरते हैं |
इसीलिए तो हम
इस देश पर राज करते हैं ||

भाषण

मंत्री जी भाषण दे रहे थे
कुछ इस तरह कह रहे थे
हम इस जगह को
न्यू यॉर्क बना देंगे  |
पहले दिया था नारा
गरीबी हटाने का
अब के गरीब हटा देंगे  ||

बुधवार, 3 सितंबर 2014

कुछ सटीक व्यंग्य

राजनीति

करो विधानसभा में जूतम पैजार
या निभाओ चोरों से प्रीति |
वोट के बदले नोट दो
या करो जनता को भयभीत   ||
देश को खा जाओ चुपके चुपके
लोगों से बातें करो मीठी मीठी   |
ऐसे ही बनते हैं नेता
ऐसे ही होती है राजनीति   ||

ये देश महान है

ये भारत देश महान है
और महान हैं
इस देश के रहने वाले  |
उनको ही हम देते वोट
जो करते रोज़ घोटाले  ||

लोकतंत्र

जहाँ हर नेता भ्रष्ट
हर अधिकारी
घूस खाने को
स्वतंत्र है  |
वही तो अपना लोकतंत्र है ||

कोरे आश्वासन

जब से आया
उनका शासन
कभी यहाँ , कभी वहाँ
वो रोज़ दे रहे भाषण |
कहीं घोषणाएं करते झूठी
कहीं पे देते कोरे आश्वासन  ||

नेता जी

हँस हँस वो हम सब की
अभिवादन है लेता जी |
कोई भी काम कराने जाए
सबको तसल्ली देता जी  ||
चोर हो या अंगूठा टेक
वो देश की नाव है खेता जी
ये ही तो हैं भाई अपने
अपने प्यारे नेता जी  ||

मा

आज का हमारा समाज
बहुत जागरूक हो गया है |
तभी तो अपने अन्दर होने वाले
सभी कुकृत्यों को अनदेखा कर
छुपकर कहीं सो गया है  ||